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भाजपा, कांग्रेस, अधिकारी, कर्मचारी सहित व्यापारी खेल रहे थे जुआ

 

पूर्व जिला पंचायत सदस्य के फार्म हाउस पर पकड़ा जुआ,रात भर थाने में रहे जुआरी, तहसील न्यायालय से मिली जमानत

छतरपुर। घड़ी में रात 11 का वक्त हो चुका था। शहर के एक बाहरी हिस्से में सब कुछ सेट था। बड़े-बड़े व्यापारी, अधिकारी और कुछ नेता अपनी जेबों में लाखों रूपए की गड्डियां भरकर हार-जीत के दांव लगा रहे थे तभी अचानक पुलिस की एक 20 सदस्यीय टीम जुए का अड्डा बने इस फार्म हाउस पर आ धमकी। पुलिस को पता था कि यह जुआ शहर का सबसे बड़ा जुआ है। क्योंकि यहां जुआ खेल रहे लोग साधारण नहीं हैं। जाहिर है पुलिस ने फार्म हाउस के भीतर घुसते ही न सिर्फ जुआरियों को दबोचा बल्कि वीडियो रिकॉर्डिंग भी शुरू कर दी। इस हाई प्रोफाइल जुए की खबर सिर्फ आधे घंटे के भीतर ही पूरे शहर में आग की तरह फैल गई। मौके पर पहुंचे मीडियो ने तस्वीरों को लाइव किया तो शहर के कई इज्जतदार चेहरों के नकाब उतर गए।

शहर में भी जुए के एक फड़ पर पकड़े गए कई जुआरियों की इज्जत की धज्जियां उड़ गईं। तारीख थी 22 अक्टूबर यानि दीपावली के ठीक एक दिन बाद। छतरपुर के देरी रोड पर पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवीदीन कुशवाहा के फार्म हाउस पर जुए का एक बड़ा अड्डा सजाया गया। जुए के इस अड्डे पर शहर के नामचीन लोगों को हार-जीत के दांव लगाने के लिए आमंत्रित किया गया। खबर है कि लगभग 30 से 35 लोग इस जुए के फड़ पर जुआ खेलने पहुंचे थे। सबके पास मौजूद रकम तकरीबन डेढ़ से दो करोड़ रूपए थी। इन लोगों ने रात करीब 9 बजे से जुआ खेलना शुरू किया फिर कुछ लोग इस जुए के फड़ से चले गए।

 रात करीब 11 बजे किसी ने इस सुनसान इलाके में चल रहे जुए की सूचना पुलिस को दे दी। पुलिस घात लगाए बैठी थी इसलिए बहुत कम वक्त में ही सिविल लाइन थाना प्रभारी सतीश सिंह एक बड़ी टीम लेकर यहां दबिश देने पहुंच गए। कुछ ही देर में सीएसपी अरूण सोनी भी मौके पर पहुंचे और पुलिस टीम ने यहां से बड़ी रकम के साथ 24 जुआरियों को हिरासत में ले लिया। पुलिस के मुताबिक जुए के फड़ से उन्हें कुल 14 लाख 10 हजार रूपए मिले हैं। इतना ही नहीं जुआरियों के 26 मोबाइल, 3 कार एवं ताश की गड्डी सहित करीब 50 लाख रुपए की संपत्ति बरामद हुई। आमतौर पर जुए के अड्डों पर पुलिस की दबिश होती है तो इसे साधारण अपराध मानकर जुआरियों को थाने से जमानत दे दी जाती है। यदि आदतन बदमाश पकड़े गए तो उनका जुलूस निकाला जाता है लेकिन इस बार कहानी अलग थी। जुए के फड़ पर पकड़े गए लोग शहर के ऐसे सफेदपोश लोग थे जिनके नाम और चेहरे सामने आने के बाद न सिर्फ मीडिया पूरी ताकत के साथ सक्रिय हो गया बल्कि पुलिस और सियासत भी सरगर्म हो गई।

पुलिस को लगा कि पकड़े गए जुआरियों को आसानी से छोड़ देंगे तो उस पर लेनदेन के आरोप लगेंगे इसलिए पुलिस ने पकड़े गए जुआरियों पर जुआ एक्ट के साथ-साथ शांतिभंग करने की धाराओं में भी मुकदमा दर्ज किया ताकि इन जुआरियों की जमानत रात को ही न हो सके। जमानत को लेकर भी अगली सुबह तक हाईप्रोफाइल ड्रामा चला जिस पर बाद में बात करेंगे लेकिन इसके पहले जान लीजिए कि आखिर जुए के फड़ पर पकड़े गए ये सफेदपोश चेहरे कौन-कौन से हैं। हम इन चेहरों के नाम और पहचान आपको इसलिए बता रहे हैं ताकि आप यह समझ सकें कि जुए के फड़ पर कितनी मिलनसारिता और अपनेपन का माहौल होता है। अक्सर विचारों को लेकर एक-दूसरे से लडऩे वाली भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों को पता ही नहीं कि उनके नेता कितने अपनेपन के साथ इस जुए के फड़ पर जुआ खेल रहे थे। पकड़े गए जुआरियों में तीन भाजपा नेता, एक कांग्रेस नेता के अलावा कई नामचीन व्यापारी, सड़क ठेकेदार, भू माफिया, सरकारी अधिकारी तक शामिल हैं।  

इस जुए के फड़ पर पुलिस ने छतरपुर जिला पंचायत के सदस्य शशिकांत उर्फ छोटू शुक्ला को पकड़ा जो भाजपा नेता भी है। इसके अलावा भाजपा के ही एक और बड़े नेता लखन पचौरी भी दबोचे गए जो पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और सांसद वीडी शर्मा के काफी करीबी नेता रहे हैं। इसी तरह भाजपा कार्यकर्ता इन्द्रजीत सिंह बुन्देला उर्फ बबली राजा गठेवरा को भी यहां से पकड़ा गया। इसके अलावा पुलिस ने यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संतोष अग्रवाल को भी पकड़ा जो पूर्व में छतरपुर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। बात राजनीति पर ही नहीं रूकी। प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर बिजावर जनपद के एसडीओ ओपी दुबे भी यहां से पकड़े गए। पुलिस ने यहां से सट्टा किंग राहुल शुक्ला को भी दबोचा तो वहीं ग्रेनाईट कारोबारी अरूण उर्फ बब्बू गुप्ता भी पकड़े गए। एक और नाम सामने आया, हालांकि जुए की दुनिया के लिए यह कोई नया नाम नहीं था इन्हें पहले भी कई जुए की फड़ों पर पकड़ा जा चुका है और ये नाम है करोड़पति लोहा करोबारी अजय उर्फ मम्मू अग्रवाल का। इसके अलावा एक शिक्षक कैलाश मिश्रा, एक प्लॉट कारोबारी अंशुल मिश्रा के अलावा महेश रैकवार नौगांव, सुनील कुमार चौबे, रामभरत पटेल, सुशील अवस्थी, पूर्व मण्डी अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता के पुत्र शैलेन्द्र उर्फ सिल्लू गुप्ता नौगांव, सुशील पाण्डेय, सीताराम उर्फ उपकार असाटी, वीरेन्द्र पाण्डेय, सूर्यप्रताप सिंह, मंगल सिंह, हर्ष यादव, सतीश कुमार खरे, ऋषि सिंह  शामिल है।

पुलिस चाहती तो इन्हें सिर्फ 13 जुआ एक्ट के साथ  रात को ही जमानत पर छोड़ सकती थी क्योंकि जुआ खेलना इस देश में कोई बड़ा अपराध नहीं माना जाता है लेकिन बड़े नाम सामने आने के कारण पुलिस पर एक दबाव रहता इसलिए पुलिस ने इनके विरूद्ध धारा 151 यानि शांतिभंग होने का मुकदमा भी दर्ज कर दिया। इस मुकदमे में जमानत देने की पात्रता तहसीलदार को होती है। सभी जुआरी रात भर थाने में ही रहे और अगले दिन मीडिया के 100 से ज्यादा कैमरों के बीच इन्हें तहसील न्यायालय में पेश किया गया जहां से इन्हें जमानत दे दी गई। जब इन्हें न्यायालय में ले जाया गया तब इन नामचीन लोगों को अपना वही चेहरा रूमाल और तौलिया से ढकना पड़ा जिस चेहरे को चमकाने के लिए ये लोग अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर रहे थे। बहरहाल मीडिया ने भी इस मामले का खूब ट्रायल किया इस तरह से जैसे पुलिस ने बड़े आतंकवादी पकड़ लिए हों। इसमें बुराई भी नहीं है क्योंकि जब अपराध से जुड़े छोटे नाम सामने आते हैं और उन पर रहम नहीं किया जाता तब बड़े नामों पर रहम क्यों किया जाए।  जुए के फड़ पर पकड़े गए कई लोग सामाजिक तौर पर बेहद शानदार लोग हैं लेकिन उन्हें इस एक अपराध की कीमत अपनी छवि को दागदार कर चुकानी पड़ी। वहीं जिला पंचायत सदस्य छोटू शुक्ला के भाई ने तहसील न्यायालय में मीडिया के कैमरों के सामने कहा कि जुआ दो करोड़ रूपए का था। मीडिया को बाकी रकम का मुद्दा भी उठाना चाहिए। आखिर यह रकम कहां गई? इस सवाल का जवाब तो सीएसपी अरूण सोनी भी नहीं दे पाए।

 

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