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शिक्षा विभाग के सतर्कता बाबू राघवेन्द्र सिंह का नोटशीट कांड

 


आर.एस भदौरिया को प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी बनाने कलेक्टर को किया गुमराह

पहली नोटशीट पर कलेक्टर ने लगाई थी चर्चा की टीप

सतर्कता बाबू ने नियम विरुद्ध तरीके से उसी की बनाई दूसरी नोटशीट

छतरपुर। छतरपुर का शिक्षा विभाग इन दिनों भ्रष्टाचार का गढ़ बना हुआ है। यहां के अधिकारी-कर्मचारियों के एक से बढ़कर एक कारनामे सामने आ रहे हैं और मजे की बात यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी एम.के. कौटार्य इन भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्यवाही करने की बजाय उन्हें संरक्षण देते हुए बचाने का प्रयास कर रहे हैं। ताजा मामला शिक्षा विभाग के नामचीन बाबू राघवेंद्र सिंह का है जो वर्तमान में शिक्षा विभाग के सतर्कता कक्ष प्रभारी हैं।
यह है मामला-
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2016 में वर्तमान एडीपीसी आरएस भदौरिया (व्याख्याता) को प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी बनाए जाने के लिए शिक्षा विभाग के सतर्कता बाबू राघवेन्द्र सिंह ने दो नोटशीट बनाई हैं। पहली नोटशीट 30 दिसंबर 2016 को चलाई गई थी, जिसे कलेक्टर के सामने प्रस्तुत किया गया और कलेक्टर ने नोट शीट पर चर्चा की टीप लगा दी। इसके बाद सतर्कता बाबू राघवेंद्र सिंह ने 1 जनवरी 2017 को उसी प्रकरण में एक और नई नोटशीट बनाई और पहली नोटशीट छिपाकर कलेक्टर को गुमराह करते हुए उनके सामने दूसरी नोटशीट प्रस्तुत कर दी, जो कि नियम विरुद्ध है। किसी भी प्रकरण में नोटशीट केवल एक होती है, उसे बदलकर दूसरी नोटशीट बनाना नियमों के विपरीत है। मामले की जानकारी मिलने के बाद इसकी शिकायत विभिन्न स्तर पर शिकायतकर्ता राकेश तिवारी द्वारा की गई। उल्लेखनीय है कि इस मामले के अलावा राघवेन्द्र सिंह पर अनेकों गंभीर आरोप हैं और जिनकी शिकायतें हुईं और जांचें लंबित हैं। आश्चर्य की बात यह है कि जिसकी जांच जिसकी शिकायत, वही बाबू सतर्कता प्रभारी रहकर अपने प्रकरणों को डील कर रहा है।
शासकीय नौकरी के लिए पात्र नहीं हैं राघवेन्द्र सिंह-
प्राप्त जानकारी के अनुसार राघवेन्द्र सिंह, सहा.ग्रेड-3 के 26.01.2001 के बाद जन्मी 03 संताने (दो बेटी एवं 01 बेटा) है जिसका प्रमाण समग्र आईडी है किन्तु अनेकों शिकायतें होने पर राघवेन्द्र सिंह ने षडयंत्रपूर्वक नगरपालिका के कर्मचारियों से मिलकर समग्र आईडी में तीन-तीन संशोधन कराकर अपनी दूसरी बेटी को अपने परिवार से हटवाकर किसी दूसरे के परिवार में शिफ्ट करा दिया ताकि यह दिखाया जा सके कि यह उसकी संतान नहीं है। यहाँ राघवेन्द्र सिंह ने सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद षडयंत्र कर कूटरचित समग्र आईडी बनवाई गई। गौरतलब है कि किसी भी कर्मचारी के नौकरी का परित्याग करने पर नियमानुसार एक माह की वेतन शासन के खाते में सभी समग्र आईडी संलग्न की गई है। जमा की जाती है। जिला पंचायत के कार्यकाल के दौरान राघवेन्द्र सिंह ने प्रेरकों, शिक्षाकर्मियो, संविदा शाला शिक्षकों के नौकरी छोडऩे पर उनकी एक माह की वेतन नगद लेकर अपने पास रख ली और शासन के किसी भी खाते में जमा नही की है एवं शासकीय राशि का गबन कर लिया।

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