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सिद्धचक्र विधान में दस दिन बही धर्म की गंगा

छतरपुर। सकल दिगंबर जैन  समाज छतरपुर के तत्वावधान एवं मुनिश्री विलोक सागर जी तथा मुनिश्री विवोध सागर जी के सानिध्य में अतिशयक्षेत्र डेरापहाड़ी जैन  मंदिर में  19 नवम्बर  से प्रारम्भ हुआ सिद्धचक्र महामंडल विधान आज दसवें दिन 28 नवंबर मंगलवार को श्रीजी के पूजन, अभिषेक, संगीतमयी आरती, विश्वशांति एवं मानव कल्याण हेतु सामूहिक हवन के साथ पूरे हर्षोल्लास से सम्पन्न हो गया।विधान के समापन पर श्री जी की एक भव्य शोभायात्रा डेरापहाड़ी से प्रारंभ होकर नगर के प्रमुख मार्गों से निकाली गई।जैन समाज के डा सुमति प्रकाश जैन के अनुसार इस पावन विधान की शुरुआत प्रतिदन सुबह सात बजे से नित्य पूजन अभिषेक एवं शांतिधारा के साथ होती रही, जिसमें श्रद्धालुजन पारम्परिक केशरिया, पीले एवं श्वेत शुद्ध वस्त्रों की वेशभूषा में धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित हुए। विधान के समापन पर सभी विद्वानों, विशिष्टजनों, सहयोगियों तथा मंदिर के कार्यकर्ताओं का भावभीना सम्मान भी किया गया।अतिशय क्षेत्र डेरापहाड़ी पर सिद्धचक्र महामंडल विधान की शुरुआत प्रतिदिन सुबह सात बजे संगीतमयी पूजन, अभिषेक, शांतिधारा के साथ होता थी, जिसमें समाज के श्रद्धालु स्त्री, पुरुष एवं युवाजन पूरे उत्साह के साथ सम्मिलित हुए एवं धर्मलाभ लिया। इस विधान में नगर के कोने कोने से श्रद्धालु अपनी सार्थक सहभागिता करने हेतु अपने अपने घरों से अष्ट द्रव्यों तथा आरती को मोहक तारीके से सजा कर अतिशय क्षेत्र पहुंचे एवं श्रीजी का मंगल पूजन एवं आरती करते रहे हैं। यहां प्रतिदिन सायं सात बजे महापात्रों के घर से गाजेबाजे के साथ महाआरती डेरापहाड़ी हेतु निकलती रही। अपने प्रवचनों में रोजाना नवीन भैया जी ने धार्मिक शास्त्रोक्त प्रेरक बातों को जीवन में  उतारने का संदेश दिया।

प्रतिदिन रात्रि में धर्म केंद्रित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद श्रद्धालुओं ने लिया। विधान के समापन पर अतिशय क्षेत्र डेरापहाड़ी से सौधर्म इंद्र ने अपने वैभव के साथ श्रीजी को बेहद सुंदर रथ में विराजमान कर भव्य शोभायात्रा निकाली, जो छत्रसाल चौराहा, महल तिराहा, पुलिस लाइन होती हुई पुन: डेरापहाडी पहुंच कर संपन्न हुई, जिसके बाद श्री जी को विधि विधान से मंदिर जी मे विराजमान किया गया। इस विधान में आठ प्रमुख इन्द्रो ने पद प्राप्त कर भक्ति की, जिसमे सौधर्म इंद्र प्रमुख इंद्र का पद अशोक जैन कुपी रिटायर्ड डाक अधिकारी, कुवेर इंद्र का पद सिंघई उमेश बंडावालो ने प्राप्त किया। अन्य प्रमुख पात्र क्रमश यज्ञनायक सुनील कुपी महायज्ञ नायक शुभम जैन कुपी, सनत इंद्र राकेश जैन शिक्षक, माहेन्द्र इंद्र सौरभ जैन, ईशान इंद्र जिनेन्द्र जैन पहाडग़ांव वालो ने प्राप्त कर धर्म प्रभावना की। दो प्रमुख भरत चक्रवर्ती औऱ बाहुवली पद का निर्वहन संजीव बासल और आरके जैन एमपीईबी ने किया।सकल दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान में आयोजित यह विधान पंडित  बाल ब्रह्मचारी नवीन भैया जबलपुर  के निर्देशन में विधि-विधान  के  साथ सम्पन्न हुआ। जैन  समाज के अध्यक्ष  अरूण जैन अन्नू, उपाध्यक्ष अजय फट्टा, रीतेश जैन, महामन्त्री स्वदेश जैन, सहमंत्री अजित जैन, कोषाध्यक्ष जितेन्द्र जैन, डेरापहाडी क्षेत्र प्रबंधक आरके जैन ने सभी धर्मप्रेमी बंधुओं का धर्मलाभ लेने तथा सहयोग करने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया है।

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