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लोकायुक्त प्रकरण रिश्वत मामले में आरोपी रोजगार सहायक को चार वर्ष का कारावास

 


 

भृष्टाचार के मामले में न्यायालय का कडा रूख

छतरपुर।विशेष न्यायाधीश श्री अरविंद कुमार जैन की अदालत द्वारा आरोपी राधेश्याम साहू, रोजगार सहायक को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत कुटीर की दूसरी किश्त उसके बेंक खाते में डालने के एवज में 2000 रुपये की रिश्वत लेने के मामले में भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा-7  में  चार  वर्ष  सश्रम कारावास, 1500 रूपये अर्थदण्ड व धारा 13 (1)(डी) सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम  में चार वर्ष का सश्रम कारावास व 1500 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है।

अभियोजन कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार  दिनांक 12.05.2018 को फरियादी पप्पू अहिरवार के द्वारा आरोपी राधेश्याम गुप्ता रोजगार सहायक के विरूद्ध लोकायुक्त कार्यालय सागर में इस आशय का शिकायती आवेदन प्रस्तुत किया कि उसके नाम से प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत कुटीर स्वीकृत हुई है, जिसकी प्रथम किस्त 25000 रूपये का भुगतान आवेदक के बैंक खाते में किया जा चुका है। द्वितीय किश्त डालने के एवज में ग्राम पंचायत महुटा का रोजगार सहायक राधेश्याम साहू उससे 2000 रूपये रिश्वत की मांग कर रहा है। फरियादी द्वारा प््रास्तुत शिकायत के सत्यापन हेतु उसे एक डिजीटल वॉयस रिकॉडर दिया गया जिसमें फरियादी ने आरोपी से उसके घर पर मिलकर रिश्वत मांग संबंधी बातचीत को कार्यालय से प्रदान किये गये वॉयस रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया। रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि होने पर दिनांक 26.05.2018 को ट्रेप दल लोकाुयक्त कार्यालय सागर से रवाना होकर ग्राम सहडेरा के पास पहुंचा, जहां पर फरियादी ने आरोपी से रिश्वत लेन-देन हो जाने का इशारा किया गया तो समस्त ट्रेप दल द्वारा आरोपी को चारों ओर से घेर लिया गया और उससे पूंछे जाने पर उसने बताया कि फरियादी से रिश्वत राशि अपने हांथ में लेकर अपने पास में रख ली है। लोकायुक्त टीम द्वारा आरोपी के हांथों को धुलाने पर हांथों का रंग गुलाबी हो गया था।  आरोपी से रिश्वती राशि 1000 रूपये जप्त की गई। एवं सम्पूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र आरोपी राधेश्याम गुप्ता के विरूद्ध मान.न्यायालय के समक्ष पेश किया गया।

अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ के.के. गौतम ने पैरवी करते हुए सभी सबूत एवं गबाह कोर्ट में पेश किये एवं आरोपी को कठोर से कठोर सजा की मांग की और कहा कि ऐसे आरोपियो को सजा देते समय नरम रुख दिखाना कानून की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है। न्यायालय ने कहा कि लोक सेवको द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है। जो समाज को खोखला कर रही है एवं समाज की नींव को हिला रहा है। कोर्ट ने आरोपी रोजगार सहायक राधेश्याम गुप्ता को भ्रष्टचार निवारण अधिनियम की भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा-7  में  चार  वर्ष  सश्रम कारावास, 1500 रूपये अर्थदण्ड व धारा 13 (1)(डी) सहपठित धारा 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम  में चार वर्ष का सश्रम कारावास व 1500 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई है ।

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