कांग्रेस की कार्यवाहक जिलाध्यक्ष ने पत्रकारवार्ता में प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप।
छतरपुर। कांग्रेस की कार्यवाहक जिलाध्यक्ष दीप्ती पाण्डेय ने मंगलवार की दोपहर शहर के एक निजी होटल में पत्रकारवार्ता आयोजित कर प्रशासन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
दीप्ती पाण्डेय ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखाकार परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट में छतरपुर जिले की गौरिहार तहसील में 42 लाख रूपए की गड़बड़ी पकड़ी गई है। यह रिपोर्ट मध्यप्रदेश विधानसभा के पटल पर रखी जा चुकी है पर दोषी कर्मचारी आज भी अपनी ड्यूटी पर तैनात रहकर गरीब ग्रामीणों का खून चूसने से बाज नहीं आ रहे हैं। शर्मनाक तथ्य यह है कि कैग ने सेम्पल के तौर पर गौरिहार तहसील को चुना था। पर हकीकत यह है कि छतरपुर जिले की प्रत्येक तहसील में अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि के वितरण में करोड़ों का घोटाला हुआ है। पटवारियों ने अधिकारियों की मिलीभगत से आपदाग्रस्त किसान को मिलने वाली राहत राशि अपने चहेतों के खातों में स्थानान्तरित कराई और फिर उसे निकालकर खुद डकार गए। किसान बेचारे हाथ मलते रह गए। जिला मुख्यालय की छतरपुर तहसील की जांच की जाए तो सबसे अधिक धनराशि का कपटपूर्ण भुगतान दिखाई देगा। जबकि जिला मुख्यालय पर शासन / प्रशासन के प्रमुख लोग रहते हैं। उल्लेखनीय है कि कैग की रिपोर्ट पर प्रदेश के सिवनी सीहोर एवं शिवपुरी के जिला कलेक्टर ने दोषी पटवारियों एवं राजस्व कर्मचारियों के विरुद्ध थाने में आपराधिक प्रकरण (एफआईआर दर्ज कराकर तथा सेवा से बर्खास्त कर कपटपूर्ण भुगतान की राशि वसूलने के निर्देश दिए हैं। तहसीलदारों से कहा गया है कि दोषी कर्मचारियों की चल-अचल सम्पत्ति से राशि वसूली जाए।
दीप्ति पाण्डेय ने 02 जून 2025 को जिला कलेक्टर को लिखित में शिकायती आवेदन दिया था जिसमें कपटपूर्ण भुगतान के बहुत से तथ्य भी उन्हें सौंपे थे पर जिला प्रशासन द्वारा इसमें न रूचि लेकर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। जबकि इस प्रकरण को पार्टी नेतृत्व ने अत्यंत गंभीरता से लिया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा 23 अगस्त 2025 को आयुक्त सूखा राहत को शिकायत प्रेषित की गई। जिस पर आयुक्त सूखा राहत द्वारा छतरपुर कलेक्टर को 09 सितम्बर 2025 को जांच के निर्देश दिए गए।
कांग्रेस की कार्यवाहक जिलाध्यक्ष ने कहा कि यह भी आशंका है कि अकेले गौरिहार में ही नहीं पूरे छतरपुर जिले में किसानों की सूखा राहत राशि का कपटपूर्ण भुगतान किया गया है और आज भी हो रहा है। छतरपुर तहसील अंतर्गत चौका, पिपैराखुर्द एवं काशीपुरा पटवारी हल्कों की नकलें प्राप्त कर प्रमाणित प्रतिलिपियों में पटवारियों द्वारा किए गए कपटपूर्ण भुगतान के प्रमाण सामने आए हैं, हाईकमान भोपाल ने सभी प्रमाणों की गंभीरतापूर्वक जांच की तथा जांच उपरान्त कपटपूर्ण भुगतान के सबूत मेरे माध्यम से जिला प्रशासन को उपलब्ध करा दिए हैं।
उन्होंने बताया कि सूखा राहत आयुक्त के 09 सितम्बर 2025 के जांच आदेश पर संयुक्त कलेक्टर छतरपुर द्वारा 22 सितम्बर 2025 को जांच के आदेश दिए गए। जांच आदेश में अधीक्षक भू-अभिलेख आदित्य सोनकिया, सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख रामलाल गुप्ता तथा सरमनलाल विश्वकर्मा राजस्व निरीक्षक भू-अभिलेख छतरपुर को जांच दल का सदस्य बनाया गया है। इस जांच दल को गहन जांच कर संयुक्त जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने हेतु 15 दिन का समय दिया गया था। मेरे द्वारा 03 अक्टूबर 2025 को अधीक्षक भू-अभिलेख छतरपुर को जांच में सहयोगी लिखित तथ्य उन्हें उपलब्ध कराए गए हैं। इसके बावजूद अभी तक जांच दल द्वारा कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है।
यह भी उल्लेखनीय है कि छतरपुर तहसील के पटवारी हल्का छतरपुर तहसील अंतर्गत ग्राम नंदगांवखुर्द, खैरों, पापटा, लुंदवास, रमपुरा, पिपौराकलॉ, खडग़ॉय, रसोईया ठाकुरन, परा, मातगुवां, ढालियनपुरा, इकारा, गोंची, हिम्मतपुरा, छिरावल, मानपुरा, अतरार, बिहारीगंज, दालौन, नैगुवां, छापर, कुंवरपुरा, भड़ंनपुरा (वीरान), बसाटा, पड़रिया, कदवां, बछरौनियां, बनगॉय, धमौरा, कैंडी, चकभगवंतपुरा, गौरगॉय, भगवंतपुरा (धामची), सौरा, मुवासी, टरा, हमा, सूरजपुरा (वीरान), मौरवा, मारगुवा, कलानी, पिड़पा, बरद्वाहाखुर्द, बरमौला (वीरान), बारी, श्यामरा, निवारी, खामरी, हर्रई, खौंप आदि में भी इसी तरह के कपटपूर्ण भुगतान किए गए हैं। श्रीमती पाण्डेय द्वारा इन हल्कों की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत् 20 अगस्त 2025 को तहसीलदार छतरपुर से मांगी है पर आज दिनांक तक उनके द्वारा जानकारी नहीं दी गई है। इन हल्कों की जांच में और भी अधिक सच्चाई सामने आ जाएगी।

