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यह देश भक्त पुलिस है या देह भक्त,जनसेवा आदर्श वाक्य है या लूट सेवा - टीआई की मौत बाद खुलते कारनामें

 


- ड्रग माफिया+सट्टा माफिया+भू माफिया और हनी ट्रेप का संगठित गिरोह - नेता और पुलिस बनी संरक्षण दाता।

मध्यप्रदेश पुलिस का आदर्श वाक्य अब खुद शर्मिंदा दिखाई दे रहा है । इस आदर्श वाक्य मे देश के प्रति मोह यानि भक्ति और जनता की सेवा है यानि जनसेवा जुडा है पर भ्रष्ट आचरण से कमाई बेशुमार दौलत से बढ़ते अय्याशी की तरफ बढ़ते कदमताल तो अब चीख रहे है कि ""देह भक्ति, अपराधियों के साथ सौदा"।
टीआई अरविन्द कुजूर की आत्महत्या की मिस्ट्री अभी भीं मिस्ट्री बनी हुईं है। सूत्र बताते है कि इस घटना की मुख्य सूत्रधार आशीराजा की अघोषित हनी ट्रेप कम्पनी है। जिसमे दर्जनों कई नई युवतियाँ है और युवक है । जिनके तार ड्रग माफियाओ से भीं जुड़े है। इस गिरोह का जाल राजधानी भोपाल सहित अन्य नगरों मे फैला है। ड्रग माफिया, सट्टा माफिया, भूमाफिया और हनी ट्रेप कम्पनी का संगठित गिरोह है.। जिन पर मेहरबानी नेता और पुलिस की दिखाई दे रही है। कुजूर आत्महत्या मामले मे मुख्य किरदार आशीराजा का पूर्व देखे तो उसकी माँ छतरपुर जिले के बिजावर मंडल महिला मोर्चा की अध्यक्ष रही। वहीं आशी राजा भीं विद्यार्थी परिषद से जुड़ी रही। साफ तौर पर सत्ता के संरक्षण के दर्शन होते है। बताया जा रहा है कि विद्यार्थी परिषद से जुड़ने वाली कई युवतियाँ और युवक ने गिरोह तैयार किया। जिन्होंने हनी ट्रेप कंपनी बना लीं। युवतियों का हुस्न जाल और फिर ब्लैकमैलिंग कर ऐशो आराम खर्च, शान शौकत जीवन की कमाई का हिस्सा बना लिया। इस गिरोह मे ड्रग माफिया भीं जुड़े जिन्होने बुंदेलखंड और आसपास क्षेत्र मे एमडी जैसे खतरनाक नशे की सप्लाई शुरू कर दी। चूंकि सैया बनी पुलिस तो डर काहे का। बताते है कि इस गिरोह के चुंगल मे कई अधिकारी फंस जनता से लूट करते है और गिरोह पर न्योछावर करते है। भोपाल तक इस नेक्सेस ने पैर जमा रखे है। सूत्र बताते है कि पूर्व के हनी ट्रेप की तरह इस नये हनी ट्रेप गिरोह के कई नेता भीं शिकार है। ड्रग की सप्लाई पहले भोपाल से हुआ करती थी। जिस ड्रग माफिया पर भोपाल पुलिस ने कार्यवाही की थी और एमडी नशे की फैक्ट्री पकड़ी थी। आज यह गिरोह इतना ताकतवर है कि जिसमे सट्टा माफिया और भू माफिया भीं जुड़े है। जिनका नेटवर्क पूरे प्रशासन के नेटवर्क को चला रहा है। तभी तो सट्टा किंग छतरपुर निवासी राहुल को अजमानतीय धाराओं मे भीं थाने से जमानत मिल जाती है। 
छतरपुर पुलिस निष्पक्ष विवेचना कर इस पूरे संगठित गिरोह का पर्दाफाश करती है तो कई अवैध धंधे खुलेंगे। साथ ही वह पर्दानशी होंगे जो नकाब पहनकर पूरे समाज को असमाजिक कर रहे है। जरूरत है हवाला डायरी खोलने की पर क्या खाकी मे हिम्मत है? हर शाख पर उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्ता क्या होगा,, ज़ब पुलिस देश भक्ति को देह भक्ति और जनसेवा को लूट सेवा मान ले तो..?

By धीरज चतुर्वेदी

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