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गन्ने के जूस पीने से हो सकती है गंभीर बीमारी 24 घंटे तक कैमीकलयुक्त पानी में डले गन्ने का निकालते है जूस


छतरपुर। गन्नो का जूस सेहत के लिए बूस्टर डोज माना जाता है। लेकिन इन दिनों विक्रेता गन्नो का मीठा व अधिक मात्रा में जूस निकालने के लिए उसे टब में सैकरीन घुले पानी में फुलाकर निकालने लगे हैं। यह प्रदूषित जूस लोगों को स्वस्थ करने की बजाय बीमार बना रहा है।
जगह-जगह लगी गन्ने जूस की चर्खियां-
धूप और गर्मी के साथ गन्नो का जूस निकालने वाली चर्खियां इन दिनों खूब देखी जा रही है। छतरपुर शहर में इन दिनों करीब 200 से अधिक गन्नो के जूस की चर्खियां लगी हैं। इनमें प्रतिदिन करीब दो से तीन क्विंटल से अधिक गन्नाा पेरकर जूस निकाला जा रहा है। काले नमक, नीबू और बर्फ के साथ मिलाकर इसे पीते ही हलक से नीचे उतरने पर शीतलता का सुखद अहसास होता है। साथ ही देसी चिकित्सा पद्धति में गन्नो के जूस को रामबाण औषधि भी माना जाता है। इसी कारण लोग गन्नो का जूस पीना अधिक पसंद करते हैं। जूस विक्रेता ने बताया कि सुबह से शाम तक गन्नो की चर्खी से जूस निकालकर पिलाने से प्रतिदिन 1500 से 2000 रुपये की कमाई हो जाती है। इस तरह से गर्मी के करीब तीन माह के मौसम में गन्नो के जूस की चर्खी लगाकर बारिश के चार माह तक गुजर-बसर का इंतजाम आसानी से हो जाता है। 20 रुपये में एक गिलास ठंडा गन्नो का जूस पीकर लोग गर्मी में खुद को तरोताजा तो महसूस करते हैं, लेकिन इन दिनों जूस विक्रेताओं द्वारा कम लागत में अधिक से अधिक मुनाफे कमाने के चक्कर में गन्नो से अधिक से अधिक मात्रा में प्रदूषित मीठा जूस निकालकर पिलाया जा रहा है। इसे अंजाने में पीकर लोगों की सेहत सुधरने की बजाय बिग? जरूर रही है। दरअसल इसकी सच्चाई जाने बिना लोग शीतलता पाने और पीलिया रोग भगाने के इरादे से पानी में रात भर डालकर फुलाए गन्नाों से निकला प्रदूषित जूस पीकर अंजाने में ही जानलेवा पीलिया की चपेट में आकर खटिया पकड़ रहे हैं।
ऐसे होता है जूस प्रदूषित-
कम लागत में अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के लिए जूस विक्रेता गन्नो को अधिक रसीला बनाने के लिए जो प्रक्रिया अपनाते हैं, वह चैंकाने वाली है। यह सच्चाई जानने के लिए जब तहकीकात की गई तो जो तस्वीर सामने आई वह अविश्वसनीय, लेकिन सच है। दरअसल गन्नाा चर्खी वाले सबसे पहले गन्नो के छिलके उतारकर उन्हें घर में हौदी या पानी के एक टैंक में डाल देते हैं। इस टैंक में सैकरीन मिला पानी भर दिया जाता है। करीब 24 घंटे तक गन्नो इसी टैंक में भरे पानी में पड़े फूलते हैं। जिससे गन्नाा सैकरीन वाले पानी को सोखकर फूल जाता है। यही प्रक्रिया आगे भी गन्नाों को डालकर बार-बार दोहराई जाती है, लेकिन न तो हौदी या टैंक की सफाई की जाती है न पानी बदला जाता है। बस गन्नो को निकालकर, सैकरीन वाला पानी दोबारा डालकर टैंक का वाटर लेबल बनाए रखा जाता है। तहकीकात के दौरान जब हौदी को करीब से देखा गया तो उसमें काई जमी मिली। यह देखकर जब हौदी की फोटो लेने की कोशिश की गई तो विक्रेता सारा माजरा समझ गया और उसने फोटो लेने पर आपत्ति जताना शुरू कर दिया। इसी तरह से हौदी में फूले गन्नाों को चर्खी में पेरकर गन्नो का अधिक मात्रा में मीठा जूस निकालकर पिलाया जा रहा है। जिसे पीकर लोग अंजाने में ही जानलेवा पीलिया सहित अन्य पेट संबंधी रोगों की चपेट में आ रहे हैं।
छिलके वाले गन्ने के जूस से होने वाले फायदे-
आसानी से और सस्ते में उपलब्ध होने वाला गन्नो का जूस सिर्फ स्वाद में ही लाजवाब नहीं है बल्कि यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का एक प्राकृतिक उपचार भी है। अगर बात करें गन्नो के जूस के पोषक तत्वों की तो, यह आयरन, मैग्नीशियम, कैल्सियम और अन्य इलेक्ट्रोलाइट से भरपूर है। यही वजह है कि यह आपको डिहाइड्रेशन से बचाने में सहायक है, जो गर्मी की सबसे बड़ी समस्या है। यह सामान्य सर्दी, कई तरह के संक्रमणों, पीलिया को ठीक करने में मदद करता है। शरीर में खून की कमी नहीं होने देता और बुखार से भी लड़ता है क्योंकि यह शरीर के प्रोटीन के स्तर को ब?ाता है। विशेषज्ञों की सलाह है कि छिलका निकालकर जिस गन्नो का जूस निकाला जाए उससे बचें और केवल उसी गन्नो के जूस का सेवन करें जिसे छिलके सहित चर्खी में पेरा जाए।
इनका कहना है-
प्रदूषित पानी से भरी हौदी या टैंक में डालकर उसे अधिक रसीला बनाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। उस गन्नो से निकलने वाला जूस भी प्रदूषित हो जाता है। जूस के साथ मिलने वाले प्रदूषित पानी और जूस में डाली जाने वाली प्रदूषित पानी से तैयार बर्फ के साथ कई तरह के कीटाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे पेट संबंधी जलजनित डायरिया जैसे रोग और कई बार तो पीलिया जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा बड़ जाता है। इससे सावधान रहना जरूरी है।
डॉ. सुनील अग्रवाल, छतरपुर
छिलके वाला गन्नो का रस पीना ज्यादा फायदेमंद है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीआक्सिडेंट होते हैं। ये संक्रमण से लडऩे के लिए आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। इसलिए लोग बिना छिलके वाले गन्नों के जूस को पीने से बचें, केवल छिलके सहित जो गन्ना पेरकर जूस निकाला जाता है उसे पीकर सेहत बनाएं।
डॉ. आरके धमनया, सर्जन, जिला अस्पताल छतरपुर
गन्नों को कैमीकलयुक्त पानी में डालकर फिर जूस निकाला जाता है इसकी जांच कराई जायेगी। जिसके द्वारा शहर में इस प्रकार के कैमीकल की सप्लाई की जाती है उसकी भी बारीकी से तलाश की जायेगी।
अखिल राठौर, एसडीएम, छतरपुर

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