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बेचारे मासूम छतरपुर प्रशासन को नहीं पता कि कुआँ-तालाब-नालो के कब्ज़ाधारी कौन



छतरपुर प्रशासन पर प्रचलित मुहावरा "दाई से पेट छुपाना" सटीक बैठता है। यानि जानकर भी अनजान बनना। यह सवाल इसलिए उठ रहे है कुआँ-तालाब-नालो-नालो के कब्ज़ाधारी कौन है, बेचारा मासूम सा प्रशासन नहीं जानता। जबकि आम जनता जानती है कि जल स्रोतो और पुराने नालो पर कब्जो के पीछे प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की मिलीभगत है।

छतरपुर जिले का प्रशासन और वर्षो से जमे कर्मचारी इतने मासूम है कि उन्हें नहीं पता कि कितने कुओं पर अवैध कब्जे हो गये है । अंगूठा चूस अपनी ड्यूटी निभाकर सरकार से वेतन पाने वाले यह कर्मचारी यह भी नहीं जानते कि किन किन सार्वजनिक कुओं पर लेंटर डाल उन पर दुकाने बना दी गई। जबकि इन बेचारे कर्मचारियों की सह और मिलीभगत से ही पुराने कुआँ, छोटे बड़े नाले कब्ज़ा लिये गये। अब प्रशासन आम जनता से हेल्प मांग रहा है। क्या ईमानदारी से इन कुओं बाबड़ियों को संरक्षित करने का प्रयास है या दिखावा.... यह देखना होगा। "छतरपुर शहर के कब्ज़ाये कुछ कुआँ" 1. महल के पिछले हिस्से में गर्ल्स स्कूल के सामने एलजी शो रूम के बगल में शारदा फर्नीचर भी कुएं के ऊपर बना है। यह नजरबाग क्षेत्र कहलाता है जहाँ राजसी समय में बाग हुआ करता था। छतरपुर महाराज ने यहाँ छह कुआँ सिचाई के लिये निर्मित कराये थे। दो दिखाई देते है। शेष पर कब्जे है।

इनमे से ही एक कुआँ पर लेंटर डाल शारदा फर्नीचर का शो रूम निर्मित हो गया। इस शो रूम में दुकान के अंदर कुआँ का चेम्बर भी बना है। 2. शहर के ग़ल्ला मंडी में छतरपुर महाराज ने गौ रक्षणी गौशाला के लिये जमीन दान में दी थी। इस गौशाला के पास आज अरबो रूपये की सम्पत्ति है। महाराज साहब ने गौवंश को पानी उपलब्ध कराने के लिये कुआँ भी निर्मित कराया था। इस कुआँ को पाट दुकाने बना दी गई है। 3. छतरपुर शहर के महोबा रोड पर छतरपुर की स्थापना से पूर्व का ऐतिहासिक जानराय टोरिया मंदिर है। बताया जाता है कि मंदिर के महंत परमानन्दजी ने 1603 में तालाब और राम कूप का निर्माण कराया था। इस ऐतिहासिक रामकूप को अब पाट दिया गया है। जिसके ऊपर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स की दूसरी मंजिल पर जाने के लिये सीढ़िया बना दी गई है। 4. शहर के बस स्टेण्ड के पास आधुनिक अपोलो क्रॉस मार्केट। जो सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर विवाद में रहा।

अब कुआँ पर लेंटर डाल उस पर मुख्य आवागमन की सड़क बनाने के विवाद में है। बताया जा रहा कि इस मार्केट के मुख्य प्रवेश द्वार पर पुराना कुआँ हुआ करता था। इस कुआँ पर लेंटर डाल दिया गया। अब कुआँ के ऊपर से मार्केट में आने जाने वाले गुजरते है। यहाँ तक कि वाहन तक गुजरते है। 5. पन्ना रोड पर एक कुआं पर नगर पालिका के द्वारा रोड चौड़ीकरण में उसके ऊपर लेंटर डालकर बंद कर दिया गया। उसके ऊपर लाखों गाड़ियां दिनभर निकलती है। 6. महल रोड बड़कुल चौक पर एक कुआं को पाट कर मार्केट बनाया जा रहा है। यह मार्केट जो अभी निर्माणाधीन है। इसकी शिकायत कई बार हो चुकी है पर कार्यवाही नहीं हुई। वैसे तो सरकार का भारी भरकम महकमा है जिसकी ड्यूटी है कि सरकार की सम्पति पर कब्ज़ा नहीं हो सके पर थाली में छेद करने वाले अधिकारियो और कर्मचारियों की न्योछावर प्रथा के कारण हर नाजायज तरीका जायज हो जाता है।

कब्ज़ा होते समय आँखों पर पट्टी बांध ली जाती है। तभी शहर के तालाब कब्ज़ाधारी मगरमच्छ लील रहे है। कुओं की तलाश जारी है जो चोरी हो गये है वहीं पुराने नाले सिकुड़ कर नाली में बदल गये है।


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