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हरिनारायण की उपाधि पर बैठे बाबा ने क्यों नहीं रोका मौतों का तांडव

 


भोले बाबा के सत्संग में 125 से अधिक मौतें,एटा अस्पताल में पहुंचे 27 मृतकों के शव,सत्संग में बच्चों महिलाओं की दर्दनाक मौत का जिम्मेदार कौन।

एटा/हाथरस। जनपद हाथरस के सिकन्दराराऊ इलाके में चल रहे भोले बाबा के सत्संग में अचानक भगदड़ मचने से कई घायल जबकि दस दर्जन से अधिक लोगों की दर्दनाक मौत होने की खबर ने मातमी माहौल बना दिया हैं, हादसे की सूचना से पुलिस और प्रशासन में हड़कम्प मच गया आनन फानन में बचाव दल मौके पर पहुचा और घायल लोगों को एटा मेडीकल कालेज पहुँचाया, जबकि शवों को पोस्टमार्टम भेजा गया, स्थानीय जानकारों से मिली जानकारी के अनुसार थाना सिकन्दराराऊ के पास ग्रामीण इलाके में चल रहे भोले बाबा के सत्संग के दौरान यह हादसा हुआ हैं । लोगों का दबी जुबान कहना हैं कि भोले बाबा के सत्संग के दौरान पूर्व में भी हादसे हुये हैं, बाबजूद प्रसासन बिना सुरक्षा व्यवस्था के ऐसे आयोजनों की छूट देकर हादसों को निमंत्रण देता हैं । बरहाल दुखद हादसों में हताहत लोगों की पहचान कराने और उनके परिजनों को सूचित करने के साथ घायलों के उपचार पर तेजी से काम चल रहा हैं ।

ढोंगी बाबा पर जिला प्रशासन मौन क्यों

हाथरस जिले की तहसील सिकन्दराराऊ के फूलरई में ढोंगी बाबा तथाकथित भोले नाथ महादेव को टारगेट कर खुद को भोले बाबा कहलाता है,जिसका सीधा असर त्राहि-त्राहि कर रही जनता जनार्दन पर पड़ रहा है, जो स्वयं को भगवान भोले बाबा कहलवाता है, जिसके कारण महाकाल के त्रिनेत्र की प्रलय काल भगदड़ आदि में आये दिन मौतें होती रहती है, हाथरस जिले के जिम्मेदार मौन क्यों है, क्यों नही इतनी बड़ी संख्या में मौतों की जिम्मेदारी ढोंगी बाबा पर प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाही करता है।

कौन है भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि

भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि का असली नाम सूरज पाल है. सत्संग में यह बाबा कहते था कि कि मैं पहले आईबी में नौकरी करता था. यूपी पुलिस में भी रहा है, ऐसा दावा किया जाता है कि वीआरएस लेकर बाबा बन गए. नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा एटा के पटियाली तहसील के गांव बहादुर नगरी का रहने वाला है. बाबा ने तैनाती के दौरान सत्संग शुरू किया. फिर नौकरी छोड़कर सूरज पाल साकार विश्व हरि भोले बाबा बन गया और पटियाली में अपना आश्रम बनाया।


बाबा ने खुद दावा किया था कि 26 साल पहले वो सरकारी नौकरी छोड़ उत्तर प्रदेश के अलग-अलग गांव-कस्बे में धार्मिक प्रवचन करने लगे थे. भोले बाबा के पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली समेत देशभर में लाखों अनुयायी हैं।

ढाई दशक से बज रहा भोले बाबा का डंका: तस्वीरों में देखें आलीशान आश्रम, सत्संग और चमत्कार से बढ़ता गया कारवां

सिकंदराराऊ में जहां 120 लोगों की मौत हो गई। उस आश्रम के बाबा की पूरी कहानी पढ़िए। सूरजपाल सिपाही से भोले बाबा बन गए। अब वह सत्संग करते हैं। 

अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में खुफिया सूचनाओं के संग्रह का जिम्मा संभालने वाले सूरजपाल सिंह का अभिसूचना विभाग की सेवा से अचानक ऐसा मोह भंग हुआ कि उन्होंने सन 1997 में सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का फैसला लिया। वह सूरजपाल से भोले बाबा बन गए। वर्ष 1999 में अपने गांव के ही घर को आश्रम का रूप दे दिया। यहां सत्संग शुरू कर दिया।

पटियाली क्षेत्र के बहादुर नगर निवासी सूरजपाल सिंह की अभिसूचना विभाग में सिपाही के रूप में तैनाती हुई। इसके बाद वह हेड कांस्टेबल पद पर प्रोन्नत हुए और उन्होंने हेड कांस्टेबल पद पर रहते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। सत्संग प्रवचन शुरू होने के साथ ही सूरजपाल को भोले बाबा के रूप में पहचान मिली तो उनकी पत्नी को माताश्री के रूप में पहचान मिली।

इनको कोई संतान नहीं है। 1997 के बाद से शुरू हुई भोले बाबा की आध्यात्मिक यात्रा का प्रचार प्रसार तेजी से हुआ। भोले बाबा के सत्संग में लोग अपनी परेशानियां लेकर पहुंचने लगे और भोले बाबा द्वारा अपने हाथों से स्पर्श करके बीमारियां दूर करने का दावा करते रहे। सत्संग और चमत्कार के मोह में उनके अनुयायियों का कारवां बढ़ता चला गया

इस ढाई दशक की यात्रा में हजारों लोग उनके सत्संग में पहुंचने लगे। लोग उनके चमत्कारों को लेकर लगातार उनके अनुयायी बनते चले गए। पटियाली ही नहीं बल्कि कासगंज, एटा, बदायूं, फर्रुखाबाद, हाथरस, अलीगढ़ के अलावा दिल्ली, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित कई राज्यों में भोले बाबा की धूम होने लगी और हजारों लाखों लोग देश में उनके अनुयायी बन गए। भोले बाबा के अनुयायी उनके प्रति कट्टर भी हैं कोई भी बाबा की आलोचना सुनना पसंद नहीं करता है।

बाबा हो या न हो, आश्रम में बड़ी संख्या में पहुंचते हैं भक्त-

भोले बाबा का आश्रम जिले के पटियाली तहसील क्षेत्र के बहादुरनगर गांव में मौजूद है। यह उनका पैतृक गांव भी है। भोलेबाबा का बहादुर नगर में बड़ा आश्रम बना है। इस आश्रम में पहले सप्ताह के प्रत्येक मंगलवार को सत्संग होता था, लेकिन कुछ वर्ष पहले से यह परंपरा टूटी है। लोगों का कहना है कि बाबा पिछले कई वर्षों से आश्रम नहीं आए हैं। लोग यह भी बताते हैं कि बाबा आश्रम में रहें या न रहें, लेकिन उनके भक्तों के आने का सिलसिला अनवरत रूप से जारी रहता है।

बाबा के भक्त श्रद्धालु मंगलवार को विशेष रूप से यहां पहुंचते हैं, लेकिन मंगलवार के अलावा भी आम दिनों में उनके आने सिलसिला जारी रहता है। भक्तों के बीच यह भी मान्यता है, कि आश्रम में लगे नल के पानी से लोग स्नान भी करते हैं, और नल का पानी प्रसाद के रूप में बोतलों में भरकर साथ ले जाते हैं।

भोले बाबा की मान्यता काफी समय से है और इसको लेकर दूर दूर से भक्त यहां नियमित रूप से पहुंचते हैं। पटियाली स्टेशन और बहादुरनगर मार्ग पर मंगलवार को काफी भीड़ देखी जाती है। ट्रेनों से भी भक्तों का आना जाना होता है। भक्तों की मौजूदगी आश्रम में रहने के कारण आश्रम भी गुलजार रहता है। इलाकाई निवासी संजय ने बताया कि आश्रम करीब ढाई दशक पुराना है और यहां भोले बाबा के भक्तों का आवागमन रहता है। वहीं पटियाली के अनुराग बताते हैं कि आश्रम के नल से लोग बोतल में पानी भरकर ले जाते हैं। भक्तों की भोले बाबा में विशेष आस्था रहती है।

पूर्व डीजीपी ने कहा ढोंगी कैसा बाबा-

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा पुलिस में नौकरी करने वाले सूरज पाल पर ढंग से नौकरी तक नही की जाती थी,आए दिन डांट खाने वाले सूरज पाल ने पुलिस की नौकरी से भाग कर ढोंग लीला शुरू कर दी थी, जिसके चलते ढोंगी बाबा ने खुद को महाकाल का एक नाम भोले बाबा अपना रख लिया था, भोले बाबा कहलवाता ढोंगी कैसे वावा है, जनता जनार्दन को भोले बाबा नाम से जुड़ते चले जाने का जिम्मा दिया है, जिसके चलते लाखों लोगों की भीड़ जमा हो जाती है,खास बात है, भोले बाबा के नाम से गांव गांव जाकर चंदा लेने के काम से शुरू हुए थे, आखिर संत सरकार में कार्यवाही क्यों नही हो रही है, जिससे संत सरकार बदनाम हो रही है, उधर कांग्रेस ने आसाराम आदि ढोंगी बाबा सेट कर दिए हैं, इधर पुलिस मुखिया हाथरस हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं, सत्संग की भगदड़ देख इतनी मौतों को सह न सकी खाकी आखिकार पुलिस के सिपाही को हार्टअटेक आने से मौत हुई,जो स्वयं ड्यूटी पर तैनात था ।

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