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कुपोषण मुक्त जिला बनाने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही दर्शना महिला कल्याण समिति



छतरपुर। जिले में कुपोषण को लेकर महिला बाल विकास विभाग सहित दर्शना महिला कल्याण समिति भी काम कर रही है। कुपोषित मुक्त बनाने के लिए सरकार भी इस ओर पूरी तरह से सजग बनी हुई है। भारी भरकम वाला बजट खर्च कर सरकार इसको मुक्त करना चाहती है। इसी उद्देश्य को लेकर जिले में महिला बाल विकास विभाग भी काम कर रहा है। इसके साथ ही कई एंजीओ भी काम कर रहे हैं। लेकिन वर्तमान में महिला बाल विकास विभाग के साथ लगभग वर्ष 2015 से दर्शना महिला कल्याण समिति भी तरह-तरह के कार्यक्रम कर कुपोषित मुक्त जिला बनाने का काम कर रही हैं। इस समिति ने आंगवाडी कार्यकर्ताओं को कुपोषण मुक्त करने के लिए तरह-तरह का प्रशिक्षण दिया है। जिससे वर्ष 2015-16 की उपेक्षा वर्ष 2019-20 तक सात प्रतिशत कुपोषित जैसी बीमारी में कमी आई हैं। वर्तमान में महिला बाल विकास विभाग और दर्शना महिला कल्याण समिति कुपोषित मुक्त जिला बनाने के लिए काम कर रही हैं।
सरकार की सर्वे रिपोर्ट-
जिला प्रशासन के अनुसार वर्ष 2015-16 में एनएफएचएस ने 41.3 प्रतिशत कुपोषित बीमारी को दर्ज किया था। इसके बाद से जिला प्रशासन ने इस ओर ध्यान देते हुए महिला बाल विकास विभाग और दर्शना महिला कल्याण समिति ने जागरूकता अभियान चलाकर जिले में कुपोषित जैसी बीमारी को कम करने के लिए काम किया है। जिससे वर्ष 2019-20 में पुन: एनएफएचएस द्वारा सर्वे किया गया था। जिसमें 34.6 प्रतिशत कुपोषित बीमारी दर्ज की गई थी। जबकि वर्तमान की रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हुई है। जबकि वर्तमान वर्ष में इस रिकार्ड के अनुसार और अधिक कम प्रतिशत दर्ज किया जा सकता है।
प्रशिक्षण और शिविरों से हुई जागरूकता-
जिले में कुपोषण को लेकर काम कर रही दर्शना महिला कल्याण समिति के अनुसार वर्ष 2015 से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को चार-चार दिन का प्रशिक्षण दिया गया था। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव जाकर गर्भवती, शिशुवती, किशोरी बालकाएं का 30 से 35 का गु्रप तैयार किया और अलग-अलग विषयों पर उनसे चर्चा करते हुए कुपोषण मुक्त करने की मुहिम चलाना शुरू कर दी थी। कुपोषण से बचने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव में जागरूकता अभियान में बताया कि घर में साफ सफाई और खान पान सहीं और सुद्ध होने से इस बीमारी को दूर किया जा सकता है। जब से लेकर आज भी कुपोषण जागरूकता अभियान चल रहा हैं। इसी वजह से कुपोषण जैसी बीमारी में कमी देखने को मिल रही हैं।
आंगनवाडिय़ों में लगाए गए पोषण पौधे-
दर्शना महिला कल्याण समिति से मिली जानकारी के अनुसार कुपोषण जैसी बीमारी से मुक्त जिला बनाने के लिए आंगनवाडिय़ों में फलदार पौधों का रोपण किया गया है। जैसे मुनगा, पपीता, अमरूद, आम, मीठी नीम और नीबू सहित हरी सब्जी का भी रोपण किया गया है। जिससे आंगनवाड़ी में आने वाले बच्चों को पोषण अहार अच्छा मिल सके और सुद्ध पोषण उपलब्ध हो सके। इसलिए इन पौधों को रौपा गया है। क्योंकि कुपोषण जैसी बीमारी से निपटने के लिए यह पौधों से निकलने वाली सब्जी और फल रामवाण का काम करती है। साथ ही पोषणवाणी में हरी सब्जी, फलदार पौधे जैसे तुरई, लौकी, सेम, टमाटर और बेगन सहित सभी प्रकार की भाजी उगाने की सलाई दी गई है। जिसमें तीन हजार से अधिक किसानों के द्वारा इन सब्जियों को उगाने का काम किया जा रहा है।
पोषण खेती के लिए किया जागरूक-
जानकारी के अनुसार दर्शना महिला कल्याण समिति ने जिले में 100 से अधिक गांव के किसानों को पोषण वाले खाद पदार्थ का उपयोग करने के लिए पोषण रहित खेती करने की विधि भी बताई गई हैं। साथ ही उन किसानों को बीच भी उपलब्ध कराया गया है और बताया गया है कि पोषण के लिए खेती किस प्रकार करना है। जैसे जो खाए वो उगाए जो उगांए वो खाए वाली खेती करने के लिए शिविरों के माध्यम से एक हजार से अधिक किसानों को जागरूक किया गया है। जिसमें यह किसान आज भी इस प्रकार की खेती कर पोषण वाली खाद सामग्री का उपयोग कर रहे हैं।

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