छतरपुर। विगत कुछ वर्षो से प्राईवेट स्कूलों ने सरकारी स्कूलों को बंद होने की कंगार पर कर दिया था। तरह-तरह के कार्यक्रम करने के साथ-साथ स्कूलों को सुन्दर बना कर अभिभावकों को लु ाा लिया करते थे। साथ ही बच्चों को शिक्षा देने के लिए शिक्षकों की भी अच्छी व्यवस्था रहा करती थी। लेकिन एक दो वर्ष से देखने को मिल रहा है कि सरकारी स्कूल के सामने प्राईवेट स्कूल के बच्चे पीछे दिखाई दे रहे हैं। वर्ष 2023-24 की बात की जाये तो शहर के न बर -01 स्कूल की छात्रा ने प्रदेश में दूसरा स्थान पाया और प्राईवेट स्कूलों को साबित कर दिखाया कि सरकारी स्कूल में भी अच्छे शिक्षक और अच्छी पढ़ाई होती है। दो वर्ष से आने वाले परिणामों को अगर देखा जाये तो जिले के सरकारी स्कूल प्राईवेट स्कूलों को मात दे रहे है। इसी का नतीजा है कि इस वर्ष सरकारी स्कूलों में सीटें फुल होने के बाद भी छात्र छात्राओं की लाईने लगी हुई हैं। यह नतीजा आज मंगलवार को शहर के शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-01 छतरपुर में देखने को मिला है।सरकारी स्कूलों में बच्चों के नाम दाखिल कराने सक्रिय हुए परिजन
शिक्षा का महत्व समझे परिजन
जानकारी के अनुसार विगत वर्षो से जिले की जनता अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए प्राईवेट स्कूलों में नाम दाखिल कराया करते थे। मनमानी फीस और पूरे वर्ष तरह-तरह के कार्यक्रम करने के नाम पर प्राईवेट स्कूल वसूली करते रहते है। माता पिता अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा और संस्कार के चक्कर में भारी भरकम वाली फीस का बोझ उठाने में लगे रहते थे। लेकिन जब सरकारी स्कूलों के परिणाम के सामने प्राईवेट स्कूल मूंक दर्शक बनकर रहे गए है। अभिभावकों ने इसी को ध्यान में रखते हुए सरकारी स्कूलों में बच्चे का नाम दाखिल कराना उचित समझा और भारी भरकम फीस से लुट रहे अभिभावकों ने प्राईवेट स्कूलों से दूरिया बनाना उचित समझा है। मन बनाया है कि सरकारी स्कूल में बच्चे का नाम दाखिल कराया जाये और सुबह-शाम ट्यूशन लगा दी जाये तो बच्चे की पढ़ाई का परिणाम सफल देखने को मिलेगा।
मनामनी फीस बसूलने में लगे प्राईवेट स्कूल
शहर के जानकार ने बताया कि लोग अपने बच्चों को प्राईवेट स्कूल की जगह पर सरकारी स्कूल में पढ़ाई तो बच्चों का भविष्य उज्जबल हो सकता है। इसकी वजह यह है कि सरकारी स्कूल में शिक्षक वह रहते है जो दिन रात मेंहनत करने के बाद सरकारी नौकरी पाते है और सरकाीर स्कूल में उनको पढ़ाने का मौका मिलता है। लेकिन प्राईवेट स्कूलों में वह शिक्षक बच्चों को शिक्षा दे रहे है जो कि सरकारी शिक्षक बनने से दूर रहते है। छात्र छात्रों के लिए सरकार तरह-तरह की योजनाओं से लाभ भी देती है। प्रावईवेट स्कूल सरकार की हर योजना को अपने आप तक सीमित रहती है। क्योंकि करोड़ों रूपए की लागत से बने स्कूल के भवन का मेंटीनेश और स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की पूर्ती करने के लिए अभिभावकों से ही बसूला जाता है। इसी वजह से प्राईवेट स्कूल वाले मनमानी फीस बसूलने में लगे रहते है। जबकि सरकारी स्कूल के शिक्षकों को केवल बच्चों को पढ़ाना होता है और उनको स्कूल के खर्च निकालने से कोई मतलब नहीं रहता है। दो वर्ष से सरकारी स्कूल के परिणाम अच्छे देखने को मिल रहे है इसलिए लोग प्राईवेट स्कूल की वजह सरकारी स्कूल की ओर अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए दौड़ रहे हैं।
सीटें फुल होने के बाद उमड़ रही बच्चों की भीड़
शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-01 प्राचार्य एसके उपाध्याय ने जानकारी देते हुए बताया है कि विगत 29 जून 24 तक 9 वीं क्लाश और 11 वीं क्लाश के स्कूल में नाम दाखिल किये गए थे। इसके बाद छात्र छात्राओं की भारी भीड़ उमड रही है। लेकिन स्कूल की सीटें फुल हो चुकी है। बैठने तक के लिए जगह नहीं है और छात्र छात्राएं नाम दाखिल के लिए प्रतिदिन आ रहे है। जगह न होने की वजह से नाम दाखिल नहीं किए जा सकते है। सरकारी स्कूलों पर शिक्षा का स्तर बढ़ रहा है इसलिए लोग बच्चों का नाम दाखिल कराने के लिए परिसर में आ रहे है। लेकिन जगह नहीं होने के कारण और डेट निकल की वजह से नाम दाखिल नहीं हो सकते है।