छतरपुर। अधिवक्ता परिषद के द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में विधि महाविद्यालय पंडित मोती लाल नेहरू में मंगलवार को कार्यक्रम का आयोजन किया। अधिवक्ता परिषद के प्रचार प्रसार मंत्री वशिष्ठ नारायण श्रीवास्तव ने बताया कि इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रमेश पटेल ने उपस्थित छात्र छात्राओं को कानून की जानकारी देते हुए कहा कि कानून का ज्ञान प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आवश्यक है। अधिवक्ता को बहुत परिश्रम करना पडता है, अधिवक्ता परिषद के संस्थापन के विषय में भी जानकारी दी। वहीं विधि महाविद्यालय के प्रोफेसर रामसिंह ने संविधान विषय पर बताते हुए कहा कि प्रत्येक कानून की नीव संविधान है। 26 नवंबर 1949 को देश की संविधान सभा ने मौजूदा संविधान को अपनाया था इसलिए इसी दिन की याद में हर साल देश में संविधान दिवस मनाया जाता है।
इसके अंतर्गत अधिकार और कर्तव्य दोनों मौजूद हैं।इस अवसर पर अधिवक्ता प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि संविधान हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है। 60 देशों के संविधान को पढऩे के बाद तैयार हुआ भारतीय संविधान, इसकी खासियत ये है कि ये न तो लचीला है न ही सख्त। भारत के संविधान के तहत लोकतांत्रिक व्यवस्था संघात्मक भी है और एकात्मक भी। वहीं सेवा निवृत प्रोफेसर सीएम शुक्ला ने कहा कि संविधान विधि विशेषज्ञों के द्वारा बनाया गया है। कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं हो सकता है। यह अधिकार नागरिक और गैर-नागरिक दोनों के लिए उपलब्ध है। स्वंत्रता के अधिकार का अर्थ कहीं भी उपयोग करना नही है विशेषकर सोशल मीडिया पर। इस अवसर पर अधिवक्ता परिषद द्वारा छात्र छात्राओं को उपहार भी दिए। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर रतन सिंह तोमर ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कॉलेज के रजिस्ट्रार नरेंद्र खरे, धर्मराज गुप्ता, जितेंद्र खरे, शोभना खरे, अधिवक्ता परिषद के सदस्य उपाध्यक्ष मृदुल कांत त्रिपाठी, सह प्रचार मंत्री जेके आशु, अनुराग द्विवेदी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। वहीं अधिवक्ता परिषद के प्रदेश अध्यक्ष रमेश पटेल, अधिवक्ता परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता, अधिवक्ता परिषद के प्रदेश आमंत्रित सदस्य नरेश तिवारी, सदस्य प्रमोद खरे, जिला अध्यक्ष छतरपुर इकाई आशाराम त्रिपाठी, विधि महाविद्यालय पंडित मोती लाल नेहरू प्राचार्य रजत सत्पथी, एकेडमिक प्रभारी सीएम शुक्ला, प्रोफेसर निखिल श्रीवास्तव मंचासीन रहे।
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