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डीईओ के भ्रष्टाचार की जांच करने सागर से आया चार सदस्यीय दल

 


संभागीय संयुक्त संचालक ने सात दिवस में मांगा जांच प्रतिवेदन एवं अभिमत
छतरपुर। जिला शिक्षा अधिकारी एमके कोटार्य ने जब से डीईओ का पदभार संभाला है तभी से उनके भ्रष्टाचार की नई नई गाथाएं सामने आने लगी थीं। डीईओ ने अनेक जांचों को अपने प्रभाव के चलते दबवा भी दिया। लेकिन इस बार संभागीय संभागीय संचालक कोष एवं लेखा सागर संभाग सागर से एक चार सदस्यीय जांच दल डीईओ के भ्रष्टाचार की जांच करने छतरपुर आया और विभिन्न बिन्दुओं की जांच कर यह सदस्य अपना अभिमत और जांच प्रतिवेदन संभागीय संयुक्त संचालक कोष एवं लेखा सागर को सौपेगा। इस जांच दल में लखनलाल सोनी अतिरिक्त लेखा परिक्षक अधिकारी, गोपेश क्षितिज गौतम सहायक अतिरिक्त लेखा परीक्षक अधिकारी, हेमंत सोनी कोषालय अधिकारी, अनुपम द्विवेदी सहायक ग्रेड-3 शामिल रहे। इस दल ने आशीष जैन सहायक संचालक कोष एवं लेखा के पर्यवेक्षण में पूरी जांच की और जांच को पूरी तरह से गोपनीय रखा।
क्या क्या रहे जांच के प्रमुख बिन्दु-
जिन बिन्दुओं को लेकर सागर से जांच दल छतरपुर आया उन बिन्दुओं में पहला बिन्दु कक्षा 5 व 8 वीं की पूरक परीक्षाएं हुई इन पूरक परीक्षाओं में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा गणवणी की गई। छात्रों को जो परीक्षा पुस्तिका नि:शुल्क मिलना चाहिए थी। उसके भी ऐन समय पर एक-एक हजार रूपए लिए गए। जिसकी शिकायत सागर  संभाग के संभागीय सयुक्त संचालक कोष एवं लेखा सेे हुई। इस बिन्दु पर परीक्षा प्रभारी सहायक ग्रेड़ 3 रोहित खरे की भी जांच शामिल रही।
लापता कर्मचारी को गुपचुप तरीके से कराया था ज्वाईन-
जांच का दूसरा बिन्दु जो प्रमुख रहा उसमें एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी करीब आठ साल तक विभाग से लापता रहा और जब अचानक वह प्रगट हुआ तो जिला शिक्षा अधिकारी की छत्रछाया में उसे पुन: नौकरी पर ज्वाईन करा लिया गया और सेवानिवृत्त होने पर उसका पेंशन प्रकरण बनाकर जिला कोषालय अधिकारी छतरपुर के पास भेजा गया। लेकिन सबसे बड़ी गडबड़ी देखने को यह मिली कि जब चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अनुरूद्ध द्विवेदी आठ वर्षो तक लापता रहा तब इस दौरान शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने न तो कोई नोटिस जारी किया और न ही सार्वजनिक रूप से इस्तहार जारी किया न ही उसके निलंबन और बरखास्तगी की कार्रवाई गई। जैसे ही यह कर्मचारी शिक्षा विभाग में आया तो उसे चुपचाप ज्वाईन कराकर कागजी खानापूर्ति करा दी गई। लेकिन प्रकरण में कहीं न कहीं खामिया होने के कारण उसका पेंशन प्रकरण की फाईल कलेक्टे्रट में रोक दी गई।
चहेते के नाम अलग-अलग तारीखों में लगभग 24 लाख का किया भुगतान-
जिला शिक्षा अधिकारी एमके कोटार्य जब लवकुशनगर में बीईओ के पद पर पदस्थ थे तो वहां भी इन्होंने आर्थिक भ्रष्टाचार किया। बीईओ रहते हुए इनके द्वारा अपने एक नजदीकी चहेते कर्मचारी देवीदीन अहिरवार के खाते में चार बार अलग-अलग तारीखों में लाखों रूपए की राशि भेजी गई। 18  नवम्बर 2019 को 5 लाख 95 हजार, 18 अगस्त 2020 को 7 लाख 50 हजार, 8 अप्रैल 2021 को 5 लाख 50 हजार और 3 नवम्बर 2021 को 5 लाख रूपए फर्जी तरीके से देवीदीन अहिरवार के खाते में डाली गई। इन्हीं आर्थिक भ्रष्टाचारों की जांच करने के लिए सागर संभाग का यह चार सदस्यीय दल छतरपुर आया और जांच रिपोर्ट प्रस्तुत होते ही जिला शिक्षा अधिकारी एमके कोटार्य और परीक्षा प्रभारी रोहित खरे सहायक ग्रेड-3 पर गाज गिरने वाली है।
खेलकूद प्रतियोगिता में भी किया भ्रष्टाचार-
सितम्बर 2023 में राज्य स्तरीय शालेय खेलकूद प्रतियोगिता छतरपुर में आयोजित की गई थी। जिसमें पूरे प्रदेश के संभागों के खिलाड़ी शामिल हुए थे। लेकिन इस प्रतियोगिता के आयोजन में भी जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भारी भ्रष्टाचार किया गया। भोजन से लेकर टेंट और अन्य व्यवस्थाएं अपने चहेते को सौप दी गईं। जबकि शासन के निर्देश है कि इस तरह की प्रतियोगिताओं के आयोजन के लिए टेंडर आमंत्रित किया जाना चाहिए। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने ऐसा नहीं किया और मनमानी तौर पर अपने चहेते को लाखों रूपए का वर्क आडर पकड़ा दिया। यदि इस बिन्दु की भी जांच की जाये तो भारी भ्रष्टाचार सामने आयेगा।

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