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आजादी के 78 साल बाद भी विकास से कोसो दूर


@विनोद कुमार जैन(ग्राऊंड रिपोर्ट)

वकस्वाहा।जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत मझौरा में आजादी के 78 साल बीत जाने के बावजूद विकास की भारी कमी के कारण ग्रामीणों का जीवन बेहद कठिन हो गया है। कुल 2,360 जनसंख्या वाले इस पंचायत में 1,576 मतदाता शामिल हैं। विशेष रूप से सगौरिया और दरदोनियों गांवों में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है।

जिसके परिणामस्वरूप लोग पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। विकास की कमी ने लोगों के जीवन स्तर में सुधार नहीं होने दिया है, जिससे अशिक्षा और सामाजिक समस्याएं बढ़ रही हैं। सरपंच श्री नन्नेलाल यादव ने इन समस्याओं को लेकर कई बार संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा है, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं, ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

शिक्षा का संकट और बच्चों का भविष्य अंधकारमय

ग्राम सगौरिया और दरदोनियों में न तो कोई विद्यालय है और न ही आंगनबाड़ी केंद्र। स्थानीय निवासी छुट्टन यादव, हरिनारायण अहिरवार, दिबिया आदिवासी, और श्रीराम यादव का कहना है कि शिक्षा की कमी ने बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना दिया है। बच्चों को शिक्षा के लिए कई किलोमीटर दूर, नदी पार कर हिनौता गांवों में जाना पड़ता है, जो न केवल जोखिम भरा है, बल्कि इस यात्रा के कारण उनकी पढ़ाई भी नियमित नहीं हो पाती है। विकास की इस कमी के चलते अशिक्षा बढ़ रही है और जीवन स्तर में सुधार नहीं हो रहा है।

सड़क संपर्क और बरसात में बाहरी दुनिया से कटाव

सगौरिया और दरदोनियों गांवों से मुख्य मार्ग तक कोई पक्की सड़क नहीं है। बरसात के मौसम में ये गांव पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट जाते हैं, जिससे चिकित्सा, बाजार, और अन्य जरूरी सेवाओं तक पहुंचना असंभव हो जाता है। सड़क संपर्क की कमी के कारण दोनों गांवों में लड़कों की शादीयां नहीं हो पा रही हैं और लोग पलायन कर रहे हैं। इस सामाजिक संकट ने विवाह योग्य युवाओं की बढ़ती संख्या और आविवाहितों की समस्या को भी जन्म दिया है।

स्वास्थ्य सेवाओं का घोर अभाव

मझौरा ग्राम पंचायत में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का न होना ग्रामीणों के लिए बड़ी समस्या है। ब्लॉक अध्यक्ष ओबीसी महासभा बकस्वाहा, इन्द्रपाल सिंह यादव ने बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण छोटी-मोटी बीमारियों का भी समय पर उपचार नहीं हो पाता, जिससे लोग परेशान हैं। इसके अलावा, पशुपालन पर निर्भर आबादी के लिए कोई पशु औषधालय नहीं है, जिससे पशुओं का स्वास्थ्य खतरे में है और ग्रामीणों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।

कृषि और जलस्रोत की कमी

कृषि कार्य के लिए आवश्यक सिंचाई के साधन और जलस्रोतों की कमी ने खेती को भी प्रभावित किया है। पानी की कमी के कारण फसल उत्पादन नहीं हो पाता, जिससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है। तालाब और अन्य जलस्रोत न होने के कारण किसान अत्यधिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

 

अपराध और लिंगानुपात की समस्या

सगौरिया गांव में अपराध और लिंगानुपात की स्थिति गंभीर है। महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं, और अपराधों को अक्सर दबा दिया जाता है। श्रीराम यादव ने बताया कि यह स्थिति गांव में असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही है, जिससे लोग पलायन करने पर मजबूर हो रहे हैं।

 विकास कार्यों में वन विभाग की बाधा

सड़क निर्माण के लिए आवश्यक मंजूरी न मिलने के कारण वन विभाग को बड़ी बाधा बताया जा रहा है। इस कारण सगौरिया गांव की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों की उम्मीदें धीरे-धीरे धूमिल हो रही हैं, और वे सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें इस अंधकार से बाहर निकालने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।

प्रशासनिक उदासीनता

सरपंच नन्नेलाल यादव ने बताया कि उन्होंने इन समस्याओं को लेकर कई बार संबंधित अधिकारियों और नेताओं को अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं हुआ है। प्रशासन की इस उदासीनता ने ग्रामीणों को निराश और हताश कर दिया है। 


सरपंच ने वरिष्ठ अधिकारियों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द इन समस्याओं का समाधान करें ताकि ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधर सके और गांव में विकास की प्रक्रिया शुरू हो सके। यदि जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह गांव विकास की दौड़ में और भी पीछे रह जाएगा, जिससे ग्रामीणों का भविष्य और अधिक अंधकारमय हो जाएगा।

स्थानीय प्रशासन और नेताओं की प्रतिक्रियाएं

ग्राम सगौरिया और दरदोनियों के बारे में तहसीलदार भरत पांडे का कहना है कि चुनाव के दौरान दोनों ग्रामों के मतदाताओं ने मतदान का बहिष्कार किया था। इसके बाद हमारी ओर से वरिष्ठ अधिकारियों को एक प्रस्ताव भेजा गया था। वर्तमान में ये दोनों गांव हमारे तहसील क्षेत्र में "पहुंच बिहीन ग्राम" हैं, और मैं एक नया प्रस्ताव कलेक्टर महोदय को भेजने की योजना बना रहा हूँ।


पूर्व विधायक प्रदुम्यन सिंह का कहना है कि उन्होंने पूर्व में दोनों ग्रामों के उत्थान के लिए कई प्रयास किए हैं। सड़क और पुल दोनों की अत्यधिक आवश्यकता है, लेकिन वन विभाग की स्वीकृति में दिक्कत आ रही है। वे आगे भी सहयोग करने को तैयार हैं और गांववासियों के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।


तत्कालीन विधायक सुश्री रामसिया भारती ने कहा कि उनकी कोशिशें भी इन गांवों के विकास के लिए निरंतर जारी रही हैं, लेकिन समस्याओं की जटिलता और स्वीकृति की बाधाएं अभी भी अड़चन बनी हुई हैं।  

मझौरा ग्राम पंचायत के गांवों में बुनियादी सुविधाओं की घातक कमी ने न केवल जीवन को कठिन बना दिया है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समस्याएं भी उत्पन्न की हैं। आजादी के 78 साल बाद भी इन गांवों में विकास के अभाव ने अशिक्षा और सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया है। इन समस्याओं का समाधान शीघ्रता से आवश्यक है ताकि ग्रामीणों का जीवन बेहतर हो सके और वे विकास की प्रक्रिया में शामिल हो सकें।

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