छतरपुर। छतरपुर से 15 किलो मीटर दूर ग्राम पंचायत अतरार में सरपंच संतोष के
द्वारा ग्रामीणों में जातिवाद का जहर केवल इसलिए घोल दिया कि एक दलित के
द्वारा गांव के ही मंदिर में प्रसाद चढ़ाकर गांव के कुछ लोगों को खिला दिया
जिससे यह बात सरपंच को रास नहीं आई और सरपंच ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए
गांव के करीब 20 लोगों का सामाजिक बहिष्कार कर उन्हें सामाज से ही निकलवा
दिया। अब गांव के लोग इनके हाथ का छुआ पानी तक नहीं पीते न ही उन्हें शादी
विवाह में बुलाते है। किसी ने कहा सरपंच ने तो गांव में बाल तक कटने बंद
करवा दिये। तो कोई बोला हम तो सरपंच के रिश्तेदार है हमें शादी विवाह व
किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाते, कार्ड में भी हमारा नाम छपवाना बंद कर
दिया। तो कोई बोला मुझे कार्यक्रमों के अलावा पूजापाठ के लिए भी बुलाना बंद
कर दिया मेरी तो जजमानी बंद हो गई। तो काई बोला मेरे यहां श्राद्ध में कोई
नहीं आया सारा खाना फेंका गया था, ब्राह्मणों में कोई भी नहीं आया जिन
ब्राह्मणों ने प्रसाद खाया था केवल वह ही आये थे। यह मामला गांव से अब
पुलिस के पास भी पहुंच चुका है लेकिन पुलिस इस मामले में कार्यवाही करने की
वजाए सिर्फ और सिर्फ जांच करने में लगी हुई है। कई दिन बीत गई लेकिन पुलिस
की जांच अभी भी चल रही है। एसपी अगम जैन से शिकायत होने के बाद जांच के
सख्त निर्देश तो दिये गए थे लेकिन यह जांच कब तक चलेगी यह समझ से परे है।
फिलहाल इस मामले में अब तक कई लोगों के बयान भी हो चुके है। फिलहाल इस
मामले को राजनैतिक विवाद बता कर दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
ग्राम
पंचायत अतरार छतरपुर से 15 किलो मीटर दूर है गांव की आबादी करीब 3500 है।
पहले सभी लोग एक दूसरे से मिलकर रहते थे लेकिन 20 अगस्त 2024 से गांव का
पूरा माहौल ही बदल गया। दरासल गांव के बाहर तालाब किनारे एक तिलैया बब्बा
हनुमान मंदिर है जहां पर जगह अहिरवार ने प्रसाद चढ़ाया और उस प्रसाद को
मंदिर में मौजूद जगदीश तिवारी, महेश अवस्थी, रामकिशोर अग्निहोत्री, गणेश
तिवारी, विनोद विश्वकर्मा, कुट्टम कुशवाहा, मिहीलाल कुशवाहा, राजू कुशवाहा,
उत्तम काछी, नंदी कुशवाहा, लल्लू यादव और कुछ अन्य लोगों ने खा लिया। उस
दिन के बाद गांव के सरपंच संतोष तिवारी ने गांव वालों के बीच ऐसा जातिवाद
का जगह घोला कि गांव के लोग ही एक दूसरे से नफरत करने लगे। गांव के दलित
युवक जगत अहिरवार सहित गांव के करीब 20 लोगों को सरपंच ने समाज से बाहर करा
दिया। जिससे गांव की शांति अशांति में बदल गई। गांव वालों ने बताया कि
इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक अगम जैन से भी की गई थी शिकायत के बाद अधिकारी
गांव भी आये थे लेकिन मामला अभी वहीं का वहीं है। पुलिस कह रही है कि जांच
चल रही है अब यह जांच कब तक चलेगी यह तो समझ के परे है लेकिन इस सब में
गांव वालों का बहुत ही बुरा हाल है। ग्रामीणों का कहना जिसने गांव में यह
जातिवाद का जहर घोला है उस पर सख्त कार्यवाही और गांव से यह जात-पात छुआ
छूत खत्म हो।
इनका कहना-
पुजारी रामकिशोर अग्रिहोत्री ने कहा कि उसे
समाज से अलग कर दिया गया। अब गांव के लोग उन्हें न तो कार्यक्रमों में
बुलाते है और न पूजा पाठ कराते है। लोगों ने पूजा पाठ के लिए बुलाना भी बंद
कर दिया।
ग्रांव के नारायण तिवारी ने बताया कि सरपंच हमारे परिवार के
ही है वो हमारे चाचा के बेटे है हमारे परिवार के लोग ही हमें शादी विवाह या
किसी कार्यक्रम में नहीं बुलाते है कार्ड में भी हमारा नाम छपवाना बंद कर
दिया और यह सब सरपंच का करा धरा है।
गांव के लल्लू यादव ने बताया कि
उसके घर श्राद्ध थी जिसमें कुछ ही लोग शामिल हुए थे। सरपंच के द्वारा
सामाजिक बहिष्कार करा देने के कारण कोई नहीं आया था सारा खाना भी फेंका गया
था। ब्राह्मणों में कोई भी नहीं आया था जिन लोगों ने मंदिर पर प्रसाद खाया
था सिर्फ वहीं ब्राह्मण आये थे।
गांव के रमेश तिवारी ने बताया कि सरपंच
ने गांव में हमारे बाल तक कटने बंद करवा दिए है। नाई हमारे बाल तक नहीं
काटता। हमें छतरपुर जाकर बाल कटवाने पड़ते है।
वहीं शिकायतकर्ता जगत
अहिरवार ने कहा कि तब से मेरे हाथ से प्रसाद का लड्डू खाया है तब से ही
गांव के सरपंच ने इन सभी को समाज से बहिष्कृत कर दिया। अब कोई भी उनका छुआ
नहीं खाता न ही इन्हें किसी शादी विवाह में बुलाते है।