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एक वर्ष सेे जिंदा साबित करने की फरियाद लिए घूम रहा युवक

 



लाड़ली बहिना योजना के कारण दस्तावेजों में मृत हुए पीडि़त

छतरपुर। जिला प्रशासन इन दिनों लोगों की समस्याओं को लेकर चुप्पी साधे हुए है। वर्षो से जिले के पीडि़त लोग कलेक्ट्रेट के चक्कर लगा रहे है।  कलेक्ट्रेट परिसर में बैठे अधिकारी लोगों की समस्याओं का समाधान करने के ऐवज में मूक दर्शक बने हुए है। जिला कलेक्टर लोगों की समस्याओं का समाधान को लेकर बड़े-बड़े बादे करते हुए फोटो खिचवा रहे है। लेकिन जनसुनवाई में मामला अजीब और गरीब आया है। जहां जिंदा युवक अपने-आप को जिंदा साबित करने की फरियाद लिए एक वर्ष से घूम रहा है। लाड़ली बहिन योजना के दौरान जिले के अफसरों ने दस्तावेजों में उसे मृत घोषित कर दिया है। लाड़ली बहिना योजना के लाभ की जगह  पीडि़त की पत्नी को विधवा पेंशन मिल रही है। जबकि उसका पती जिंदा है और जिला अफसरों के एक वर्ष से अपने-आप को जिंदा साबित करने की फरियाद लिए घूम रहा है। लेकिन जिला प्रशासन उसकी सुनने के लिए तैयार भी नहीं है।
अफसरों ने किया दस्तावेजों में मृत घोषित
जिले के बड़ामलहरा तहसील निवासी बृजेश विश्वकर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि एक वर्ष पहले लाड़ली बहिना योजना चली थी। उस योजना में पत्नी को लाभ मिलने को लेकर फार्म भरा था। जबकि मेरी माताजी का नाम भी उर्मिला विश्वकर्मा है और मेरी पत्नी का भी नाम उर्मिला विश्वकर्मा है। और मेरे पिताजी का स्वर्गवास हो गया है। लेकिन जब लाड़ली बहिना का फार्म भरा और दस्तावेज कम्पलीट करवाए तो अधिकारियों ने मेरी पत्नी की बलदीयत में मेरे को मृत शाबित कर दिया। और लाड़ली बहिना की जगह बिधवा पेंशन मिलना पत्नी को शुरू हो गई। जैसे ही मुझे पता चला तो संबंधित अधिकारियों पास जाकर व्यथा सुनाई लेकिन कुछ भी नहीं हुआ है।
खुद को जिंदा साबित करने अफसरों के काट रहा चक्कर
बड़ामलहरा निवासी बृजेश विश्वकर्मा ने बताया कि उसकी पत्नी का नाम उर्मिला विश्वकर्मा है और उसकी मां का नाम भी उर्मिला विश्वकर्मा है। गत वर्ष लाड़ली बहना योजना का फार्म भरे जाने के दौरान त्रुटिवश समग्र आईडी सहित कुछ अन्य दस्तावेजों में वह मृत घोषित हो गया था। तब से लेकर अभी तक बृजेश स्वयं को जिंदा साबित करने के प्रयास में अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। इसके साथ ही उसकी पत्नी को लाड़ली बहना योजना के स्थान पर विधवा पेंशन मिल रही है। कलेक्टर को आवेदन देकर बृजेश ने मांग की है कि दस्तावेजों में हुई त्रुटि का सुधार किया जाए। लेकिन एक वर्ष होने वाले है अभी तक वह अपने आप को दस्तावेजों में जिंदा साबित नहीं कर पाया है। जिले के अफसरों की लापरवाही के कारण  दस्तावेजों का मृत व्यक्ति जिंदा घूम रहा है।
इनका कहना है
विधुवा पेशन उसकी मॉ को मिल रही है क्योंकि पिता का स्वर्गवास हो गया है। जबकि उसकी समग्र आईडी एक वर्ष पहले सुधर चुकी है। उसकी पत्नी को लाड़ली बहिना का लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए वह घूम रहा है। जब भी लाड़ली बहिना का पोर्टल खुलेगा उसकी पत्नी का नाम जोड दिया जायेगा। लेकिन जो खबर चल रही है वह गलत है दस्तावेजों में कही भी मृत नहीं है।
प्रशांत अग्रवाल, एसडीएम, बड़ामलहरा

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