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परोपकार सबसे बड़ा पुण्य, परपीड़ा सबसे बड़ा पाप : पं. सौरभ तिवारी



छतरपुर। नगर के नरसिंहगढ़ पुरवा स्थित हनुमान मंदिर में आयोजित संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ एवं पंचकुंडीय श्री विष्णु यज्ञ का रविवार को पूर्णाहुति व विशाल भंडारे के साथ भव्य समापन हुआ। सप्ताह भर चले इस धार्मिक आयोजन से पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो गया। कथा व्यास भागवताचार्य पं. सौरभ तिवारी के मुखारविंद से प्रतिदिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्तिमय चरित्रों की अमृतवर्षा हुई, जिसे सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए।
धार्मिक आयोजन हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर 12 अप्रैल से आरंभ हुआ था, जिसमें प्रतिदिन प्रातः 9 बजे से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचकुंडीय विष्णु यज्ञ एवं दोपहर पश्चात संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया। सातवें दिन की कथा में भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग, सुदामा चरित्र एवं परीक्षित मोक्ष जैसे प्रसंगों का सुंदर वर्णन हुआ। कथा के अंतिम दिन पं. सौरभ तिवारी ने वेदव्यास के एक श्लोक का उल्लेख करते हुए कहा, अष्टादश पुराणेषु, व्यासस्य वचनं द्वयं। परोपकाराय पुण्याय, पापाय परपीड़नम्।। अर्थात् अट्ठारह पुराणों का सार यही है कि परोपकार करना सबसे बड़ा पुण्य और दूसरों को पीड़ा देना सबसे बड़ा पाप है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि जीवन में दूसरों की सहायता करना ही सच्चा धर्म है और हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे किसी को कष्ट पहुंचे। यज्ञ की पूर्णाहुति के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण कर धर्म लाभ प्राप्त किया।

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