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बुंदेलखंड की बेटी ने रचा इतिहास, क्रांति गौड़ बनीं विश्व विजेता टीम की शान

 


भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर जीता पहला महिला वनडे वल्र्ड कप, घुवारा में जश्न का माहौल

छतरपुर/घुवारा। भारत की बेटियों ने इतिहास रच दिया। मुंबई में खेले गए महिला वनडे वल्र्डकप के फाइनल में भारतीय टीम ने साउथ अफ्रीका को 52 रन से हराकर पहली बार विश्व कप की ट्रॉफी अपने नाम कर ली। यह जीत न सिर्फ देश के लिए बल्कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल के लिए भी गर्व का क्षण रही, क्योंकि टीम इंडिया की इस विजेता टीम में छतरपुर जिले के घुवारा नगर की बेटी क्रांति गौड़ भी शामिल रहीं।
जैसे ही टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की, घुवारा नगर में जश्न का माहौल छा गया। परिजन और ग्रामीण ढोल-नगाड़ों की थाप पर झूम उठे। जगह-जगह पटाखे फोड़े गए, मिठाई बांटी गई और एक-दूसरे को बधाइयां दी गईं। गांव में बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर लोग मैच देखते रहे और जीत के साथ ही 'भारत माता की जयÓ के नारों से आसमान गूंज उठा। क्रांति गौड़ ने फाइनल मैच में शानदार गेंदबाजी करते हुए अपने तीन ओवर के स्पेल में मात्र 16 रन दिए और साउथ अफ्रीका की बल्लेबाजों को बांधे रखा। इस प्रदर्शन से उन्होंने टीम इंडिया की जीत में अहम योगदान दिया।
क्रांति की बहन रोशनी सिंह ने बताया कि बहुत खुशी का पल है। क्रांति को मिलने वाली राशि से हम अपने गांव में नया घर बनवाएंगे। वहीं पिता मुन्ना सिंह गौड़ ने कहा कि आज बेटी ने पूरे गांव, जिले और देश का नाम रोशन किया है, यह क्षण हमारे जीवन का सबसे गर्वित पल है। मां नीलम सिंह की आंखों में खुशी के आंसू छलक उठे, उन्होंने कहा कि क्रांति ने साबित किया कि बेटियां किसी से कम नहीं होतीं।
क्रांति के कोच रहे राजीव बिल्थरे ने बताया कि क्रांति ने शुरुआत में ही अपनी गेंदबाजी से सबका ध्यान खींचा था। आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन उसके जज्बे और मेहनत ने सब बदल दिया। आज वह भारत का नाम ऊंचा कर रही है। वहीं नौगांव रोड स्थित पेप्टेक टाउन के जेपी सिनेमा मैदान में भी बड़ी स्क्रीन लगाकर मैच का सीधा प्रसारण किया गया, जहां डीसीसीए अध्यक्ष विनय चौरसिया, कोच राजीव बिल्थरे सहित कई लोगों ने मैच का आनंद लिया और जीत के बाद आतिशबाजी कर खुशी जताई।
भारत की इस ऐतिहासिक जीत पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने भी वीडियो जारी कर महिला टीम को बधाई दी और कहा हमारी छोरियां भी छोरों से कम नहीं हैं। यह दिन भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
8 साल की उम्र से शुरू हुआ था संघर्ष
क्रांति गौड़ की कहानी प्रेरणा से भरी है। 8 साल की उम्र में जब उन्होंने गांव के मैदान में लड़कों के साथ क्रिकेट खेलना शुरू किया तो लोग ताने देते थे ये लड़कों का खेल है। लेकिन क्रांति ने हिम्मत नहीं हारी। पिता की नौकरी में निलंबन के बाद घर की हालत कमजोर थी, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। कोच राजीव बिल्थरे ने उन्हें मुफ्त प्रशिक्षण दिया, उपकरण मुहैया कराए और आगे बढऩे का रास्ता दिखाया। धीरे-धीरे उन्होंने जिला, राज्य और फिर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। महिला प्रीमियर लीग में यूपी वॉरियर्स ने उन्हें 10 लाख रुपए के बेस प्राइस पर खरीदा, और यहीं से उनका करियर नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में उन्होंने 52 रन देकर 6 विकेट लिए और झूलन गोस्वामी का रिकॉर्ड तोड़ दिया। उनके शानदार प्रदर्शन के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने क्रांति गौड़ को एक करोड़ रुपये की सम्मान राशि देने की घोषणा की है। आज घुवारा की यह बेटी करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा बन चुकी है। सीमित संसाधनों के बीच जन्मी यह कहानी बताती है कि अगर हौसला और मेहनत साथ हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता।
क्रांति गौड़ को विश्वविद्यालय से मानद उपाधि दिए जाने की मांग
महिला विश्वकप में छतरपुर जिले की बेटी क्रांति गौड़ के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव डॉ. पीके पटैरिया और विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्य नीरज भार्गव ने मानद उपाधि से सम्मानित किए जाने की मांग की है। उन्होंने एक प्रेस नोट जारी करके कहा कि बुन्देलखण्ड के घुवारा की  रहने वाली और छतरपुर डिस्ट्रिक क्रिकेट एसोसिशन के अंतर्गत खेलने वाली क्रांति गौड़ ने पहली बार महिला क्रिकेट वल्र्डकप में शामिल होकर विश्वविजेता टीम का हिस्सा बनी हैं। क्रांति ने पूरे टूर्नामेंट में 14 विकेट लेकर शानदार खेल का प्रदर्शन किया है। अत: इस असाधारण प्रदर्शन के आधार पर महाराजा छत्रसाल बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय छतरपुर को क्रांति गौड़ को मानद उपाधि से सम्मानित करना चाहिए जिससे बुन्देलखण्ड क्षेत्र के गरीब, आदिवासी वर्ग की लड़कियों में एक संदेश जाए कि यदि प्रतिभा आपके पास है तो कोई भी यह स्थान बना सकता है। उन्होंने यह भी लिखा कि वर्तमान में पदस्थ महिला कुलगुरू को विद्या परिषद में प्रस्ताव लाकर कार्यपरिषद से अनुशंसा हेतु प्रस्ताव रखना चाहिए कार्यपरिषद के सदस्य नीरज भार्गव ने कहा कि अगर इस तरह का प्रस्ताव आता है तो कार्यपरिषद इसका पूर्ण रूप से समर्थन करेगी।

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