छतरपुर। जिले के साथ नौगांव, हरपालपुर ,महाराजपुर में चल रहे अवैध मिनी आर.ओ प्लांट लोगों को पानी के नाम पर जहर बेच रहे हैं ।जानकारो का मानना है कि पानी में टीडीएस की मात्रा अधिक है और जिले भर के लाखों लोग शुद्ध पानी की उम्मीद. मे पैसे खर्च कर के इन प्लांटों का बोतल बंद पानी खरीद रहे हैं। जो इनकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। डॉक्टरों के अनुसार आर ओ प्लांटों का ऐसा पानी कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां दे सकता है 20 से ₹25 रुपये में बिकने वाला पानी खरीद कर पीते है व सीजन भर यही बोतल चिल्ड के नाम पर 30 रूपये में बेची जाती है। इतना ही नहीं अधिक डिमांड होने पर यह बोरिंग के पानी को ट्रीट कर 20 लीटर के जार में पैक कर सप्लाई करने का कारोबार भी खूब फल फूल रहा है। एक अनुमान है कि पूरे जिले में 70 से अधिक प्लांट अवैध रूप से चल रहे। जिसमें नौगॉव में 10 से 12 हरपालपुर व इससे सटे ग्रामों में 6 से7 प्लांट और महाराजपुर में 4से 5 प्लांट और छतरपुर मैं 40 से 50 प्लांट संचालित होने की चर्चा है इन्हें प्लांट चलाने के लिए इनके पास इसी तरह का लाइसेंस नहीं है लेबल नहीं होने से पता नहीं चलता कि पानी कितने दिनों से बोतल में बंद है।
लेना पड़ता है लाइसेंस-
विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि बोतलबंद पानी बेचने के लिए एफ एस,एस, से लाइसेंस लेना होता है।जो फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट देता है ।यह लाइसेंस लेने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो व भूजल विभाग से एनओसी लेनी होती हैं और जरूरी दस्तावेज तैयार कर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
पानी से खतरा-
अगर टीडीएस बड़े पानी का लंबे समय तक सेवन करने से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। 500 से 505 से अधिक टीडीएस का पानी पीते रहने से किडनी से संबंधित बीमारियां खून की कमी और आंतों से संबंधित हो सकती है। पानी की आपूर्ति करने वाले इस बात पर जोर देते हैं कि उनका पानी सौ फीसदी शुद्ध है। लेकिन हकीकत यह है कि बोतलबंद पानी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा है। नगर के बुद्धिजीवियों ने 6 प्लांटों ने चिल्ड पानी देते रहे। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन से किसी ने भी अनुमति नहीं ली आर ओ के नाम पर पानी का लाखों का कारोबार चल रहा है। दुकानों ऑफिस और घरों के अलावा शादी- समारोह में आपूर्ति करने बोतल दी जा रही है। जिसे लोग सेहतमंद समझकर पी रहे हैं लेकिन शायद उन्हें पता नहीं कि आर ओ वाटर के नाम पर बोर के नल का पानी ही ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है।
स्वयं तय करते हैं पानी का रेट-
पानी के धंधे की आड़ में काले कारोबारी वॉटर कैन की बिक्री के रेट स्वयं तय कर लेते हैं घरों में अलग रेट पर पानी की आपूर्ति की जा रही है। एक वाटर कैन मे 15 -20 लीटर तक पानी आता है और यह 20 से 30रूपये तक मार्केट में बेचा जा रहा है।
हार्मफुल है टीडीएस की ज्यादा मात्रा-
आपूर्ति किये जा रहे पानी में टीडीएस की मात्रा खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। जो शरीर के लिए हार्मफुल है जिसको लेकर रिटार्यड डॉक्टर ने बताया कि पानी के प्योरिफिकेशन के दौरान कार्बनिक और अकार्बनिक तत्व शरीर की जरूरत के मुताबिक कम दीये जाते है। पानी में मैग्नीशियम ,कैल्शियम ,पोटेशियम की एक निश्चित मात्रा स्वास्थ्य के लिए जरूरी होती है। इसकी जांच टीडीएस (टोटल डिसॉल्वड सॉलिडस) के जरिये की जाती है। वाटर कैन में आपूर्ति की जाने वाली पानी के सप्लाई में टीडीएस की मात्रा 300 पी पी एम तक होती है जो शरीर के लिए खतरनाक है।
मजबूरी का बहाना-
एफ एस डी ए के जानकारों का कहना है कि यह सही है कि अवैध रूप पानी की आपूर्ति की जा रही है जिसकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। लेकिन ऐसे लोगों के लिए कोई नियम- रेगुलेशन नहीं है इसलिए फूड एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट इनकी निगरानी नहीं कर सकता।
ये है मानक /आर ओ के पानी में मानको की बात करें तो जानकारों ने बताया कि
50 से 150 पीपीएम सबसे अच्छा पानी।
150 से 200 पीपीएम अच्छा।
200 से 300 पीपीएम स्वच्छ।
300 से 500 पीपीएम नुकसानदायक।
उबालकर पिए पानी।
वरिष्ठ डॉक्टरों से इस संबंध में बात की तो उन्होंने अमूमन एक ही बात कही की सभी तरह के आर ओ का पानी शुद्ध नहीं है और ना ही गारंटी होती है। इस पानी से बेहतर है कि पानी उबालकर पिए।
लाइसेंस न बनवाने के दो कारण-
इस कारोबार से जुड़े कारोबारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि लाइसेंस इसलिए नहीं बनवाते क्योंकि नगरपालिका विभाग से रकम देना शुरू हो जाता है और अंतिम दस्तावेज बनवाने तक सुविधा शुल्क मंगाया जाता है। वही दूसरा कारण यह है कि भविष्य में किसी के साथ अनहोनी होने की स्थिति में वह दुकान बंद कर खिसक सकते हैं। इसलिए इस धंधे से जुड़े लोग लाइसेंस नहीं बनवा रहे।
कब बंद होगा गोरखधंधा-
नगर के बुद्धिजीवियों ने एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने चिंता जताते हुये कहा कि आर ओ के पानी के नाम पर गोरख धंधा चल रहा है। पानी की शुद्धता और स्वच्छता की कोई गारंटी नहीं इसकी जानकारी नगर पालिका प्रशासन को है साथ ही अन्य विभागीय अधिकारियों को भी है। इसके बावजूद कार्यवाही नहीं किया जाना किसी आश्चर्य से कम नहीं साथ ही पानी की बर्बादी भी की जा रही है।