एक तरफ बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जा रही है। वहीं दूसरी तरफ इलाज के अभाव में आदिवासी बालिका की मौत,छ: घंटे इंतजार के बाद नहीं पहुंची एम्बुलेंस।
(राहुल जैन)
छतरपुर।मध्यप्रदेश के बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही का दर्दनाक मामला सामने आया है। एम्बुलेंस के लिए छह घंटे तक इंतजार करने के बाद 16 वर्षीय आदिवासी बालिका जानकी आदिवासी की मौत हो गई। परिजनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं।
इलाज के लिए गिड़गिड़ाती रही जानकी, लेकिन नहीं मिली मदद-
सुनवाहा निवासी हरिदास आदिवासी की बेटी जानकी (16) को उल्टी-दस्त और पेट फूलने की शिकायत के बाद मंगलवार सुबह 11 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उसकी स्थिति गंभीर बताते हुए उसे दमोह जिला अस्पताल रेफर कर दिया।जानकी के पिता हरिदास ने बताया कि उनकी बेटी दोपहर 1 बजे से एम्बुलेंस का इंतजार कर रही थी। इलाज के लिए हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने कोई ध्यान नहीं दिया। एम्बुलेंस शाम 7 बजे पहुंची, लेकिन तब तक जानकी की मौत हो चुकी थी।
सरपंच चतुर सींग लोधी ने लगाए गंभीर आरोप-
सुनवाहा के सरपंच चतुर सींग लोधी ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "यह घटना प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। जानकी को समय पर इलाज और एम्बुलेंस मिलती, तो उसकी जान बचाई जा सकती थी। अस्पताल प्रबंधन ने न केवल देरी की बल्कि प्राथमिक इलाज में भी लापरवाही बरती।उन्होंने कहा कि यह केवल एक बालिका की मौत नहीं, बल्कि गरीब और वंचित वर्ग के प्रति सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता का प्रमाण है।
अस्पताल प्रशासन ने दी सफाई-
बक्सवाहा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्यम असाटी ने बताया कि जानकी सुबह 11 बजे भर्ती हुई थी। प्राथमिक उपचार के बाद उसकी स्थिति सामान्य हो रही थी। लेकिन जांच के लिए उसे दमोह रेफर किया गया। एम्बुलेंस की देरी पर पूछे जाने पर उन्होंने इसे "तकनीकी समस्या" बताया।
परिजन और ग्रामीणों में आक्रोश-
घटना के बाद परिजन और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यह लापरवाही अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करती है। ग्रामीणों ने दोषियों पर कार्रवाई और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की है।
बीरसा मुंडा जयंती पर आदिवासी बालिका की मौत ने खड़े किए सवाल-
जहां पूरा देश भगवान बिरसा मुंडा की जयंती मना रहा था, वहीं एक 16 वर्षीय आदिवासी बालिका इलाज के अभाव में दम तोड़ रही थी। यह घटना शासन और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता को उजागर करती है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग-
यह घटना केवल जानकी की मौत तक सीमित नहीं है। यह प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाती है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।सुनवाहा सरपंच चतुर सीग का कहना है।क्या यह हमारे सिस्टम की विफलता का प्रमाण नहीं है? क्या गरीबों की जिंदगी इतनी सस्ती है कि उन्हें इस तरह मरने के लिए छोड़ दिया जाए?