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राज्य सरकार ने पिछड़े जिले छतरपुर के विकास के लिए पदस्थ किए आईएएस

 


छतरपुर जिले के इतिहास में पहली बार पांच आईएएस हुए पदस्थ

छतरपुर। छतरपुर जिला बुंदेलखंड का काफी पिछड़ा हुआ जिला है। इस जिले में गरीबों का भरपूर शोषण होता रहा है। वर्तमान में भी हालात यह है कि यहां प्रतिवर्ष रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्र से आदिवासी व दलित वर्ग के लोग रोजगार की तलाश में बाहर पलायन करते हैं और अपना घरबार छोडक़र बड़े शहरों में काम की तलाश के लिए जाते हैं। छतरपुर जिले में शासकीय योजनाओं में भारी भ्रष्टाचार होने के कारण गरीब तपके के लोगों को शासकीय योजनाओं का वास्तविक हितग्राही को लाभ नहीं मिल पाता और बिचौलियों के माध्यम से मिलने वाली राशि में बंदरबांट हो जाता है। राज्य सरकार के द्वारा छतरपुर के इतिहास में पहली बार पांच आईएएस अधिकारी पदस्थ किए गए हैं। परंतु ये अधिकारी भी जिले के सामंतशाही और भ्रष्टाचार को समाप्त करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर को लगभग ढाई वर्ष का कार्यकाल होने के बाद भी वे अपने अधीनस्थ अधिकारियों पर लगाम नहीं लगा पा रहे हैं।
 वर्तमान में जिला पंचायत की सीईओ तपस्या सिंह परिहार को लगभग दो वर्ष का कार्यकाल पूर्ण होने वाला है उनके द्वारा भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जिसके चलते पंचायतों में भारी भ्रष्टाचार की शिकायतें प्रतिदिन मिल रही हैं। इसी प्रकार कार्तिकेय जयसवाल को गौरिहार क्षेत्र का अनुविभागीय अधिकारी बनाया गया परंतु वह भी ट्रेनिंग पर मसूरी चले गए हैं। गौरिहार क्षेत्र में एक वर्ग विशेष के लोगों का दबदबा है जिसके चलते गरीब तपके के लोगों के काम नहीं हो पाते और अधिकांत: राजस्व के प्रकरण विवादों में पड़े रहते हैं। राजनगर एसडीएम प्रखर सिंह जो कि डायरेक्ट आईएएस है उनके द्वारा शासकीय कार्यों में कोई विशेष रुचि नहीं ली जा रही जिसके कारण हितग्राही आए दिन परेशान देखे जा सकते हैं। एसडीएम राजनगर कार्यालय में फोरलेन की जमीन के अधीग्रहण संबंधी मुआवजा की फाइलें काफी समय से पेंडिंग हैं परंतु वह उनका भुगतान करने में हितग्राहियों को परेशान कर रहे हैं यही नहीं वह कार्यालय में एक निजी व्यक्ति को अपने पास रखे हुए हैं जिसके चलते विभागीय काम लोगों के नहीं हो रहे हैं। 
अभी हाल ही में राज्य शासन के द्वारा सहायक कलेक्टर के रूप में काजोल सिंह को पदस्थ किया है। कुल मिलाकर जिले में डायरेक्ट आईएएस पांच अधिकारी पदस्थ हैं उसके बावजूद भी लोगों की समस्याओं का निदान नहीं हो पा रहा है। जिले में भाजपा के अधिकांश नेता चुने गए हैं और वो भी इन अधिकारियों से काम कराने में अपने को असमर्थ महसूस कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि डायरेक्ट आईएएस पदस्थ होने से अधिकारियों के बीच में समंजस्य की स्थित न होने के कारण अधिकांश फाइलें पेंडिंग पड़ी हुई हैं हालांकि छतरपुर कलेक्टर संदीप जी आर के द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को पूर्ण रूप से मिले।इसके बावजूद भी शासकीय योजनाओं का बंटाढार हो रहा है। 
अभी हाल ही में भारत सरकार द्वारा केन बेतवा लिंक परियोजना शुरु किए जाने से श्याद छतरपुर जिले की तकदीर और तस्वीर बदलेगी और क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। इस योजना में भी किसानों की जमीन अधिग्रहण की जा रही है। उनको भी मुआवजा राशि कब दी जाएगी इस संबंध में कोई जानकारी राजस्व विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है फिलहाल छतरपुर जिले का दुर्भाग्य है कि जब पांच आईएएस अधिकारी पदस्थ हैं और उसके बावजूद भी जिले का विकास बहुत धीमी गति से चल रहा है। 

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