क्या सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या और सबूत मिटाने के लिए जला कर दमोह जिले में फेंक दिया गया?
अगर ऐसा है तो जघन्य और पुलिस का कुरूप रूप?
क्या छतरपुर जिले के सुरक्षित सीट से विधायक बाद बने मंत्री न्याय दिला पाएंगे
(धीरज चतुर्वेदी छतरपुर बुंदेलखंड)
छतरपुर शहर के गौतम नगर से एक दलित बेटी गायब हो जाती है और दमोह जिले में एक महिला का जला हुआ नरकंकाल मिलता है। दोनों घटना में क्या समानता है? सामूहिक दुष्कर्म और हत्या। क्या अगर ऐसा है तो छतरपुर पुलिस क्या कर रही है जबकि कोतवाली पुलिस में 8 दिसम्बर का रोजनामचा दर्ज है। दलित बालिका का गायब होना और कोतवाली में सूचना के बाद भी क्षेत्र के सीसीटीवी फुटेज नहीं खांगले गये। पीड़ित माँ पिता के अनुसार 6 दिसम्बर को वह शहर के रुद्राक्ष होटल में रात्रि 10 बजे के बाद शादी में गये थे। घर में बड़ी बेटी और पुत्र था। जिन्होंने रात्रि 11 बजे तक लापता बिटिया को देखा। जब माँ पिता करीब 3 बजे घर लौटे तो छोटी बिटिया गायब थी। छतरपुर से दलित 21 साल की गायब बालिका और दमोह जिले के नरसिंहगढ में मजार के पास मिला महिला का नरकंकाल। क्या इस पूरे घटनाक्रम में कुछ कड़ी जुड़ती है? बीती 22 दिसम्बर को दमोह जिले के नरसिंहगढ में मजार के पास एक महिला का नरकंकाल पुलिस ने बरामद किया। शव जला हुआ था। 26 नवम्बर को इस कंकाल रूपी जले शव का पोस्टमार्टम होना था। जो दो दिन पहले तक नहीं हो सका था। पुलिस को भी प्राथमिक तौर पर संदेह है कि महिला के साथ दुष्कर्म की वारदात हो सकती है। जिसे साक्ष्य मिटाने के लिये महिला को जला दिया गया। जिसका नरकंकाल बरामद हुआ। अब प्रश्न है कि महिला कौन थी और कहाँ की? इस दुर्दन्त घटना के तार क्या छतरपुर से 6 दिसम्बर को गायब युवती से जुड़े है। इस कड़ी को जोड़ने के कड़ी से कड़ी जोड़ना होंगी। गायब युवती की माँ ने 8 दिसम्बर को कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी पर पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। लापता युवती की तपास के लिये घटना स्थल सौरा रोड के सीसीटीवी फुटेज तक नहीं खांगले गये और ना ही जाँच आगे बढ़ी। इधर दमोह पुलिस ने छतरपुर से लापता युवती के माँ पिता को शिनाख्त के लिये 25 दिसम्बर को बुलाया था पर जले और कंकाल शव की शिनाख्त नहीं हो सकी।
यह पुलिस की विवेचना का विषय है पर एक दलित युवती गायब हो जाती है और पुलिस तहकीकात तक नहीं करती, निश्चित रूप से कोतवाली पुलिस की जाँच परख पर सवाल है? छतरपुर सहित दमोह पुलिस भी क्या एक महिला की अधजले नरकंकाल को कचरा मान लेती है? क्या दलित की इस बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ? जिसके बाद उसे मौत के घाट उतार जला दिया गया? जिसके शव को दमोह जिले के नरसिंहगढ़ क्षेत्र में फेंक दिया गया? यह सब विवेचना का विषय है, जिसमे पुलिस ने गंभीर और अमानुषक लापरवाही का सबूत पेश किया है। पीड़ित परिवार डरा हुआ है पर सवाल उठता है कि क्या बेटियां सामूहिक दुष्कर्म का शिकार होकर सबूत मिटाने की तरकीब में यूँही जला दी जाएंगी और जघन्य अपराधी पुलिस की हरकतों के कारण जिन्दा दिल घूमते रहेंगे।