मध्य प्रदेश के बहुचर्चित सिवनी हवाला लूट कांड में गिरफ्तार सीएसपी पूजा पांडेय के मोबाइल की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट ने पुलिसकर्मियों द्वारा रची गई कथित साजिश को पुख्ता तौर पर साबित किया है। रिपोर्ट में सामने आए कॉल रिकॉर्ड और चैट मैसेज मामले की गंभीरता और उच्चाधिकारियों की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।
1. कॉल रिकॉर्ड और साजिश की टाइमलाइन
फोरेंसिक रिपोर्ट ने घटना की रात की एक सटीक टाइमलाइन स्थापित की है जो बताती है कि लूट की योजना बेहद कम समय में बनाई गई थी:
सूचना प्राप्ति: 8 अक्टूबर की रात 11:14 बजे, डीएसपी पंकज मिश्रा से सीएसपी पूजा पांडेय को हवाला की रकम ले जाए जाने की गोपनीय सूचना मिली।
साजिश की शुरुआत: इस सूचना के ठीक 3 मिनट बाद, यानी 11:17 बजे, पूजा पांडेय ने अपने जीजा वीरेंद्र दीक्षित को फोन किया। यह दिखाता है कि सूचना मिलने के तुरंत बाद ही उन्होंने इस लूट की योजना में अपने रिश्तेदार को शामिल किया।
2. 24 घंटे में 53 कॉल: संपर्क की उच्च आवृत्ति
पूजा पांडेय और उनके जीजा वीरेंद्र दीक्षित के बीच अगले 24 घंटों के दौरान कुल 53 बार बात हुई। बातचीत की यह असामान्य आवृत्ति बताती है कि यह केवल सामान्य पारिवारिक संपर्क नहीं था, बल्कि एक गंभीर आपराधिक मामले को अंजाम देने और फिर उसे छिपाने के लिए किया गया निरंतर समन्वय था।
घटना से पहले: 10 बार बातचीत हुई, जो लूट की योजना बनाने और उसकी तैयारी में वीरेंद्र दीक्षित की सक्रिय भूमिका की पुष्टि करती है।
घटना के बाद: 43 बार बातचीत हुई, जो दर्शाती है कि लूट के बाद रकम के बंटवारे, पुलिस की कार्रवाई से बचने या सबूत मिटाने को लेकर लगातार समन्वय और दिशा-निर्देश दिए जा रहे थे।
3. "30-70 में नहीं मानना" चैट मैसेज का निहितार्थ
पूजा पांडेय और वीरेंद्र दीक्षित के बीच रिकवर हुए चैट मैसेज साजिश का सबसे महत्वपूर्ण सबूत हैं।
जीजा का संदेश: "30-70 में नहीं मानना, वो लोग मान जाएंगे और जल्दी करो थोड़ा जल्दबाजी दिखाओगे तो काम हो जाएगा।"
विश्लेषण: यह मैसेज स्पष्ट रूप से हवाला कारोबारियों के साथ रकम के बंटवारे को लेकर चल रही "डील" की ओर इशारा करता है।
30-70 का उल्लेख: यह संभवतः किसी अनुपात में बंटवारे की चर्चा थी, जिसे वीरेंद्र दीक्षित ने अस्वीकार करने की सलाह दी।
"मान जाएंगे" और "जल्दी करो": यह दर्शाता है कि वीरेंद्र दीक्षित, पूजा पांडेय को दबाव बनाने और तत्काल कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर रहा था ताकि हवाला कारोबारी उनके मनचाहे हिस्से पर सहमत हो जाएं। यह पुलिस अधिकारी द्वारा आपराधिक लाभ के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की साजिश को सिद्ध करता है।
सीएसपी पूजा पांडेय के मोबाइल की फोरेंसिक रिपोर्ट, जिसमें कॉल लॉग्स और चैट मैसेज शामिल हैं, ने यह स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कि हवाला लूट की घटना अचानक नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित आपराधिक साजिश थी। डीएसपी पंकज मिश्रा से टिप मिलने से लेकर, जीजा वीरेंद्र दीक्षित के साथ तुरंत योजना बनाना और फिर 53 बार संपर्क करना, यह सब इस बात की ओर इशारा करता है कि पुलिस की वर्दी में इन अधिकारियों ने निजी लाभ के लिए कानून तोड़ा। इन सबूतों के आधार पर ही वीरेंद्र दीक्षित और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज की गई हैं।

