सुर्खियों में बना जिला अस्पताल में आउटसोर्स का भर्ती घोटाला
सिविल सर्जन पर
छतरपुर। जिला चिकित्सालय में हुए एक गंभीर प्रशासनिक भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। आरोप है कि सिविल सर्जन ने राज्य स्तर से तय प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए एक मनपसंद कंपनी को मोटी रकम लेकर आउटसोर्स सेवाओं का ठेका दे डाला। जबकि वैधानिक रूप से पहले ही अधिकृत संस्था के तहत सेवाएं उपलब्ध कराई जानी थीं। इस पूरे प्रकरण को लेकर जिला प्रशासन से सख्त जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
राज्य स्तर से तय हुई थी नियुक्ति की पारदर्शी प्रक्रिया
राज्य सरकार ने वर्ष 2024 में छतरपुर जिला अस्पताल में डाटा एंट्री ऑपरेटर, मल्टी स्किल्ड ग्रुप डी वर्कर, ड्राइवर और चपरासी जैसे 58 पदों पर आउटसोर्स से नियुक्ति की स्वीकृति दी थी। इस क्रम में सिविल सर्जन ने 26 नवंबर को सेडमेप भोपाल को पत्र लिखकर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करवाई और 11 दिसंबर को अनुबंध निष्पादित कर दिया गया। इसके जवाब में सेडमेप ने 24 दिसंबर को मेसर्स वर्ल्ड क्लास सर्विसेस लिमिटेड को अधिकृत संस्था घोषित कर स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए थे।
अधिकृत कंपनी को छोड़ कर एकाएक दूसरी कंपनी को दे दिया ठेका!
चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य स्तर से अधिकृत कंपनी के बावजूद सिविल सर्जन ने 19 फरवरी को भोपाल की ओम पारस मैनपावर सर्विसेस को नियमों को ताक पर रखकर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी कर दिया। बताया जाता है कि यह कंपनी इससे पहले छतरपुर में किसी भी स्वास्थ्य सेवा कार्य में संलग्न नहीं रही है। जानकारों की मानें तो इस नियुक्ति में भारी आर्थिक लेन-देन हुआ है।
कंपनी ने सिविल सर्जन को सीएमएचओ बनवाने का दिया आश्वासन
सूत्रों के अनुसार ओम पारस कंपनी के प्रतिनिधि ने सिविल सर्जन को सीएमएचओ पद का प्रलोभन देकर ठेका हासिल किया। यह सीधा-सीधा नियमों और नैतिकता की हत्या है। जिस समय सेडमेप द्वारा अधिकृत कंपनी का नाम स्पष्ट कर दिया गया था, उस स्थिति में दूसरी कंपनी को एनओसी देने का कोई औचित्य नहीं बचता। फिर भी, नियमों की अनदेखी कर एक अपात्र और अनुभवहीन कंपनी को लाखों की डीलिंग के साथ लाभ पहुंचाया गया।
जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, अब चाहिए न्याय
इस घोटाले को लेकर जिले के जागरूक नागरिक पवन चौबे ने एक आवेदन के माध्यम से कलेक्टर एवं जिला पंचायत सीईओ से मांग की गई है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित कर सख्त कार्रवाई की जाए। स्वास्थ्य व्यवस्था में इस प्रकार का भ्रष्टाचार आमजन के जीवन से खिलवाड़ है, जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
घोटालों का विभाग वन गया स्वास्थ विभाग
छतरपुर जैसे महत्वपूर्ण जिले में स्वास्थ्य विभाग में घोटाले की ये घटनाएं यह बताती हैं कि जब जिम्मेदार अधिकारी ही अपनी ज़िम्मेदारियों को बेचने लगें, तब जनता की जान की कीमत गिरवी रख दी जाती है। जिला प्रशासन को अब बिना देरी इस मामले को संज्ञान में लेकर उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।