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खुले आसमान के नीचे जंग खा रही साइकिलें, लापरवाही की भेंट चढ़ा बच्चों का अधिकार

 

By जावेद खान "लवकुशनगर"
लवकुशनगर।
शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महोबा रोड, लवकुशनगर में शिक्षा विभाग की योजनाओं की सच्चाई एक बार फिर उजागर होती दिख रही है। विद्यालय परिसर में खुले आसमान के नीचे सड़ती, जंग खाती, धूप और बारिश से खराब हो रही सैकड़ों साइकिलें बच्चों के अधिकार और सरकारी योजनाओं की बदहाल स्थिति की गवाही दे रही हैं।

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग द्वारा ग्रामीण अंचलों से पढऩे आने वाले छात्र-छात्राओं को समय पर विद्यालय पहुंचाने और उनकी पढ़ाई में कोई व्यवधान न हो, इसके लिए हर साल हजारों साइकिलें वितरित की जाती हैं। परंतु विद्यालय प्रबंधन की घोर लापरवाही और विभागीय उदासीनता के चलते यह साइकिलें अपने असली हकदारों तक पहुंचने से पहले ही खराब हो जाती हैं।
खुले आसमान में रखी जाती हैं साइकिलें
प्राप्त जानकारी के अनुसार, साइकिलें खुले कल-पुर्जों के रूप में विद्यालय में पहुंचती हैं, जिन्हें साइकिल मिस्त्री द्वारा जोड़कर विद्यार्थियों को वितरित किया जाता है। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में लापरवाही की हदें पार हो जाती हैं — साइकिलें कई-कई हफ्तों तक बिना ढके खुले मैदान में पड़ी रहती हैं। तेज धूप से उनके टायर चटक जाते हैं और बारिश से कल-पुर्जों में जंग लग जाती है।
1 साल में कबाड़ बन जाती हैं साइकिलें
स्थानीय लोगों के अनुसार, घटिया गुणवत्ता और रख-रखाव की कमी के चलते ये साइकिलें अधिकतम एक साल भी नहीं चल पातीं। परिणामस्वरूप, वे कबाड़ के भाव बिकने की कगार पर पहुंच जाती हैं। इससे न केवल सरकार का पैसा बर्बाद हो रहा है, बल्कि बच्चों को समय पर स्कूल आने का जो साधन मिलना चाहिए था, वह भी बेमतलब हो जाता है।
प्रशासन और प्रबंधन मौन
विद्यालय प्रबंधन की इस लापरवाही पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न तो इन साइकिलों के लिए कोई सुरक्षित भंडारण की व्यवस्था है, न ही वितरण प्रक्रिया को सुचारु रूप से अंजाम दिया जा रहा है। वहीं शिक्षा विभाग की ओर से भी इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्यवाही होती नहीं दिख रही है।
समाजसेवियों ने की हस्तक्षेप की मांग
स्थानीय समाजसेवियों और पालकों ने इस गंभीर मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यदि समय रहते इन साइकिलों को सुरक्षित रूप से रखा और वितरित नहीं किया गया, तो सरकार की लाखों रुपये की योजना मात्र कागजों तक ही सीमित रह जाएगी।

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