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जिला प्रशासन नाकामी छिपाने किसान व शासन को कर रहा गुमराह


 


गेहूँ खरीदी केंद्रों से परिवहन व्यवस्था लचर एवं कई खरीदी केंद्रों पर वारदाना समय पर नहीं हो रहा उपलब्ध


छतरपुर। जिले के गेहूं खरीदी केन्द्रों पर अव्यवस्थाओं एवं मनमानी का सिलसिला बदस्तुए जारी है। हालत यह है की 10-10 दिनों तक गेहूँ का परिवहन नही हो रहा एवं कई खरीदी केंद्रों को वारदाना भी डिमांड के बाबजूद उपलब्ध नही कराया जा रहा है। किसानों व समिति कर्मचारियों को अधिकारियों की कार्यशैली समझ से परे है एवं कार्यवाही हो इसकी बात कर रहे है। उपार्जन से जुड़ी जानकारियां ऑनलाइन होने के बाबजूद तमाशबीन एवं मौन बने हुए है। जबकि जिले से लेकर भोपाल स्तर के उच्चाधिकारियों के कानों पर जूं नही रेंग रही है और अपनी नाकामी के कारण सुनने से भी कतरा रहे है।

परिवहन के लिए परेशन खरीदी प्रभारी

जानकारी के अनुसार परिवहन व्यवस्था कितनी बद्दतर है कई खरीदी केंद्रों पर खरीदी प्रारम्भ (समिति स्तर पर) से परिवहन 10 से 15 दिनों तक नही किया गया। जिले की घुवारा मंडी में संचालित घुवारा समिति के दो केंद्र जहां पिछले 10-12 दिनों से 6 हजार क्विंटल गेहूँ परिवहन के लिए तैयार रखा हुआ है। वहीं डिकौली समिति परिसर में खरीदी केंद्र पर साढ़े 9 हजार क्विंटल खरीदी में से मात्र 950 क्विंटल का ही अब तक परिवहन हुआ है। जो मात्र 10 प्रतिशत है यह तो चंद उदाहरण है।

अन्य केन्द्रों की है दयनीय स्थिति

जानकारी के अनुसार यदि 80 खरीदी केंद्रों की समीक्षा की जाए तो दर्जनों खरीदी केंद्रों पर पिछले 2 हफतों से परिवहन व्यवस्था लडख़ड़ा रही है। परिवहन कर्ता बेलगाम बने हुए है। न तो उनके पास पर्याप्त वाहन है न ही लेबर उपलब्ध करा पा रहे है। कई केंद्रों से परिवहन लोभलालच में एवं कतिपय अन्य कारणों से पक्षपात करते हुए परिवहन में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जैसे ढड़ारी, चंद्रनगर आदि खरीदी केंद्रों मातगुवां, मोरवा, बंधा, पिपट, बिजावर आदि परिवहन व्यवस्था से लडख़ड़ाई हुई है।

आव्यवस्थाओं में नहीं हो रहा सुधार

जानकारी के अनुसार बड़ामलहरा, घुवारा क्षेत्र के खरीदी केंद्रों पर मौजूद किसानों ने बताया कि वह परिवहन एवं वारदाना समय पर होने के कारण गेहूँ खरीदी केंद्रों पर विक्रय करने नही ले जा रहे क्योंकि जो किसान विक्रय कर चुके है उनका भुगतान दो हफ्ते बाद भी नही मिला है। कारण एक यह भी बताया कि जब परिवहन समय पर नही होगा तो भुगतान कैसे हो जाएगा यह बात जिले की जनता व किसान सहज समझ रहा है। लेकिन जिले के अधिकारी जानबूझकर समझना नही चाह रहे न अव्यवस्थाओं को सुधार रहे है और उच्चाधिकारी भी क्यों नही समझ रहे यह उनकी समझ से परे है। जब 10-15 दिनों तक परिवहन नही होगा तो विक्रय की गई फसल का भुगतान एक सप्ताह में कैसे हो जाएगा।

जनता को गुमराह करता है प्रशासन

जिला प्रशासन जनसंपर्क कार्यालय के माध्यम से किसान व शासन को परिवहन वारदाना व भुगतान के संबंध में गुमराह करने से भी बहज नही आ रहा जो शासन उच्चाधिकारियों द्वारा अव्यस्थाअओं की अनदेखी व अनसुनी करना एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। 28 अप्रैल 2025 को जनसंपर्क कार्यालय द्वारा प्रसारित गुमराह व करने का प्रयास किया गया है किसानों व समिति कर्मचारियों का कहना है कि यदि जिले में वारदाना उपलब्ध है तो खरीदी केंद्रों को मांग अनुसार व समय पर क्यों नही उपलब्ध कराया जा रहा है। उन्हें बार-बार याचना क्यों करनी पड़ रही है।

मांग के बाद नहीं मिल रहा बारदाना

उपार्जन ग्रुप व सहकारी बैंक ग्रुप में भी वारदाना और परिवहन की मांग व समस्या को लेकर रोज मैसेज समिति कर्मचारी डाल रहे है। लेकिन कोई देखने सुनने बाला नही है। उच्चाधिकारियों से दो हफतों के ग्रुप में किए गए बारदाना मेसेज निकलवाने की अपेक्षा है ताकि जिला प्रशासन की नाकामी लापरवाही व गुमराह करने आदि की सच्चाई जान सके व कार्यवाही हो सके।

खरीदी के आंकड़ों पर संदेह

सूत्रों के अनुसार समिति स्तरीय 50 प्रतिशत परिवहन के जो आंकड़ों व सस्ती लोकप्रियता ले रहा है वह रेडी टू ट्रांसपोर्ट व गोदाम स्तरीय खरीदी केंद्रों द्वारा जमा गेहूं की मात्रा की आड़ में अपनी नाकामी छिपा रहा है। कई समिति कर्मचारियों व किसानों ने बताया स्वयं वाहन लेकर कई बार वारदाना उठा चुके है। घुवारा क्षेत्र के सेवार किसानों ने बताया कि कल से वारदाना न होने के कारण खरीदी नही हो पाई। समिति द्वारा आज वाहन भेजा गया अब देखना यह है कि कितनी गठान मिलती है।

लोकन वाहनों से परिहन का हुआ जिक्र

समिति कर्मचारी के नाम व कई अन्य तथ्यों को उजागर न करने को कहा गया है। क्योकि  यदि उनकी समिति व उनका नाम उजागर करेंगे तो अधिकारी समस्या दूर करें यह जरूरी नही पर उन्हें कई प्रकार से परेशान व कार्यवाही जरूर कर सकते है। कई समिति केंद्रों पर जो परिवहन किया भी गया है। उन्होंने लोकल वाहन मालिकों से व्यवस्था कर परिवहन कर्ता से बात की परिवहन कर्ता के अनुसार चलने पर परिवहन कराया गया। जबकि प्राईवेट के ड्राइवर को 200-500 अलग से देना पड़ती है।

सूख रहे अनाज से खरीदी प्रभारी परेशान

परिवहन व्यवस्था बदत्तर होने के कारण मुख्यमंत्री व शासन के निर्देश अनुसार किसानों को भुगतान नही मिल रहा है और खरीदी प्रभावित हो रही है। अनेक किसान समर्थन मूल्य योजना का लाभ नही ले पा रहे है। वहीं कई समिति कर्मचारियों को भी अनाज खुले में 10-15 दिनों तक पड़े रहने के कारण सूखने से 1 और 2 किलो प्रति क्विंटल का नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।

लापरवाही में सहकारिता भी शामिल

सहकारी बैंक प्रबंधन अपनी हटधर्मता बेशर्मी की हदें पार करते हुए समितियों को गेहूँ मसूर आदि की खरीदी कि लिए कैश क्रेडिट स्वीकृत नही की जा रही है। जिससे समिति कर्मचारी बेहद परेशान है। लेकिन उन अत्यधिक दबाब व भय के कारण चुप है। सहकारिता के उच्चाधिकारी भी मामले में बेशर्मी दिखाते हुए चुप है। खरीदी केंद्र पर 25 रुपये का खर्चा बताया जा रहा है जो समिति कर्मचारियों को यहां वहाँ उधार लेकर व अन्य तरीके से व्यवस्था करनी पड़ रही है। साख सीमा स्वीकृत न होने से अनियमितताओं को भी बढ़ावा मिल रहा है।

खरीदी केंद्र बंधा में निर्धारित मात्रा से अधिक तौल प्रति बोरी 51 किलो 200 ग्राम तक तौल हो रही है किसान दबाब व भय में शिकायत नही कर पा रहे औचक निरीक्षण व किसानों से एकांत में बात कर सच्चाई उजागर की जा सकती है यहाँ पर (बंधा समिति) किसानों से ही बोरियों में गेहूं भराई व तुलाई कराई जा रही है। जब कोई मौके पर निरीक्षण के लिए पहुँचता है तो हथकंडे ब बहानेबाजी बता दी जाती है। समिति के कुछ करीबी लोग पर्दा डालने मौजूद रहते है। तभी गाडिय़ाँ लोड होने के कारण बहाना बनाया जाता है।

जिला प्रशासन के अनुसार खरीदी का हाल

जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार रवी उपार्जन वर्ष 2025-26 में छतरपुर जिले में 80 उपार्जन केंद्रों पर गेंहू खरीदी की जा रही है।  अभी तक 43946.74 मी.टन. गेहूं की खरीदी हो चुकी है। 26 हजार 101 किसानों ने पंजीयन कराया है। जिसमें से कुल 10506 ने स्लॉट बुक किए है। खरीदी केंद्रों से अभी तक 71.30 प्रतिशत उठाव परिवहन हो चुका है। केंद्रों पर कुल 879 गठान वारदाना उपलब्ध है। मध्यप्रदेश सरकार द्वारा इस बार किसानों को बोनस मिला कर अतिरिक्त 175 रुपए प्रति क्विंटल राशि दी जा रही है। साथ ही 2425 रुपए केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही राशि। इस प्रकार 2600 रुपए प्रति क्विंटल से खरीद की जा रही है और किसानो के गेहूं का भुगतान एक सप्ताह में हो रहा है। इस वर्ष विगत वर्ष से भी ज्यादा गेहूं उपार्जन हुआ है और पैदावार अच्छी होने से गेहूं के रकबा में भी वृद्धि हुई है।

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