छतरपुर। मप्र में हुए नर्सिंग कॉलेज घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने मंगलवार को शहर के चौबे कॉलोनी क्षेत्र में स्थित स्वामी विवेकानंद कॉलेज में अचानक पहुंचकर दस्तावेजों की जांच पड़ताल की। लगभग 20 सदस्यीय टीम ने कॉलेज के दरवाजे लगवाकर दस्तावेजों को खंगाला और स्टाफ से पूछताछ भी की। उल्लेखनीय है कि जबलपुर हाईकोर्ट के निर्देश पर मप्र के 375 महाविद्यालयों में नर्सिंग छात्रों के प्रवेश और फैकल्टी से जुड़े बड़े घोटाले की जांच की जा रही है। इस जांच में छतरपुर के भी कई कॉलेजों के नाम शामिल हैं। स्वामी विवेकानंद कॉलेज के अलावा आज शहर के दूसरे नर्सिंग कॉलेजों की भी जांच पड़ताल की जा सकती है।
क्या है घोटाला
जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है। घोटाले के सामने आने के बाद राज्य के 375 कॉलेजों में इनरोल 1.25 लाख से अधिक नर्सिंग स्टूडेंट्स पिछले तीन साल से अपनी परीक्षाएं नहीं दे पाए हैं। यहां तक कि 2020-21 के सेशन में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स की अभी तक फसर््ट ईयर की परीक्षा भी नहीं हुई है। मध्य प्रदेश में ये घोटाला साल 2020 में सामने आया था। यह पता चला थी कि स्टेट नर्सिंग काउंसिल ने ऐसे कॉलेजों को मान्यता दी हुई थी जो या तो केवल कागजों पर चल रहे थे या किराए के एक कमरे में चल रहे थे। कई नर्सिंग कॉलेज किसी अस्पताल से एफिलिएटेड नहीं थे। इसके बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने राज्य के सभी 375 नर्सिंग कॉलेजों की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। दरअसल, 2022 की शुरुआत में प्रदेश के 55 नर्सिंग कॉलेजों के संचालन में गड़बड़ी की जांच करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। ये कॉलेज किसी भी थ्योरी और प्रैक्टिकल पढ़ाई के बिना ही स्टूडेंट्स को डिग्री दे रहे थे। हाईकोर्ट ने अब तक ऐसे 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। 2022 में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने भी नर्सिंग कॉलेज घोटाले में जांच शुरू की थी। प्रदेश में छतरपुर, बालाघाट, बड़वानी, बैतूल, नर्मदापुरम, धार, भोपाल, इंदौर, जबलपुर, खरगोन, पन्ना, विदिशा, टीकमगढ़, शहडोल, सिवनी, सीहोर जैसे जिलों के कॉलेज भी शामिल हैं। इनमें से कुछ कॉलेजों में दिल्ली, यूपी, राजस्थान और हरियाणा के छात्रों ने भी एडमिशन लिया था।