Type Here to Get Search Results !
ब्रेकिंग न्यूज़

Breaking Posts

Right Post

400 पार नहीं, अबकी बार... लंगड़ी सरकार- जीतेन्द्र रिछारिया

 



छतरपुर। पूरे चुनाव में खूब हो हल्ला हुआ भाजपा द्वारा नारा दिया गया अबकी बार चार सौ पार लेकिन जो परिणाम सामने आए उससे एक बात तो साबित हो गई कि आम जनमानस ने भाजपा के 400 पार के नारे को जुमला साबित कर दिया और 10 साल बाद भारत की राजनीति में फिर एक बार किसी भी एक दल को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला। सन 1989 से लेकर 2014 तक जो गठबंधन का दौर चला एक बार भारत की राजनीति में फिर उसी दौर की वापसी हो गई है इसलिए भाजपा का ये कहना कि अबकी बार 400 पार बदल कर अबकी बार... लंगड़ी सरकार! में परिवर्तित हो गया।
भाजपा जिन प्रभु श्री राम के नाम पर देश की सत्ता पर काबिज हो गई थी अहंकार में चूर मोदी शाह को उन्हीं भगवान राम की अयोध्या समेत हिंदी पट्टी में ही मुंह की खानी पड़ी और भाजपा ने अपने पिछले प्रदर्शन की 67 सीटें गवां दी जो निश्चय ही भाजपा के 400 पार के नारे को जुमले में परिवर्तित करता हुआ साबित हुआ। वह तो गनीमत रही कि एमपी, छत्तीसगढ़,गुजरात और दिल्ली जैसे राज्यों ने लाज बचा दी वरना प्रभु राम ने शायद मोदी शाह को वनवास देने का पूरा मन बना लिया था।   दरअसल मोदी.. बस मोदी.. गारंटी मोदी,, वोट मोदी,,,,,, खो गई थी बीजेपी और उसके गठबंधन तथा गुम हो गया था आर एस एस । बस मोदी,,,, जिनका अहंकार का गुब्बारा कुछ ऐसा फूटा कि सरकार बनाने के लाले पड़ रहे हैं। भले ही एनडीए सरकार बना ले पर मोदी कहाँ,? जिनकी जीत का मार्जिन भीं,,, मोदी जी की ख्याति को चोट है. राहुल गाँधी की जीत का अंतर और मोदी की जीत का अंतर,, आंकलन करे, तो पता चलेगा कि मे को में खा गया।
भाजपा के सबसे बड़े नेता रहे पंडित अटल बिहारी वाजपेई ने एकबार संसद में कहा था कि सरकारें है तो आती जाती रहती है लेकिन इस देश को रहना चाहिए, देश का लोकतंत्र रहना चाहिए लेकिन शायद 10 साल की सत्ता के बाद मोदी और शाह की जोड़ी अपने ही नेता के इस बयान को भूल गई और अहंकार में चूर गुजरात की इस जुगल जोड़ी ने यह समझ लिया कि जिस तरह देश के कारोबार पर अडानी और अंबानी का कब्जा है ठीक उसी तरह देश की राजनीति पर अब मोदी शाह का कब्जा हो चुका है। कल के परीणाम देखकर जिस तरह से शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव हुआ और खास तौर पर अडानी के शेयर जिस तरह से धराशाई हुए उससे तो यही साबित होता है कि आम जनता भी राहुल के इस बयान से काफी हद तक सहमत है कि यह सरकार देश के किसानों,आम नागरिकों और गरीबों की नहीं बल्कि अडानी और अंबानी की सरकार है। इतना ही नहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो यहां तक कह डाला था कि अब भाजपा स्वयं इतनी मजबूत हो गई है कि उसे अपने पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग की कोई आवश्यकता नहीं है लेकिन शायद वे यह भूल गए कि बेटा कितना भी बड़ा हो जाए लेकिन बाप से हमेशा छोटा ही रहता है। उत्तर प्रदेश के दो लडक़ों ने येन वक्त पर ऐसा झटका मारा कि मोदी शाह बस देखते रह गए उन्हें अंदाजा ही नहीं था की उत्तर प्रदेश में पार्टी इतने निचले स्तर पर चली जाएगी शायद वह यूपी की जनता की नब्ज नहीं समझ पाए और यही कारण है कि यूपी में मोदी और शाह के साथ-साथ योगी का जादू भी कामयाब नहीं हुआ। भारत की राजनीति में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है कि दिल्ली की सत्ता की चाबी उत्तर प्रदेश से ही निकलती है जो सही साबित भी हुई है। यूपी में अगर भाजपा अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा देती तो अपनी दम पर 272 का जादुई आंकड़ा पार कर जाती और उसे जुगाड़ की सरकार बनाने की जरूरत ना होती। अब भाजपा सरकार तो बनाएगी लेकिन सत्ता की चाबी पलटू नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं के हाथ में रहेगी जिससे सरकार की स्थिरता पर हमेशा सवालिया निशान लगा रहेगा। इंडिया गठबंधन को सत्ता बनाने लायक सीटें तो नहीं मिली लेकिन उसने मोदी और शाह के तिलिस्म को तोडऩे का काम जरूर किया है और ऐसा पहली बार हुआ है जब चुनाव परिणाम से जहां सत्ताधारी दल भाजपा अपनी सत्ता बचाने में कामयाब होने पर संतोष जता रहा है तो वहीं विपक्षी खेमे में भी जश्न का माहौल है। यानी सत्ता किसी की भी बने लेकिन देश के सभी राजनीतिक दल अपने आप में खुश हैं हालांकि कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में पिछली बार से काफी बेहतर करने का प्रयास किया है लेकिन सत्ता की चाबी अभी भी दूर नजर आ रही है। सियासत के इस नए समीकरण में अब एक बार फिर देश में गठबंधन की राजनीति का दौर शुरू हो गया है और इस दौर के आने के बाद मोदी शाह जो अपने आप को पार्टी से भी ऊपर समझने लगे थे उन पर खास तौर पर उनकी राजनीतिक निर्णयों पर लगाम जरूर लगेगी। हालांकि इस बार के परिणामों में देश का आम जनमानस भी यह तय नहीं कर सका है कि आखिर माइंडेड किसे मिला है लेकिन लोकतंत्र में संख्या बल के हिसाब से ही सत्ता की बुनियाद तय होती है और अभी संख्या बल एनडीए के साथ दिखाई दे रहा है। इतिहास गवाह रहा है कि ऐसी सरकार कब अस्थिर हो जाए इसका कोई समय निश्चित नहीं है, ऐसे में पलटू नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की बैसाखी के सहारे अब एनडीए की सरकार चलेगी तो मोदी व शाह को समझौते भी करने पड़ेंगे। इतना ही नहीं कुछ दिनों बाद आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी में भी मोदी की लोकप्रियता में कमी का एक नया समीकरण भी हमें देखने को मिल सकता है जो शायद मोदी सुरक्षा को सत्ता की मुख्य धारा से भी अलग कर दे, हालांकि अभी यह कहना बहुत जल्दबाजी होगा लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा खास तौर पर मोदी और शाह के अबकी बार 400 पार के नारे की हवा निकल चुकी है और  देश में अबकी बार ... लंगड़ी सरकार? शायद जनता का असली माइंडेड भी यही है।

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad