नौगांव मेला महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के मंच पर देर रात तक चली फूहड़ता।
खराब साउंड सर्विस एवं घिसे पिटे कलाकारों की प्रस्तुतियों पर दर्शकों ने किया हुड़दंग।
सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस के कुछ जवान भी मंच पर बैठ डांसरों के ठुमकों का लेते रहे मजा।
नौगांव।शहर में मेला महोत्सव के तहत आयोजित मेला के मंच पर बुधवार की रात आर्केस्ट्रा नाइट के नाम पर फिल्मी गानों नृत्यांगनाओं के द्वारा अश्लील से युक्त नृत्य कर फूहड़ता भरा कार्यक्रम पेश किया गया तो वहीं कार्यकम में रही सही कसर खराब साउंड सर्विस एवं घिसे पिटे कलाकारों ने पूरी कर दी। खराब साउंड सर्विस एवं घिसे पिटे कलाकारों की प्रस्तुतियों पर दर्शकों ने हुड़दंग किया, दर्शकों की भीड़ को नियंत्रित करने मंच के पास सुरक्षा व्यवस्था में लगी पुलिस के कुछ जवान भी मंच पर बैठ डांसरों के ठुमकों का मजा लेते रहे, जिससे आर्केस्ट देखने और सुनने आए श्रोताओं को एक अच्छे कार्यक्रम की जगह पर निराशा हाथ लगी।
नगर पालिका द्वारा आयोजित मेला महोत्सव शहर में विरासत उत्सव से कम नहीं, लेकिन इसको लेकर नगर पालिका का उदासीन रवैया सामने आ रहा है, मेला में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के नाम पर होने वाले आयोजनों में लगातार स्तरहीन कार्यक्रम सिर्फ बजट की राशि को ठिकाने लगाने के अलावा कुछ नहीं हो रहा है। शहर में मेला नुमाइश लगाने की शुरुआत सन 1954 में तत्कालीन बुंदेलखंड के नौगांव कमिश्नर ने की थी।
जिसमें मेला वीक नाम से क्षेत्रवासियों के मनोरंजन एवं व्यापार के लिए मेला लगाया गया, तो वहीं क्षेत्र की प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने क्षेत्रवासियों के मनोरंजन के उद्देश्य से क्रिकेट, चौसर, कबड्डी, बैलगाड़ी दौड़ सहित विभिन्न प्रकार के खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। समय के साथ परिवर्तन हुए कुछ खेल चौसर, बैलगाड़ी दौड़ जैसे आदि खेल बंद हो गए तो वहीं लोगों की रुचि अनुसार क्रिकेट, कबड्डी, बास्केटबॉल, वालीबॉल आदि खेल प्राथमिकता के साथ भव्यता के साथ आयोजित होने लगे, इसी के चलते नगर पालिका ने भी मेला वीक को मेला महोत्सव नाम देकर नए वर्ष के इस आयोजन को भव्यता प्रदान की और लगभग एक महीने तक शहर में मेला महोत्सव के दौरान किसी विरासत उत्सव से कम माहौल नहीं रहता है। लेकिन बीते वर्षों में नगर पालिका के अधिकारियों, कर्मचारियों की लापरवाही और कुछ चुनिंदा लोगों के कारण से यह विरासत उत्सव जैसा पर्व मेला में लूट खसोट, ठेकेदारी प्रथा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में झालमेल आदि देखने को मिल रहा है, जिससे यह मेला महोत्सव न होकर अब चुनिंदा लोगों के लिए नए वर्ष के लाभ का महोत्सव बन कर रह गया है। इसी के तहत मेला के मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में बुधवार की रात
आर्केस्ट्रा नाइट कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लेकिन आर्केस्ट्रा सुनने और देखने पहुंचे संगीत प्रेमियों को इस वक्त निराशा हाथ लगी जब मंच पर आर्केस्ट्रा नाइट के नाम पर लेडी डांसरों के द्वारा फिल्मी गानों पर लगातार अश्लील एवं फूहड़ता भरे नृत्य पेश किए गए, इतना ही नहीं आर्केस्ट्रा में एक दो गायक छोड़कर बाकी अन्य घिसे पिटे कलाकार आए जिन्हें सुनने के दौरान श्रोताओं ने गायकों की हूटिंग की तो युवाओं ने खराब कार्यक्रम प्रदर्शन होने पर हुड़दंग किया। खराब कार्यक्रम में रही सही कसर ऑर्केस्ट्रा में लगे साउंड सर्विस की खराब क्वालिटी ने पूरी कर दी। कार्यक्रम के दौरान दर्शकों की भीड़ को नियंत्रित करने मंच के पास सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन ने निभाई, लेकिन जब मंच पर नृत्यांगनाएं फिल्मी गानों पर अश्लील एवं फूहड़ता भरा डांस पेश कर रही थी उस समय लुगासी चौकी में पदस्थ पुलिस के सिपाही
सोनू यादव सहित अन्य कुछ जवान मंच पर बैठकर डांसरों के ठुमकों का मजा लेते रहे, जिससे आर्केस्ट्रा देखने और सुनने आए श्रोताओं को एक अच्छे कार्यक्रम की जगह पर निराशा हाथ लगी।
जिनके हाथ में व्यवस्था दुरुस्त करने की जिम्मेदारी वही मंच पर मजा लेते रहे-
मेला महोत्सव के तहत चल रहे मंच पर कार्यक्रम एवं मेला की व्यवस्था एवं सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस सम्हाल रही है। रात में सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान भी पुलिस सुरक्षा की जिम्मेदारी सम्हाल रही है, लेकिन बुधवार की रात आर्केस्ट्रा कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा में तैनात पुलिस के कुछ जवान व्यवस्था सम्हालने के बजाय मंच पर डांसरों के ठुमकों का मजा लेते नजर आए। मंच पर पुलिस के जवान बैठने से नीचे दर्शक दीर्घा में बैठे लोग हुड़दंग करते नजर आए।
मेला लगाने के पीछे प्रशासन शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रदर्शनी लगाकर एवं मेला में नागरिकों को मनोरजंन के लिए दुकानदारों को कम रेट पर प्रदर्शनी एवं दुकान लगाने के लिए आमंत्रित किया जाता था, जिसमें नगर पालिका प्रशासन मेला को आय का श्रोत ना मानकर जनता के मनोरंजन के लिए अपना पैसा व्यय करती करती थी।लेकिन मेला का आयोजन करने वाली नगर पालिका परिषद के लिए पिछले दो दशक से मेला का उद्द्देश्य बदलकर आय का श्रोत बन कर रह गया है। मिली जानकारी के अनुसार मेला में लगे झूले बिना टेंडर डाले हुए लगवा दिए और उसके आवाज में मोटी रकम ले ली गई। झूला संचालक भी गरीब जनता से बसूलने में लगा। झूला संचालक रेट से अधिक बसूल रहे पैसे, जिम्मेदार अधिकारियों ने साधी चुप्पी।कुछ वर्षों से तो मेला का पूरा स्वरुप ही बदल गया। परिणामस्वरूप मेला में सरकारी योजनाओं की प्रदर्शनी लगना ही बंद हो गईं। धीरे धीरे मेला सीमित संसाधन में सिमटकर मनोरंजन का साधन न होकर नपा की आया साधन बन गया।