गौरिहार विकासखंड के अंतर्गत ग्राम घूर में इस समय पर अंधेर नगरी चौपट राजा की कहानी की तर्ज पर कार्य हो रहा है। ग्राम घूर को पटवारी कपिल चौरसिया चारागाह समझकर मजे ले रहे है। सभी कार्य दलालों के माध्यम से हो रहे है पटवारी की उदासीनता खाऊ कमाऊ नीति के चलते सरकारी जमीनो मे बेतहाशा कब्जे पटवारी के दलालों वह अन्य लोगो लोगो ने कर रखे हैं। गंगाजल संवर्धन योजना का पटवारी वह उसके दलालों के द्वारा मां खोल बनाया जा रहा है। एक तरफ तो प्रशासन गंगा जल संवर्धन जैसी योजना लाकर घर-घर पानी पहुंचाने में रात दिन एक किये है। दूसरी तरफ पटवारी के कुछ दलालों के माध्यम से लोगो ने सरकारी तालाबों पर कब्जे कर रखे हैं ग्राम घूर में तीन तालाब है तीनों अतिक्रमण की चपेट में है। यदि यही हाल रहा तो एक दो साल में इन तालाबों का नामोनिशान मिट जाएगा इसी प्रकार से मंदिर में लगी सरकारी जमीन पर भी पटवारी साहब के चाहतों के कब्जे हैं आज छोटे से छोटे कार्य के लिए भी ग्राम घूर के किसानों मजदूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। पटवारी के मुख्यालय में ना रहने के कारण ग्राम वासियों के को उनके घर महाराजपुर जाना पड़ता है जहां पर आने-जाने में 300 किराया पूरे दिन का समय खराब होता है। जब इस प्रतिनिधि ने पटवारी कपिल चौरसिया से बात की तो उन्होंने जवाब दिया कि इतनी गर्मी में नहीं आ सकता मेरी शिकायत चाहे जहां कर दो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ग्राम सरपंच पति ने भी इस प्रतिनिधि को बताया कि पटवारी के न रहने से पंचायत के कार्य प्रभावित होते हैं। पटवारी महीने या 20 दिन में एक दिन को आते हैं। वह भी किसी को बिना बताए यदि यही हाल रहा तो ग्राम वासी एकत्र होकर एस. डी. एम महोदय को ज्ञापन के माध्यम से पटवारी को हटाने की मांग करेंगे।