बकस्वाहा। जनपद पंचायत बकस्वाहा के अंतर्गत आने वाली मझौरा ग्राम पंचायत में सरपंच, सचिव और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से लाखों रुपये का सरकारी धन फर्जी बिलों के ज़रिए निकालने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। निर्माण कार्यों के नाम पर फर्जी बिल लगाकर राशि का भुगतान किया गया, जबकि ज़मीनी स्तर पर काम अधूरे या कहीं-कहीं शुरू ही नहीं हुए।
सूत्रों के अनुसार, ग्राम पंचायत मझौरा में सरपंच नन्हे यादव, सचिव भगवानदास यादव और रोजगार सहायक संतोष यादव पर आरोप है कि इन्होंने बिना जीएसटी नंबर और रजिस्टर्ड फर्म के फर्जी बिल तैयार कर बाउंड्रीवॉल, चबूतरा निर्माण, ई-कक्ष निर्माण जैसे कार्यों में करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। यहां तक कि मोबाइल रिचार्ज जैसे निजी खर्चों के भी फर्जी बिल बनवाकर भुगतान कराया गया।मजेदार बात यह है कि जिन दुकानों के बिल पेश किए गए, ज़मीनी जांच में वे दुकानें अस्तित्व में ही नहीं मिलीं। फिर भी पंचायत के डिजिटल प्लेटफार्म पंचायत दर्पण पर यह फर्जीवाड़ा दर्ज किया गया, जिसे अधिकारियों ने अनदेखा किया।
अधिकारियों की मिलीभगत उजागर
यह घोटाला केवल पंचायत स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जनपद पंचायत कार्यालय में बैठे कुछ इंजीनियर और भ्रष्ट अधिकारी भी इस बंदरबांट में शामिल रहे। जानकारों के अनुसार बकस्वाहा क्षेत्र में कोई रजिस्टर्ड रेत खदान नहीं है, फिर भी पंचायतों में रेत की आपूर्ति के बिल लगाए जा रहे हैं। अगर रेत बाहर से लाई गई, तो संबंधित दुकानदारों के पास ई-रॉयल्टी, ट्रांसपोर्ट दस्तावेज और टैक्स रिकॉर्ड होना चाहिए, जो कि नहीं है।
39 पंचायतों में चल रहा है यही खेल
मिली जानकारी के अनुसार यह घोटाला केवल मझौरा तक सीमित नहीं, बल्कि बकस्वाहा विकासखंड की करीब 39 पंचायतों में इसी प्रकार का फर्जी बिल घोटाला चल रहा है। आरोप है कि कई सरपंचों ने खुद की फर्म बनवा ली है और उन्हीं के फर्जी बिल लगाकर सरकारी राशि का दुरुपयोग कर रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जब इस पूरे मामले पर जनपद पंचायत अध्यक्ष रजनी यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, आपके माध्यम से हमें जानकारी मिली है। हम इस पूरे मामले की जांच कराएंगे और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इनका कहना-फर्जी बिल लगाकर अगर शासन की राशि निकाली गई है तो जांच कर कार्यवाही होगी।
अंजना नागर, सीईओ, जपं बक्स्वाहा