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मुख्यमंत्री के आदेश को खिलवाड़ समझ रहा जिला प्रशासन,अवैध रूप से संचालित हो रहे नर्सिंग होम


अवैध रूप से संचालित हो रहे नर्सिंग होम और झोलाछाप डॉक्टरों पर नहीं हो रही कार्रवाई, मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने में लगे डॉक्टर
छतरपुर। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य भर में अवैध रूप से चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। बावजूद इसके, जिला कलेक्टर संदीप जी आर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) आरपी गुप्ता ने मुख्यमंत्री के इस आदेश को संज्ञान में नहीं लिया है, जिससे जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे है।
शासन के आदेशों को नहीं मानता जिला प्रशासन-
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट कहा है कि राज्य में किसी भी प्रकार की अवैध चिकित्सा प्रथाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जनता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। अवैध रूप से इलाज कर रहे झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे। लेकिन इस और ना तो कलेक्टर संदीप जीआर कोई सख्त कदम उठा रहे है और ना ही मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी आरपी गुप्ता भी संज्ञान में नहीं ले रहे है।
जिला प्रशासन की निष्क्रियता-
मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद, जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम और झोला छाप डॉक्टरों की गतिविधियाँ बदस्तूर जारी हैं। कलेक्टर संदीप जीआर और सीएमएचओ आरपी गुप्ता की निष्क्रियता के कारण अवैध चिकित्सा प्रथाओं पर रोक लगाने के मुख्यमंत्री के आदेश का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है।
कलेक्टर संदीप जीआर पर उठे सवाल-
विशेष रूप से कलेक्टर संदीप जीआर की निष्क्रियता ने जनता के बीच गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिला कलेक्टर होने के नाते उनकी जिम्मेदारी है कि वे मुख्यमंत्री के आदेशों का पालन सुनिश्चित करें और अवैध चिकित्सा प्रथाओं पर त्वरित कार्रवाई करें। लेकिन उनकी उदासीनता और आदेश की अनदेखी से जनता में निराशा और रोश देखने को मिल रहा है। जनता यह जानना चाहती है कि क्यों कलेक्टर संदीप जीआर अब तक किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई करने से बच रहे हैं।
सीएमएचओ की कार्यप्रणाली पर लगे प्रश्रचिन्ह-
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी आरपी गुप्ता की निष्क्रियता भी सवालों के घेरे में है। उनके पास जिले की स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी होने के बावजूद, उन्होंने मुख्यमंत्री के निर्देशों का पालन करने में कोई तत्परता नहीं दिखाई। जानकारी मिलने के बावजूद वे हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और अवैध चिकित्सा प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं। जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में उनकी असफलता गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है।
जिला प्रशासन से जनता का उठता विश्वास-
मुख्यमंत्री के इस कदम से जनता में उम्मीद जगी है कि जल्द ही जिले में अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम और झोलाछाप डॉक्टरों पर नकेल कसी जाएगी। हालांकि जिला प्रशासन की निष्क्रियता और आदेश की अनदेखी जनता की चिंता का कारण बन गई है। लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर क्यों जिला प्रशासन मुख्यमंत्री के आदेश का पालन नहीं कर रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि मुख्यमंत्री के सख्त निर्देशों के बाद जिला प्रशासन कब और कैसे इन अवैध चिकित्सा प्रथाओं पर कार्रवाई करता है। राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने और अवैध चिकित्सा प्रथाओं को समाप्त करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। जनता अब इस आदेश के प्रभावी क्रियान्वयन की प्रतीक्षा कर रही है और जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवालों का जवाब मांग रही है।

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