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प्राईवेट स्कूलों में लूट के शिकार हो रहे अभिभावकों को मिली राहत,रसूखदारों के स्कूलों पर कलेक्टर ने लगाया एक-एक लाख का जुर्माना

छतरपुर। इन दिनों शहर शिक्षा माफियाओं से जकड़ा हुआ है।
स्कूलों से लेकर कॉलेजों तक में धांधली मची हुई है। अभिभावको कि प्राईवेट स्कूल और कॉलेजों की फीसों से परेशान है। प्राईवेट स्कूल और कॉलेज में बच्चों को दाखिल करने के बाद भी अभिभावकों की कमर ड्यूशन को लेकर टूट रही है। जबकि प्राईवेट स्कूल और कॉलेजों को मनमानी फीस अदा करने के बाद भी ड्यूशन लगानी पड़ रही हैं। इतना खर्च करने के बाद जब परिणाम आता है तो अभिभावक को अपना मयूशी भरा चेहरा बनाना ही पड़ता है और साल भर खर्च की गई मेहनत की कमाई को लेकर घर में विवाद उत्पन्न होने लगता है। लेकिन स्कूल और कॉलेज संचालक तो अपना जेब भरकर अगले सत्र की तैयारी में जुट जाता है। लेकिन जितना  प्राईवेट स्कूल में अभिभावक  खर्च करता है उतना अगर शासकीय स्कूल में नाम दाखिल कराकर किया जाये तो परिणाम आने पर खुशी की मिठाई ही बांटना पड़ेगी। क्योंकि जितना प्राईवेट स्कूल फीस और एक्टीविटी के नाम पर लेता है उतना शासकीय स्कूल में नाम दाखिल कराकर प्राईवेट ड्यूशनों में खर्च कर दिया जाये तो परिणाम देखने के लायक ही रहेगा। लेकिन अभिभावक स्वयं लूट का शिकार होने के लिए प्राईवेट स्कूलों की शरण लेता है। लेकिन इस वर्ष अभिभावकों को सचेत रहना होगा। क्योंकि कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने शहर के रसूखदार लोगों के आलीशान स्कूलों पर जुर्माना लगा दिया है।
रसूखदारों के स्कूलों पर लगाया जुर्माना
कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने म.प्र. राजपत्र (असाधरण) प्राधिकारी से प्रकाशित स्कूल शिक्षा विभाग के 28 दिसम्बर 2021 की कण्डिका 05 के अनुसार मान्यता (संशोधन) नियम 2017 के नियम 11 में, उप नियम (2) में संशोधित कर निहित प्रावधानानुसार डीपीएस, क्रिश्चियन, शीलिंग होम, सुमति एकेडमी, एडिफाई एवं डीसेंट स्कूलों को भविष्य के लिए सचेत करते हुए प्रति स्कूल एक-एक लाख रूपए का जुर्माना किया है। साथ ही यह भी सुनिश्चित कराने को कहा गया कि निर्धारित मूल्य से अधिक की पुस्तकें किसी भी स्थिति में किसी भी छात्र-छात्रा से क्रय नही कराएं। जिला समिति द्वारा यह भी आदेशित किया गया कि म.प्र. निजी विद्यालय में (फीस तथा संबंधित) नियम 2020 के 9 (8) के प्रावधानुसार उपरोक्त निर्धारित राशि से अधिक संग्रहीत की गई राशि संबंधित अभिभावक को प्रदान की जाए।  
कक्षा 1 से 8 वीं तक की किताबों के निर्धारित मूल्य
एनसीआरटी एवं म.प्र. पाठ्यपुस्तक निगम पुस्तको की अधिकतम राशि निर्धारित है। एनसीआरटी की कक्षा 1 और 2 के लिए अधिकतम राशि 195 रू, कक्षा 3 के लिए 390 रू, कक्षा 4 के लिए 260 रू, कक्षा 5 के लिए 260 रू, कक्षा 6 के लिए 780 रू, कक्षा 7 के लिए 940 रू एवं कक्षा 8वीं के लिए 960 रूपए निर्धारित किए गए हैं। म.प्र. पाठ्यपुस्तक निगम पुस्तकों की हिन्दी एवं अंग्रेजी माध्यम की अधिकतम राशि कक्षा 1 के लिए 194 रू, 2 के लिए 240 रू, कक्षा 3 के लिए 315 रू, कक्षा 4 के लिए 289 रू, कक्षा 5 के लिए 317 रू, कक्षा 6 के लिए 504 रू, कक्षा 7 के लिए 509 रू एवं कक्षा 8वीं के लिए 547 रूपए निर्धारित किए गए हैं।
नियम विरुद्ध वसूली गई फीस की राशि वापस लौटाने का आदेश
कलेक्टर पार्थ जैसवाल की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति ने डीपीएस, क्रिश्चियन, शीलिंग होम, सुमति एकेडमी, एडिफाई एवं डीसेंट स्कूल के विरुद्ध 1-1 लाख रूपए का जुर्माना लगाने की कार्यवाही की गई। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि मध्यप्रदेश निजी विद्यालय में (फीस तथा संबंधित) नियम 2020 के 9 (8) के प्रावधानानुसार उपरोक्त निर्धारित राशि से अधिक संग्रहीत की गई राशि संबंधित अभिभावक को प्रदान की जाए।
मूक दर्शक बना शिक्षा विभाग
जानकारी के अनुसार हर वर्ष प्राईवेट स्कूलों के समाचार चलना आम बात हो गई है। हर वर्ष मीडिया के द्वारा अभिभावकों को लूटने के समाचारों का प्रकाशन किया जाता रहा है। लेकिन शिक्षा विभाग गांधी जी के तीन बंदरों की तरह कान, मुंह, नाक मूदकर बैठा हुआ है। लेकिन इस वर्ष जैसे ही मीडिय़ों ने प्राईवेट स्कूलों की सच्चाई से कलेक्टर पार्थ जैसवाल को अवगत कराया वैसे ही कलेक्टर श्री जैसवाल ने एक टीम बनाकर स्कूलों की जांच कराई थी। जांच के बाद नोटिस जारी भी किया गया था। लेकिन जबाव संतोषजनक नहीं होने पर रसूखदारों के स्कूलों पर एक-एक लाख का जुर्माना लगा दिया है। कलेक्टर की इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग की पोल खुल गई है। इसके बावजूद भी शिक्षा विभाग मुंह, कान, नाक मूंदे अभी भी बैठा हुआ है। अगर शिक्षा विभाग सजगता से काम करने लगे तो प्राईवेट स्कूलों में लूट के शिकार हो रहे अभिभावकों को बचाया जा सकता है। लेकिन शिक्षा विभाग इन शिक्षा माफियाओं के सामने बौना साबित हो रहा है।
डीपीएस स्कूल का नया फरमान
कलेक्टर के आदेश के बाद शहर के पन्ना रोड़ स्थित डीपीएस स्कूल के संचालक ने अभिभावकों को इस करण से आदेशित किया है कि स्कूल का कर्ज अभिभाबकों को देना हो। एक  लाख के जुर्माने के बाद डीपीएस स्कूल के फरमान से प्राईवेट स्कूलों का मामला और अधिक गरमा गया है। क्योंकि स्कूल संचालक ने अप्रैल माह से लेकर जुलाई माह तक की 23053 रूपए वसूली करने का आदेश अभिभावकों को भेज दिया है। जबकि मई और जून की छुट्टी रहने के बावजूद फीस को बसूला जा रहा है। यह मामला भी कलेक्टर पार्थ जैसवाल के समक्ष पहुंच चुका है। आगे देखना होगा कि डीपीएस स्कूल पर इस मामले को लेकर क्या कार्रवाई होती है। 

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