संस्कार से वंचित बच्चे नहीं करते माता-पिता का सम्मान: शंकराचार्य जी


छतरपुर। संतों की तपोभूमि बागेश्वर धाम पधारे पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रवास के दूसरे दिन सुबह से आयोजित गोष्ठी में बौद्धिक उद्बोधन दिया। वहीं इस दौरान प्रश्नोत्तरी का सत्र चला। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में लोग काम को प्रमुखता दे रहे हैं जिससे वे अपने बच्चों को संस्कार देना भूल रहे हैं। संस्कार से वंचित बच्चे माता-पिता का तिरस्कार करते हैं। कार्यक्रम के दौरान शंकराचार्य जी का चरण पादुका पूजन किया गया।
बागेश्वर धाम की गौशाला प्रांगण में सुबह से संगोष्ठी और प्रश्नोत्तरी का सत्र रखा गया। इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने लोगों की जिज्ञासाएं शांत कीं। उन्होंने बताया कि संस्कार से वंचित बच्चों पर जो बाहरी प्रभाव पड़ता है उसके परिणामस्वरूप बच्चे माता-पिता का सम्मान नहीं करते। एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि चार वर्णों में अंत्यज के हाथ में ही प्राचीन काल में छोटे-छोटे उद्योग थे लेकिन  अंत्यज यानि छोटे भाई का राजनीतिकरण कर उसे दलित बना दिया गया।
 कुटीर उद्योगों के माध्यम से कार्य करने वाले छोटे भाई को समाज का दबा-कुचला व्यक्ति दिखाकर उसे गुमराह किया गया। परिणामस्वरूप वह छोटा भाई अन्य धर्मों की ओर मुड़ गया। विश्व भर में चल रहे युद्ध के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि परम सनातनी कभी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता। विनम्रता को जब कायरता समझा जाता है तब युद्ध की स्थिति आती है। विश्व शांति में सनातन की भूमिका महत्वपूर्ण है। क्योंकि सनातन धर्म वसुदैव कुटुम्बकम् की भावना को बल देता है। संगोष्ठी के दौरान बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, आजानभुज सरकार जनराय टौरिया के महंत श्रंगारी महाराज, संकट मोचन मंदिर के महंत पं. राजीवलोचन महाराज, आदित्य वाहिनी के जिला संयोजक पं. द्रोणाचार्य द्विवेदी के अलावा, महर्षि वेद विज्ञान पीठ के बटुक ब्राह्मणों सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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