अवैध कॉलोनी की रजिस्ट्री पर लगेगी रोक
बगैर लाईसेंस धड़ल्ले से हो रही प्लाटिंग की जमीनों का होगा अधिग्रहण
छतरपुर। मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश भर में धड़ल्ले से निर्मित की जा रहीं अवैध कॉलोनियों पर शिकंजा कसने के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के मुताबिक विभागीय अनुमतियों, कॉलोनाईजर लाईसेंस, रेरा की मंजूरी के बगैर प्लाटिंग कर रातोंरात निर्मित की जा रहीं अवैध कॉलोनियों का जल्द ही सर्वे कराया जाएगा एवं इन कॉलोनियों की जमीनों का अधिग्रहण कर कॉलोनाईजर पर एफआईआर कराई जाएगी। सरकार इन कॉलोनियों को वैध बनाने के लिए जमीनों का अधिग्रहण कर स्वयं इनके प्लाट बेचेगी और फिर इसी राशि से इन कॉलोनियों में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
अवैध कॉलोनी का मतलब क्या?
रातों रात अमीर बनने के लिए अनेक जमीन कारोबारी कृषि भूमियों के छोटे रकवों को खरीदकर इनमें बगैर अनुमतियों के प्लॉटिंग शुरू कर देते हैं। हजार से दो हजार फिट के छोटे भूखण्ड लोगों को बेच दिए जाते हैं। इन कॉलोनियों में न तो सड़क, नाली, बिजली और पानी की सुविधा होती है और न ही सुरक्षा के इंतजाम। यहां रहने वाले लोगों को कई वर्षों तक नगर पालिका या ग्राम पंचायत के द्वारा भी सुविधाएं नहीं दी जातीं क्योंकि ये अवैध निर्माण क्षेत्र माना जाता है। ऐसी कॉलोनियों को ही अवैध कॉलोनी कहा जाता है जबकि शासन के दिशा-निर्देश के मुताबिक आवासीय निर्माण क्षेत्र की वैधानिक अनुमति लेने के बाद टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग से कॉलोनी का नक्शा पास कराने, रेरा की अनुमति लेने, नाली, सड़क, बिजली और पानी की सुविधा उपलब्ध कराने की शर्तों के साथ वैधानिक कॉलोनाईजर लाईसेंसधारी के द्वारा जिन कॉलोनियों का विकास किया जाता है उन्हें वैध कॉलोनी माना जाता है। सरकार अब आम जनता की सहूलियत के लिए अवैध कॉलोनियों के विस्तार पर शिकंजा कसने जा रही है। सरकार ने ऐसी कॉलोनियों की रजिस्ट्रियों पर रोक लगाने और सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं।
इनका कहना-
इस तरह के शासकीय निर्देशों के बारे में मौखिक रूप से जानकारी प्राप्त हुई है लेकिन अभी भोपाल से सर्कुलर प्राप्त नहीं हुआ है। जैसे ही सर्कुलर प्राप्त होता है जिला प्रशासन इस दिशा में कार्य प्रारंभ करेगा।
जीएस पटेल, डिप्टी कलेक्टर, छतरपुर