पहली ही बरसात में टपकने लगी छतें, फॉल सीलिंग से गिर रहा पानी।
हरपालपुर। झाँसी मंडल के अंतर्गत आने वाले हरपालपुर रेलवे स्टेशन पर अमृत भारत योजना के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर कराए गए निर्माण कार्य की पहली ही बारिश ने पोल खोल दी। शनिवार को हुई दो घंटे की बारिश में स्टेशन परिसर पानी-पानी हो गया। वेटिंग हॉल, टिकट विंडो, प्लेटफार्म शेड और आरक्षक कक्ष तक पानी टपकने लगा। दीवारों से मोटी धार के रूप में पानी गिरता रहा, जिससे यात्रियों और कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
स्टेशन की छतों से मानो झरने बहने लगे। फॉल सीलिंग और नई लाइटिंग से सजाए गए टिकट काउंटर के पोर्च से पानी रिसने लगा, जिससे टिकट काउंटर के अंदर पानी भर गया। आरक्षित और अनारक्षित टिकट विंडो पर तैनात रेलवे कर्मचारी भीगती मशीनों और पानी भरे फर्श के बीच जान जोखिम में डालकर टिकट बिक्री करते नजऱ आए। कर्मचारी कुर्सियों पर पैर चढ़ाकर खुद को करंट से बचाने की कोशिश करते दिखे।
गौरतलब है कि इससे पहले प्री-मानसून की हल्की बारिश में भी स्टेशन परिसर में पानी भर चुका है। बावजूद इसके अधिकारियों ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता की अनदेखी की। स्थानीय निरीक्षण से लेकर डीआरएम कार्यालय तक के अधिकारी निर्माण की खामियां पकडऩे में नाकाम रहे। नतीजा, पहली भारी बारिश में ही 12 करोड़ की लागत से हुए निर्माण कार्य की असलियत सामने आ गई।
टिकट काउंटर के बाहर फिसलन भरा चिकना पत्थर लगा हुआ है, जहां यात्रियों के फिसलने का डर लगातार बना रहता है। जनरल वेटिंग हॉल, प्लेटफार्म शेड्स और स्टेशन की दीवारों से भी पानी टपकता रहा, जिससे यात्रियों को बैठने तक की जगह नहीं मिली।
हरपालपुर स्टेशन केंद्रीय मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार के लोकसभा क्षेत्र में आता है। वर्षों पुराने इस स्टेशन को उनके अथक प्रयासों से अमृत भारत योजना में शामिल किया गया था, लेकिन निर्माण कार्य की गुणवत्ता ने योजना की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब सवाल ये है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद ऐसा घटिया निर्माण कैसे हुआ? क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में ही दफन हो जाएगा?