पतरा ग्राम पंचायत में जुलाई माह में ही 15 अगस्त 2024 का हुआ भुगतान
@इनायत खान
राघव भास्कर बिजावर। जनपद पंचायत में जबसे सीईओ अंजना नागर पदस्थ हुई है तभी से दर्जनों ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचारी के मामले सामने आ रहे हैं साथ ही कई ग्राम पंचायतों में सचिवों की मनमानी के चलते विकास कार्य शुन्य है। जिस कारण जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि (सरपंच) समय समय पर शिकायतें भी करते आ रहे लेकिन ऐसे कथित सचिवों पर कोई कार्यवाही नहीं होने से उनके हौसले बुलंद है सुत्रों की माने तो भ्रष्ट सचिवों को सीईओ का खुला संरक्षण प्राप्त होने से यह स्थिति बनी हुई है। ताजा मामला ग्राम पंचायत पतरा का है जहाँ खुलेआम शासन की राशि का गवन किया जा रहा है। ग्राम पंचायत सहायक सचिव संदीप त्रिवेदी द्वारा पंचायत में किये जा रहे निर्माण कार्यों में शासन द्वारा निर्धारित मानकों के बिना ही घटिया स्तर के कार्य कराये जा रहे वर्तमान में ग्राम पतरा में माता के पास कुशवाहा मुहल्ले में वाउंड्री का घटिया निर्माण कार्य जारी है जिसमें सरिया का उपयोग ही नहीं किया गया साथ ही ग्राम क्वाटा में नाली निर्माण में भारी अनियमितताएं कि जा रही ग्राम पंचायतों में नियमानुसार वित्तीय पावर सचिव के पास होता है।
लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त सहायक सचिव संदीप त्रिवेदी को दिए गए हैं। इनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार की हद तो तब हो गई जब आने बाले 15 अगस्त 2024 स्वतंत्रता दिवस का भुगतान दिनांक 19 जुलाई 2024 को मातेले स्वीट एन्ड रेस्टोरेंट के बिल क्रमांक 122 के माध्यम से 17 हजार 800 रुपये का भुगतान सुशील मातेले को कर दिया गया। इस कथित सहायक सचिव संदीप त्रिवेदी की संबधित मामले में जिला सीईओ से शिकायत भी की गई है। ग्राम पंचायत पतरा में अगर पिछले दो बर्ष की जांच की जाये तो लाखों रुपए के गवन का खुलासा हो सकता है। बिजावर जनपद पंचायत अन्तर्गत जितनी भी ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की आशंका है उनमें कई पत्रकरों द्वारा सुचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत जानकारी चाही गई तो ग्राम पंचायतों द्वारा जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
जिससे व्यथित होकर प्रथम अपीलीय अधिकारी सीईओ अंजना नागर के समक्ष दर्जनों अपीलें विचाराधीन है। लेकिन उनके द्वारा कोई सुनवाई नहीं की जा रही जिससे स्पष्ट है कि उनकी भी मंशा है कि भ्रष्टाचार का खुलासा ना हो । भ्रष्टाचार के मामलों में सीईओ की भुमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है और लगातार भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आने के बाद भी दोषियों के खिलाफ ना ही जांच कराई जा रही और ना ही कोई कार्यवाही हो रही जिससे ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार चरम पर है।