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जिसकी आत्मा में धर्म पहुच जाये धर्मात्मा हो जाता है-मुनि श्री शिवानंद महाराज

 


बड़ामलहरा। श्री दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर के नवनिर्माणाधिन मंदिर परिसर में युगल मुनि श्री शिवानंद एवम मुनि श्री प्रसमानन्द महराज के सानिध्य में चल रहे चार दिवसीय जम्बूदीप महामण्डल विधान में  सुबह से श्रीजी का अभिषेक,शांतिधारा,एवम विधान किया गया।धर्म सभा को संभोदित करते हुए मुनि श्री शिवानन्द महाराज ने कहा कि जब कोई अपना सुनाता है तो सुनने की इच्छा भी होती है जब कोई अपना समझता है तो बात भी समझ मे आती है।धर्मात्मा सदैव अपना होता है,दिगम्बर संत सब को अपना समझते है क्योंकि वो सबके प्रति अपनत्व रखते है।जम्बूदीप मण्डल विधान करते हुए आप सबके मन में एक भाव जाग्रत होता है कि धर्मात्मा कैसे बने,हम परमात्मा कैसे बने।लोगो को लगता है हम धर्मात्मा है लेकिन सही मायने में धर्मात्मा नही है,अभी सिर्फ धर्मिक है।दोनों  की क्रियाओं में अंतर है,धर्मिक और धर्मात्मा होने में आत्मीयता का अंतर प्रकट होता है।जब जब जीव धर्मिक क्रियाये केवल काय से वचन से करता है कभी कभी मन का भाव लगा देता है तो भी धर्मिक कहलाता है।लेकिंन जब वो धर्मिकता में क्रिया करते करते अपने अंतरात्मा तक ले जाता है।जीवन के चरित्र मे परिवर्तन होने लगता है वह सही मायने में धर्मात्मा होता है।जिसकी आत्मा में धर्म पहुच जाये धर्मात्मा हो जाता है।इस अवसर पर शील देव?िया,राजेन्द्र जैन,कमल जैन,प्रमोद जैन,महेश शास्त्री,शुभम शास्त्री,सहित सभी धर्मप्रेमी महानुभाव मोजूद रहे।

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