@ श्रवण गौरव की कलम से
छतरपुर।चाहे मेरे बाप का बाप भी रेत की चोरी और उसका अवैध उत्खनन करे, तो उसको बख्शना नहीं।" यह हिदायत भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री वीरेन्द्र खटीक ने छतरपुर के जिला खनिज अधिकारी अमित मिश्रा को सार्वजनिक तौर पर जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर और एसपी की मौजूदगी में दी। जिससे यह तो साफ हो गया कि जिले में रेत के अवैध उत्खनन का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। अब सवाल यह उठता है कि रेत के इस अवैध कारोबार में संलग्न कौन-कौन है?
स्पष्ट है कि रेत के अवैध कारोबार में सत्तापोषित तंत्र ही डटा हुआ है। चर्चा सरगर्म है कि प्रदेश का सबसे बड़ा संगठक, उसका जेबी मंत्री और विधायक इस कारनामें को अंजाम दे रहे हैं। अब केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक के गुजर गए बाप के बाप तो ऐसा कारनामा कर नहीं सकते। लेकिन वह और उनके संरक्षित बगलबच्चे भी रेत के अवैध कारोबार की मलाई नहीं खा पा रहे हैं। ऐसे में सार्वजनिक तौर पर खीझ निकालकर और जिले के खनिज अधिकारी को हड़का कर उन सत्ता संरक्षित खनिज माफियाओं को एक तरह से संदेश देने का काम केन्द्रीय मंत्री ने दिया है कि हमें और हमारे लोगों को भी रेत के इस अवैध कारोबार में शामिल करो, नहीं तो हम अब रायता फैलाने से बाज नहीं आयेंगे?
बेचारा खनिज अधिकारी भी करे तो क्या करे?उसके पास यह सब रोंकने के लिए न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही कोई पुलिस बल है। हालांकि वह इतना बेचारा भी नहीं है, भई गत सांप छछूंदर जैसी स्थिति में वह तटस्थ बना अपने हितों की चिंता जी हुजूर के लहजे में कर लेता है। लेकिन बड़े सत्ताधीशों के सामने सशक्त रेत माफिया के सामने अड़ंगा लगाने की उसकी कोई औकात नहीं है। वैसे भी चर्चानुसार सम्बंधित थाने की पुलिस और इलाकाई राजस्व अमला रेत के इस अवैध कारोबार में संलिप्त रहता है और अवैध खनन माफिया से मिली काली कमाई ऊपर अपने आकाओं तक भेजता है।
बहैसियत केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र खटीक ने बिना किसी संवैधानिक आधार के संसदीय क्षेत्र में एक सैकड़ा से अधिक अपने समर्थकों को सांसद प्रतिनिधि पद बांट डाले हैं। प्रतिनिधि बनने से तो उनके समर्थकों की कोई कमाई होने से रही, ऐसे में उनके दबाव में खुद अत्यधिक कंजूस प्रवृत्ति के मंत्री जी को अपने कार्यकर्ताओं को रेत के अवैध कारोबार में समायोजित करने की राह सुगम लगी और उन्होंने जिला खनिज अधिकारी को हड़काने की नौटंकी कर अपनी भगवा पार्टी के इस अवैध कारोबार में लगे संगठक, मंत्री और संतरियों को ऐसा संदेश दे डाला कि " अब बहुत हुआ, हमें और हमारे लोगों को भी इस अवैध कारोबार में शामिल करो।
हकीकत तो यह है कि रेत के अवैध कारोबार में संलग्न सत्ता संरक्षित मगरमच्छों पर केन्द्रीय मंत्री की ऐसी गीदड़ भभकी का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। क्योंकि उनकी खाल बहुत मोटी हो चुकी है। लेकिन बलि का बकरा बेचारा जिला खनिज अधिकारी जरूर बन सकता है। क्योंकि अपने दल के इस खेल में शामिल लाटसाहबों को मंत्री जी हड़का नहीं सकते हैं, तभी खनिज के सिर पर ठीकरा फोड़ अपनी मंत्रीगिरी का जलवा दिखा रहे हैं।