राजस्व मंत्री बोले- दोषी बचेंगे नहीं, कांग्रेस ने कहा- यह अमानवीय मामला
छतरपुर। जिले में अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि के वितरण में करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट ने किया, लेकिन प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। कैग की ऑडिट रिपोर्ट मध्यप्रदेश विधानसभा में रखी जा चुकी है, फिर भी दोषी कर्मचारी बिना किसी कार्रवाई के अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं। बीते रोज जिले के प्रवास पर रहे भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री ने जहां एक ओर दोषियों पर सख्त कार्रवाई किए जाने की बात कही तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के पर्यवेक्षक एवं झारखंड के पूर्व मंत्री ने इसे अमानवीय मामला बताया है।
कैग ने पकड़ी लाखों की गड़बड़ी, जिम्मेदार बेपरवाह
कैग की ऑडिट रिपोर्ट में छतरपुर की गौरिहार तहसील में अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि में लाखों रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई। यह जांच केवल सैंपल के तौर पर की गई थी, लेकिन सूत्रों का दावा है कि जिले की प्रत्येक तहसील में राहत राशि के वितरण में करोड़ों का घोटाला हुआ। पटवारियों ने अधिकारियों की मिलीभगत से राहत राशि को अपने चहेतों के खातों में स्थानांतरित करवाया और उसे हड़प लिया। आपदाग्रस्त किसानों को न तो राहत मिली और न ही न्याय। कैग ने दोषी कर्मचारियों के नाम सहित सबूत शासन को सौंपे, लेकिन छतरपुर प्रशासन ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया।
छतरपुर तहसील में भी लाखों का गबन
सूत्रों के अनुसार, गौरिहार से कहीं अधिक भ्रष्टाचार छतरपुर तहसील की ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हुआ। वर्ष 2017-18 में अतिवृष्टि और 2019-20 में सूखा राहत राशि के दुरुपयोग की शिकायतें लगातार सामने आईं। छतरपुर तहसील के काशीपुरा, नंदगॉयखुर्द, खैरों, पापटा, लुंदवास, रमपुरा, पिपौराखुर्द, चौका, खडगांय, मातगुवां, ढालियनपुरा, गोंची, हिम्मतपुरा, छिरावल, मानपुरा, बिहारीगंज, नैगुवां, छापर, कुंवरपुरा, भडऩपुरा, बसाटा, पड़रिया, कदवां, धमौरा, सौंरा, मुवासी, टड़ेरा, हमा, मोरवा, मारगुवां, कलानी, निवारी, खामरी, हर्रई, खौंप सहित कई हल्कों में राहत राशि का गलत भुगतान हुआ। पटवारियों की जांच रिपोर्ट भी संदिग्ध पाई गई, जिसमें आपदाग्रस्त किसानों की जगह अन्य खाताधारकों को भुगतान किया गया।
भ्रष्टों को संरक्षण, किसानों की अनदेखी
कैग की रिपोर्ट में कपटपूर्ण भुगतान के सबूतों के बावजूद छतरपुर प्रशासन ने दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। मध्यप्रदेश विधानसभा में सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा किया था, लेकिन छतरपुर में दोषी कर्मचारी बिना किसी डर के ड्यूटी कर रहे हैं। इसके विपरीत, देवास कलेक्टर ने 12 पटवारियों और दो बाबुओं को बर्खास्त कर जेल भेजा, जबकि सीहोर और श्योपुर में भी दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए। छतरपुर में प्रशासन केवल धन वसूली कर मामले को रफा-दफा करने में जुटा है।
मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
एआईसीसी पर्यवेक्षक और झारखंड के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस घोटाले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, जो लोग आपदा राहत राशि में भ्रष्टाचार करते हैं, उनके अंदर मानवता नहीं बची। यह मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है। प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार करने वाला कोई भी व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा। जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
कैग ने पकड़ी लाखों की गड़बड़ी, जिम्मेदार बेपरवाह
कैग की ऑडिट रिपोर्ट में छतरपुर की गौरिहार तहसील में अतिवृष्टि और सूखा राहत राशि में लाखों रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गई। यह जांच केवल सैंपल के तौर पर की गई थी, लेकिन सूत्रों का दावा है कि जिले की प्रत्येक तहसील में राहत राशि के वितरण में करोड़ों का घोटाला हुआ। पटवारियों ने अधिकारियों की मिलीभगत से राहत राशि को अपने चहेतों के खातों में स्थानांतरित करवाया और उसे हड़प लिया। आपदाग्रस्त किसानों को न तो राहत मिली और न ही न्याय। कैग ने दोषी कर्मचारियों के नाम सहित सबूत शासन को सौंपे, लेकिन छतरपुर प्रशासन ने इस मामले को दबाने का प्रयास किया।
छतरपुर तहसील में भी लाखों का गबन
सूत्रों के अनुसार, गौरिहार से कहीं अधिक भ्रष्टाचार छतरपुर तहसील की ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में हुआ। वर्ष 2017-18 में अतिवृष्टि और 2019-20 में सूखा राहत राशि के दुरुपयोग की शिकायतें लगातार सामने आईं। छतरपुर तहसील के काशीपुरा, नंदगॉयखुर्द, खैरों, पापटा, लुंदवास, रमपुरा, पिपौराखुर्द, चौका, खडगांय, मातगुवां, ढालियनपुरा, गोंची, हिम्मतपुरा, छिरावल, मानपुरा, बिहारीगंज, नैगुवां, छापर, कुंवरपुरा, भडऩपुरा, बसाटा, पड़रिया, कदवां, धमौरा, सौंरा, मुवासी, टड़ेरा, हमा, मोरवा, मारगुवां, कलानी, निवारी, खामरी, हर्रई, खौंप सहित कई हल्कों में राहत राशि का गलत भुगतान हुआ। पटवारियों की जांच रिपोर्ट भी संदिग्ध पाई गई, जिसमें आपदाग्रस्त किसानों की जगह अन्य खाताधारकों को भुगतान किया गया।
भ्रष्टों को संरक्षण, किसानों की अनदेखी
कैग की रिपोर्ट में कपटपूर्ण भुगतान के सबूतों के बावजूद छतरपुर प्रशासन ने दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की। मध्यप्रदेश विधानसभा में सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा किया था, लेकिन छतरपुर में दोषी कर्मचारी बिना किसी डर के ड्यूटी कर रहे हैं। इसके विपरीत, देवास कलेक्टर ने 12 पटवारियों और दो बाबुओं को बर्खास्त कर जेल भेजा, जबकि सीहोर और श्योपुर में भी दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हुए। छतरपुर में प्रशासन केवल धन वसूली कर मामले को रफा-दफा करने में जुटा है।
मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
एआईसीसी पर्यवेक्षक और झारखंड के पूर्व मंत्री बन्ना गुप्ता ने इस घोटाले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, जो लोग आपदा राहत राशि में भ्रष्टाचार करते हैं, उनके अंदर मानवता नहीं बची। यह मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है। प्रशासन को निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं, मध्यप्रदेश के राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने कहा कि भ्रष्टाचार करने वाला कोई भी व्यक्ति बख्शा नहीं जाएगा। जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।