छतरपुर।
प्रधानमंत्री आवास के तहत कुटीर की अंतिम किश्त दिलाने के एवज में महिला
सरंपच ने 5 हजार रुपए रिष्तवत मांगी थी। लोकायुक्त पुलिस ने महिला संरच को
रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। कोर्ट ने आरोपी सरपंच को रिश्वत के मामले
में चार साल की कठोर कैद के साथ दो हजार रुपए के जुर्माना की सजा दी है।
एडवोकेट
लखन राजपूत ने बताया कि फरियादी गोरेलाल यादव ने 03 नवंबर 2017 को
लोकायुक्त पुलिस सागर में शिकायत दर्ज कराई कि उसको ग्राम हंसरी में
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुटीर स्वीकृत हुई थी। जिसकी तीन किश्तें
उसे प्राप्त हो चुकी है। अंतिम किश्त 30 हजार रुपए की मिलना शेष है। अंतिम
किश्त के लिए वह ग्राम पंचायत सौराई तहसील बड़ामहरा की सरपंच रामकली
अहिरवार से मिला, सरपंच कुटीर की फोटो खिचवाने एवं अंतिम किश्त निकलवाने के
एवज में 5 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रही है। वह सरपंच रामकली को रिश्वत
नही देना चाहता और उसे रंगे हाथो पकड़वाना चाहता है। लोकायुक्त पुलिस ने
गोरेलाल को वॉयस रिकॉर्डर देकर सरपंच रामकली की रिश्वत मांगने की बात
रिकॉर्ड कराई। 6 नवंबर 2017 को निरीक्षक एचएल चैहान के साथ लोकायुक्त पुलिस
का ट्रेप दल फरियादी के साथ सरंच के निवास के पास स्थित अबारमाता मंदिर के
पास पहुंचा। ट्रेप दल सरपंच के निवास के आस-पास छिप गया। गोरेलाल के
इशारा करने पर ट्रेप दल ने घेरा बंदी करके सरपंच रामकली को रंगे हाथो
रिश्वत लेते पकड़ा।
विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार जैन की कोर्ट ने सुनाई सजा:
अभियोजन
की ओर से विशेष लोक अभियोजन केके गौतम ने पैरवी करते हुए दलील रखी कि
भ्रष्टाचार से जनता की नजर में लोकसेवको की विश्वसनीयता कम हो रही है।
भ्रष्टाचार से देश की आर्थिक विकास की दिशा अवरुद्ध हो जाती है। इस समस्या
ने समाज में सभी साधारण व्यक्तियों के जीवन को कष्टप्रद बना दिया है और
गरीब व्यक्तियों के जीवन जीने के प्राकृतिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव
पड़ रहा है। इसलिए आरोपी को कठोर से कठोर सजा दी जाए। विशेष न्यायाधीश
अरविंद कुमार जैन की अदालत ने फैसला सुनाया कि भ्रष्टाचार किया जाना एक
विकराल समस्या हो गई है, जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र
और विधि के शासन की नीव को हिला रहा है। ऐसे मामलों में आरोपी को सजा देते
समय नरम रुख अपनाया जाना विधि की मंशा के विपरीत है। कोर्ट ने आरोपी सरपंच
को दोषी ठहराते हुए चार साल की कठोर कैद के साथ दो हजार रुपए के जुर्माना
की सजा सुनाई।