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डॉक्टरों की लापरवाही से मरीजों की हो रही मौत


स्वास्थ्य केंद्र में समय पर नहीं मिलते डॉक्टर एवं इलाज की सुविधा

 घुवारा। थाना क्षेत्र के ग्राम बुदौर में रहने वाले सुक्की अहिरवार पिता किशोरा अहिरवार की मौत एक्सीडेंट में उस समय हो गई जब वह रोजमर्रा के कार्य पूर्ण कर अपने गांव वापस लौट रहा था। प्राप्त जानकारी के अनुसार घुवारा थाना क्षेत्र के ग्राम बुदौर निवासी अहिरवार परिवार में उस समय दुख की लहर फैल गई। जब उन्होंने अपने 40 वर्षीय पिता सुक्की अहिरवार की  मोटरसाइकिल दुर्घटना की खबर सुनी मृतक के छोटे भाई भूरा अहिरवार ने बताया की मेरा भाई सुक्की रोजमर्रा का कार्य पूर्ण कर शाम 6 बजे के तकरीबन अपने घर पुराबुदौर लौट रहे थे। तभी किसी अज्ञात बोलेरो ने घुवारा के पास राय बेयर हाउस के पास उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। जिन्हे अकस्मात वहां से गुजर रहे घुवारा पुलिस थाना प्रभारी रोहित प्रमोद द्वारा पुलिस के शासकीय वाहन से घुवारा स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया जहां पूर्ण जांच उपरांत डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

समय से एंबुलेंस न डॉक्टर मिलने से भाई की जान गई-भूरा अहिरवार-
सम्पूर्ण घटनाक्रम में नया मोड़ तब आया जब मृतक के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाए।उन्होंने घुवारा अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टर आनंद यादव को कई बार कॉल करने के बाद यह उत्तर मिला की वह छुट्टी पर हैं। पेसेंट को देखने के विनम्र अनुरोध के पश्चात यह उत्तर मिलना की आपको जिससे शिकायत करनी हैं कर दें अभी में छुट्टी पर हूं। लेकिन जब इस संबध में अस्पताल अधिकारी से शिकायत की तो उन्होंने बताया की मैंने उन्हें कोई छुट्टी नही दी है। वही मृतक के परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा की जब हम दुर्घटनाग्रस्त सुक्की को घुवारा अस्पताल लाने के लिए इमरजेंसी वाहन 108 पर कॉल किया तो वह उन्हें समय पर उपलब्ध न हो सका।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त स्टाफ होने के बावजूद क्यों नहीं मिलते डॉक्टर-
घुवारा में पर्याप्त 8 डॉक्टर स्टाफ व नवनिर्मित पोस्टमार्टम रूम उपलब्ध है तो मृतक के परिजनों का अनावश्यक व्यय कर उन्हें शव के पोस्टमार्टम हेतु बड़ामलहरा क्यों भेजा जाता है। लेकिन संगीन आरोपों के मध्य शव का पोस्टमार्टम कर पूर्ण प्रशासनिक कार्यवाही उपरांत शव परिजनों को सौंप दिया जाता है। वहीं इस पूरे प्रकरण में थाना प्रभारी ने बताया कि अज्ञात वाहन की तालाश तेजी से जारी है। मृतक सुक्की अपने पीछे पत्नी तीन पुत्रियों सहित एक 9 वर्ष का पुत्र छोड़कर गया है। मृतक की बड़ी पुत्री मानसिक रूप से विक्षिप्त बताई जा रही है।

विगत दिनों पूर्व डॉक्टरों एवं आशा कार्यकर्ता की लापरवाही से हो गई थी शिशु की मौत-
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घुवारा में एक शिशु की मौत का मामला सामने आया था  जिस पर अस्पताल परिसर में परिजनों ने भारी हंगामा किया था  है। आपको बता दे कि ग्राम हलावनी के हरपुरा निवासी गौरी बाई पत्नी मोहन लोधी उम्र 23 को सुवह करीब 10 बजे प्रसवपीड़ा हुई इसके बाद पीडि़ता के परिजनों ने आशा कार्यकर्ता सितारा बेगम से कहा कि आप एंबुलेंस बुला दो लेकिन आशाकार्यकर्ता ने कोई मदद नही बल्कि प्रसूता के परिजनों को केबल आश्वाशन देती रही जिसमे प्रसूता के परिजन परेशान होते रहे जब तक प्रसूता प्रसव पीड़ा से जूझती रही। जब प्रसूता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए शासकीय एंबुलेंस वाहन नही मिला तो परिजनों से निजी वाहन बुला कर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुचे लेकिन वहां भी डॉक्टर नही मिला नर्सिंग स्टॉप के द्वारा लापरवाही करते हुए समय का ध्यान नही दिया गया। जिस कारण प्रसूता पीड़ा से जूझती रही लेकिन नर्सिंग स्टॉप ने कोई उपचार नही दिया जिससे प्रसव के दौरान शिशु की मौत हो गई। अब सवाल उठता है की इस प्रकार की लापरवाही बरतने से बार बार किसी ना। किसी की मौत हो रही लेकिन छतरपुर स्वास्थ्य विभाग और कलेक्टर इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं न ही लापरवाह डॉक्टर पर कोई  कार्रवाई नहीं कर रहें।

इनका कहना है-
मामला मेरे संज्ञान में है इस घटना से मुझे भी बहुत दु:ख हुआ, घुवारा अस्पताल में बार-बार डॉक्टर की लापरवाही के मामले सामने आ रहें हैं मैं तुरंत जांच टीम गठित कर जांच करवाता हूं जांच उपरांत कठोर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
आरपी गुप्ता सीएचएमओ, छतरपुर

मैं अभी ग्वालियर मैंं हूं खबर को आप रोक दीजिए मैंं कल आपसे मुलाकात कर बैठकर बात कर लूंगा लेकिन ख़बर प्रकाशित नही करो।
के.पी बामोरिया बीएमओ, बड़ामलहरा

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