@ श्रवण गौरव की कलम से
छतरपुर कोतवाली में पत्थरबाजी का मामला?
छतरपुर।यदि एक वर्ग, एक समाज अथवा एक सम्प्रदाय किसी मांग को लेकर पुलिस कोतवाली का घेराव करता है, तो पुलिस का नैतिक दायित्व हो जाता है कि संवेदनशील और नैतिक तरीके से मामले को सुलझाये और निपटाये। लेकिन ला एण्ड आर्डर के नाम पर लाटसाहब बनी छतरपुर कोतवाली पुलिस इस मामले में नाकाम साबित रही और मामले को उग्र बनाने में उसका आचरण दोषी रहा। पुलिस के ऐसे शर्मनाक आचरण ने छतरपुर की सामाजिक सौहार्द की शांत फिजा को क्षति पहुंचाने का काम किया। यह वही कोतवाली पुलिस है, जो ऐसे ही अराजक और आपराधिक तत्वों से गलबहियां कर अपने आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए बदनाम है। अपराधियों से कोतवाल की खास बैठक के बहुत से छायाचित्र और वीडिओ मिल जायेंगे।
चलो इसके बाद बात करते हैं छतरपुर कोतवाली में पथराव की। क्या मौजूदा पुलिस अधिकारियों ने बुद्धि, विवेक और संवेदनशीलता से काम किया? कतई नहीं? जिन अपराधियों को कोतवाल सर चढ़ाकर कल तक बगलगीर बनाये रहा, वह तो सर चढ़कर बोलेंगे ही। अन्यथा ऐसी औकात कहाँ कि अपराधी प्रवृत्ति के लोग कोतवाली में पत्थरबाजी कर जाये? वहज कुजूर इन्हीं अपराधियों को हुजूर समझ अपने आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति करता रहा और नया ईमानदार एसपी यह सब समझ ही नहीं पाया।छतरपुर कोतवाली के पत्थरबाजों को कतई बख्सा नहीं जाना चाहिए, खूब कड़ी कार्यवाही दोषियों के खिलाफ की जानी चाहिए। लेकिन ऐसे हालातों के निर्माण के दोषी टीआई को भी क्षमा कतई नहीं किया जाना चाहिए। जिसकी नासमझी से हमारा परस्पर भाई चारा चौपट होने की कगार पर पहुंचा। हाजी शहजाद अली की जिला न्यायालय के सामने ई-रिक्शा से गिरफ्तारी की नौटंकी भी बहुत शानदार रही, जिसकी असलियत खुद पुलिस की कम्बलओढ़ा कहानी खोलती है। चर्चा है कि ऊपर से लेकर नीचे तक लाखों रुपए में पुलिस से उसकी गिरफ्तारी का सौदा तय हुआ था। सारी हकीकत उच्च पुलिस अधिकारियों और केन्द्र बिंदु बने शहर कोतवाल को पता थी। पुलिस ने ही गिरफ्तारी का नाटक रचा और उसमें सफलता प्राप्त की। सच्चाई तो यह बताई जाती है कि इनाम और आउटलुक नोटिस जारी होने के बाद गिरफ्तारी के तीन दिन पहले से ही हाजी शहजाद अली पुलिस के पास ही था। बस धन जुटाकर कहानी गढ़ने का इंतजार था।
प्रमाण यह होगा कि गिरफ्तारी के बाद जैसे और लोग लगड़ाते हुए अदालत तक आये, तीन दिन के पुलिसिया रिमांड के बाद उस तरह लगड़ाते हाजी शहजाद नहीं आयेगा। बाकी हकीकत भगवान और जिले की पुलिस जाने। लेकिन जिले की अमन-चैन की आबोहवा खराब करने वालों के खिलाफ आमजन बहुत गंभीर और चिंतित हैं, चाहे वह भ्रष्ट पुलिस के भ्रष्ट कर्णधार हों या उससे गलबहियाँ करने वाले अपराधी और अराजक तत्व।