शासन के सख्त निर्देशों के बाद भी छतरपुर जिले में मिलावटी खाद्य सामग्री बेचने वाले मिली भगत से चमका रहे कारोबार
देश के दो राज्यों से मिलावटी तेल की खेप आ रही छतरपुर
छतरपुर। राज्य भर के आम नागरिकों की सेहत के साथ किसी भी तरह का मिलावटी कारोबार राज्य शासन के निर्देश पर सख्ती के साथ रोके जाने के लिए अभियान चलाए जाने के सरकारी दावे का लगाता है छतरपुर जिले में असर दिखाई नहीं दे रहा है। चालू माह फरवरी के प्रारंभ में सूवे के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर छतरपुर जिले में भी मिलावटी खाद्य पदार्थों का कारोबार करने वाले कई लोगों के यहां छापामारी हुई, और काफी बड़ी तादाद में मिलावटी खाद्य पदार्थ भी संदेह के आधार पर जब्त भी किए गए। लेकिन महज 15-20 दिनों के भीतर ही जिले के कई इलाकों से विशेष रूप से मिलावटी खाद्य तेल बाहर से मंगवाकर बेचे जाने की खबरें सुर्खियां बन गई हैं।
जिला मुख्यालय मेें देश के दो प्रांतों से आ रहा तेल -
सूत्रों के अनुसार पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से हर दूसरे तीसरे दिन टैंकरों के जरिए बताते हैं कि लंबा सफर तय करने के बाद छतरपुर जिला मुख्यालय में ब्रांडेड कंपनी के नाम पर नकली सरसों का तेल लाया जा रहा है। यह तेल जिला मुख्यालय से 500 ग्राम से लेकर 5 और 10 लीटर की पैकिंग करके जिले भर में खपाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कई नामी चिकित्सकों का साफ कहना है कि यदि लंबे समय तक मिलावटी खाद्य तेल का उपयोग यदि नागरिक करते हैं तो यह हर उम्र के नागरिकों की सेहत के लिए वेहद नुसकानदायक है। उनका यह भी कहना है कि मिलावटी तेल सीधे लीवर और हार्ट को प्रभावित करता है जिससे पीडि़त नागरिकों की समुचित इलाज के आभाव में मौत भी हो सकती है। जब जिला मुख्यालय मेंं चल रहे इस गोरख धंधे की जानकारी आम नागरिकों को भी है तो इसे कोई सहजता से कैसे मान लेगा कि जिला खाद्य विभाग, स्थानीय प्रशासन और पुलिस को जानकारी ही नहीं है। यह गंभीर और व्यापक जांच का विषय बनकर जनचर्चा में पसरा हुआ है।
सरानी दरवाजा के बाहर कई कारोबारी -
मिलावटी खाद्य तेलों के कारोबार की सूत्रों से मिली सूचनाओं को खंगालने पर जानकारी मिली कि जिला मुख्यालय के सरानी दरवाजा बाहर के इलाके में नकली खाद्य तेल का कारोबार करने वाले लोगों की संख्या करीब आधा दर्जन बताई जा रही है। जो सूत्रों के अनुसार काफी समय से मिलीभगत के चलते कम समय मेें अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में यह घोर आपत्तीजनक और सीधे आम नागरिकों की सेहत से खिलवाड़ कर अपने अवैध कारोबार को चमकाने में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर शासन और प्रशासन का संबंधित विभाग लगातार ऐसे कारोबारों की अनदेखी कर रहा है, और जिले में जांच पड़ताल, निरीक्षण और निर्देशों की महज औपचारिक्ता निभा रहा है। गौरतलब है कि अंचल में केवल खाद्य तेलों में ही मिलावट नहीं हो रही है बल्कि छोटे-छोटे दुकानदारों के माध्यम से रसोई में उपयोग की जाने वाली कई नकली खाद्य सामग्री भी धड़ल्ले से विक्रय किये जाने की खबरें मिल रही हैं।
आधी कीमत से भी कम में हो रही बिक्री -
शुरसा के मुंह की तरह फैलती जा रही मंहगाई से सर्वाधिक गरीब तबका छतरपुर जिले में भी परेशान है। दाल रोटी के इंतजाम मेें ऐसे नागरिकों और परिवारों की प्राथमिकता किसी भी तरह पेट भरने की है, और ऐसे में क्या असली और क्या नकली इससे अंचल के भी बड़े नागरिकों के तबके का बहुत अधिक सरोकार नहीं है। निम्र और मध्यम वर्ग की इस स्थिति का भरपूर लाभ उठाकर तमाम करोबारी नियम विरूद्ध विशेष रूप से मिलावटी खाद्य पदार्थों का कारोबार चमकाने मेेें जुटे हुए हैं। सूत्रों के अनुसार ब्रांडेड कंपनियों के खाद्य तेलों में शुमार सरसों के तेल के नाम पर बेचे जा रहे मिलावटी तेल की कीमत आधे से भी कम है जिसे खरीद कर उपयोग करने में गरीबों का यह तबका न तो ऐसे मिलावटी तेलों की गुणवत्ता पर ध्यान देता है और न ही उसे इसकी चिंता है। इस तरह के नागरिकों की सोच और बड़े पैमाने पर जिले भर में जारी खरीददारी ने ही विगत कई वर्षों से छतरपुर के संपूर्ण जिले में मिलावटखोरी के कारोबार को फैला रखा है जो गंभीर स्थिति मानी जा रही है। इस संबंध मेें खाद्य सुरक्षा अधिकारी बंदना जैन को भी शाम करीब सवा 4 बजे फोन लगाया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
इनका कहना है-
यह बात सही है कि मिलावटी खाद्य पदार्थ की बिक्री हर हाल में रोकी जाना चाहिए। जिला मुख्यालय में नकली खाद्य तेलों के कारोबारियों के बारे में आपने मेरे संज्ञान में जो तथ्य लाए हैं इस पर भोपाल से लौटने के बाद पूरा विवरण हासिल कर समुचित कार्यवाही की जाएगी, जिसमें आवश्यक दस्तावेज भी खंगाले जाएंगे।
बलवीर रमण, एसडीएम छतरपुर