Type Here to Get Search Results !
ब्रेकिंग न्यूज़

Breaking Posts

Right Post

शिक्षा के मंदिर में बच्चों के हांथ में कलम की जगह झाड़ू


होगी तो पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया का सपना कोरा रहने की उम्मीद ही की जा सकती है
घुवारा। शिक्षा के मंदिर में बच्चों के हांथ में कलम की जगह झाड़ू होगी तो पढ़ेगा इंडिया बढ़ेगा इंडिया का सपना कोरा रहने की उम्मीद ही की जा सकती है। बड़ामलहरा जनपद क्षेत्र की शालाओं में बच्चे झाड़ू पौंछा कर रहे है। ताजा मामला शासकीय माध्यकि शाला सर्किल बड़ामलहरा का है। जहां स्कूलों में बच्चों को झाडू लगानी पड़ रही है।
पढ़ाई की जगह साफ-सफाई में लगे बच्चे-
शिक्षा विभाग को लेकर सरकार बड़े-बड़े दावे करती है। सरकारी शालाओं के बच्चों को बेहतर व्यवस्था और शिक्षा मिल सके इसके लिए करोड़ों रुपये का बजट खर्च किया जा रहा है। बच्चों को मुफ्त किताबें, ड्रेस, जूते, मोजे, स्वेटर और मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था की गई है परंतु क्रियान्वयन सही न होनें के बच्चों को आशा के अनुरूप लाभ नहीं मिल पा रहा है। जनपद पंचायत अंतर्गत संचालित शालाओं में सफाई कर्मी न होनें से बच्चे रोजाना पहले झाड़ू, पौंछा करते है फिर पढ़ाई करते हैं।
क्षेत्र के स्कूलों का हाल बेहाल-
ताजा मामला नगर में संचालित शासकीय माध्यमिक शाला सर्किल बड़ामलहरा का है जहां शिक्षक शिक्षिकाओं की मौजूदगी में बच्चे शाला और परिसर में झाड़ू लेकर साफ सफाई कर रहे थे और शाला में फैले गोबर और जानवरों के मलमूत्र में पानी डालकर झाड़ू से साफ कर रहे थे। वहीं शाला में  पूंछने पर बच्चों ने बताया कि, यह हमारा रोज का काम है। शाला में मौजूद शिक्षक कहते है कि स्वीपर की नियुक्ति न होनें से बच्चे ही साफ सफाई करते हैं। एक देखें तो सरकार ने शासकीय शालाओं के लिए करोड़ों रुपये में भवन से लेकर अन्य व्यवस्थाएं दी है। परंतु साफ सफाई के लिए कोई इंतजाम नहीं किए, इसके अलावा कई शाला में बिजली, पानी औऱ बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है ऐसे में बाल शिक्षा अधिकार का हनन हो रहा है।
शिक्षा सत्र शुरू में होती है परेशानी-
शाला में पदस्थ्य प्रधानाध्यापक नरेंद्र कुमार जैन कहना है कि शिक्षण सत्र 2024-25 अभी शुरू ही हुआ है शाला में बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। शाला में 90 बच्चे दर्ज हैं। अध्यापन कार्य के लिए शाला में 3 शिक्षक पदस्थ्य हैं। बताते हैं कि वर्ष 2013 से यह शाला संचालित है फिर भी बिजली पानी का अभाव है। सफाई व्यवस्था न होनें से शौचालय व पेशाब घर में बदबू दे रहे हैं। शाम को शराबियों का जमावड़ा होने से शाला परिसर में शराब की बोतलें बिखरी रहतीं है।
शासन के नियम बने खिलौना-
स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश का उलंघन मानव अधिकार आयोग की अनुशंसा पर स्कूल शिक्षा विभाग ने पूर्व में एक आदेश जारी किया है कि, सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों से झाड़ू-पोछा करवाने या बर्तन धुलवाने पर संबंधित स्कूल के हेड मास्टर और प्राचार्य की वेतनवृद्धि रोक दी जाएगी। साथ ही भविष्य में पदोन्नाति भी नहीं हो सकेगी। विद्यार्थियों से शिक्षा व खेल के अलावा कोई काम नहीं करवाया जा सकता है। आदेश का उल्लंघन होने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के बावजूद भी शासकीय शालाओं में ऐसी गतिविधियां देखने को मिल रहीं है।
इनका कहना है-
शासकीय शालाओं की साफ- सफाई के लिए ग्रामीण अंचल में ग्राम पंचायत द्वारा स्वीपर के लिए अनुबंध किया गया है। कंटर्जेन्सी मद से स्वीपर का भुगतान होता है। परंतु मेहनताना कम होनें की वजह से नियमित साफ सफाई नहीं होती। शालाओं में बच्चों से साफ- सफाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि गलत है। बच्चों के साथ शिक्षक भी साफ-सफाई करें तो सही है। सर्किल शाला में पेयजल व्यवस्था के संबंध में उन्होंने कहा कि, बोरवेल किए गए परंतु पत्थर निकलने से सफलता नहीं मिली।
प्रमोद कुमार राजपूत, बीआरसीसी

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad