छतरपुर शहर में 9 अक्टूबर से शुरू हुए 'मेला जलविहार' में नगर पालिका और झूला ठेकेदार की गंभीर लापरवाही सामने आई है। आरोप है कि नगर पालिका ने ठेकेदार से लगभग 35 लाख रुपये जमा तो करा लिए, लेकिन लोगों की सुरक्षा को ताक पर रख दिया है। मेले में लगे झूले बिना किसी फिटनेस जांच के चलाए जा रहे हैं और सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं।
मुख्य बिंदु:
सुरक्षा से खिलवाड़: झूलों का संचालन बिना फिटनेस प्रमाण पत्र के शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा, मेला परिसर में आग जैसी घटनाओं से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र या अन्य कोई उपकरण मौजूद नहीं है।
अनुबंध का उल्लंघन: नगर पालिका और ठेकेदार के बीच 20 शर्तों का अनुबंध हुआ था, जिसका पालन नहीं हो रहा है। ठेकेदार को अनुबंध से पहले पूरी राशि जमा करनी थी, जो अभी तक नहीं की गई है।
ठेकेदार की जिम्मेदारियां: अनुबंध के अनुसार, बिजली कनेक्शन, ट्रांसफॉर्मर, पुलिस बल, सिक्योरिटी गार्ड और किसी भी दुर्घटना की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की थी। इन शर्तों का भी पालन नहीं हो रहा है।
विवाद के नए कारण: अनुबंध में मेले की अवधि 25 दिन तय की गई थी, लेकिन मेला 20 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है, जिससे अवधि काफी कम हो गई है। इसके अलावा, ठेकेदार को नगर पालिका को 10,000 मुफ्त झूला टोकन देने थे, जो अब तक नहीं दिए गए हैं। कम समय और टोकन न दिए जाने से यह मामला विवाद का कारण बन सकता है।
अधिकारी का बयान: मेला प्रभारी गोकुल प्रसाद प्रजापति ने कहा है कि झूलों की फिटनेस की जांच जल्द ही करवाई जाएगी और ठेकेदार को अनुबंध की शर्तों के अनुसार ही संचालन करने के निर्देश दिए।