तहसील में भ्रष्टाचार को लेकर अधिवक्ताओं का हंगामा: तहसीलदार रंजना यादव पर लगाए मनमानी के आरोप
छतरपुर। छतरपुर तहसील में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए वकीलों ने एक बार फिर प्रदर्शन किया है। वकीलों ने तहसीलदार रंजना यादव पर मनमानी के आरोप लगाए हैं। पूर्व में भी उनके विरूद्ध ज्ञापन देने के बाद भी जब कोई हल नहीं निकला तो वकीलों ने अब तहसील की अनियमितताओं के खिलाफ आमरण अनशन और धरना प्रदर्शन करने की अनुमति के लिए ज्ञापन सौंपा है। हालांकि राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी होने के कारण प्रशासन ने इस अनुमति को देने से इनकार कर दिया। बुधवार को तहसील अधिवक्ता संघ ने एक पेज का ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि तहसील छतरपुर में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के कारण क्षेत्र की जनता और अधिवक्ता परेशान हैं। विधिक प्रयासों से कोई हल नहीं निकल रहा इसलिए अब हमें 25 जनवरी से आमरण अनशन की अनुमति दी जाए। 25 जनवरी को वकील वीडी गुप्ता अनशन शुरू करेंगे। वकीलों ने एसडीएम बलवीर रमण को यह ज्ञापन सौंपा। हालांकि एसडीएम बलवीर रमण ने कहा कि फिलहाल राष्ट्रीय पर्व 26 जनवरी होने के कारण इस तरह के धरना प्रदर्शन की अनुमति जिला मुख्यालय पर नहीं दी जा सकती।
अधिवक्ता यूनिस खान ने बताया कि छतरपुर तहसील मेें तहसीलदार और कर्मचारियों की मनमानी चरम पर है। बगैर जेब ढीली किए तहसील में कोई काम नहीं होता। यहां हर काम के बाकायदा रेट तय हैं। बगैर लेन-देन काम कराने की मंशा रखने वाले चक्कर लगाते रह जाते हैं। तहसीलों में घूसखोरी सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है।
जमीन का दाखिल-खारिज कराने, पैमाइश कराने, भूमि का अनापत्ति प्रमाण पत्र आदि समेत सभी कामों में पटवारी की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है। इन सभी कामों के यहां रेट तय किए हुए हैं। तय रकम देने पर काम हाथों हाथ हो जाते हैं। वरना लोगों को महीनों चक्कर काटने पड़ जाते हैं।
ये तय कर रखे हैं रेट-
दाखिल-खारिज - 7,000 से 15,000 रुपये
दाखिल-खारिज 58-59 / - 50 हजार से एक लाख रुपये
आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र - 200 रुपये
जमीन की एनओसी - 5000 रुपये
शस्त्र आवेदन पर रिपोर्ट - 500 रुपये
हैसियत प्रमाण पत्र - 100 रुपये प्रति लाख
सीमांकन तरमीम - जमीन की कीमत के अनुसार