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मेहनत मजदूर की, श्रेय लूट गये ताकतवर,अंततः वह कर्मकांर खो गये राजनीति के पाले में

 (धीरज चतुर्वेदी छतरपुर बुंदेलखंड)

-फोटो राजनेताओं की,, पर वह सुरंग खोदू हाथो के कारीगर कहाँ गये जिनके हुनर हाथो


की मेहनत ने उत्तराखंड की टनल/सुरंग में फंसे उन 41 जिंदगीयों को बाहरी हवा में सांस देने का काम किया। असल में बुंदेलखंड के झाँसी और दिल्ली से लाये गये हुनर कलाबाजो का कमाल है जिन्होंने जीवनदान देने में अपना जीवन लगा दिया। उत्तराखंड में फंसे कामगारो को निकालने में मशीने टुकड़ा टुकड़ा हो गई तब काम आया पुराना तरीका जो कहलाता है रेट माइनिंग। बेहद गरीब मजदूर यह काम करते है। मशीन युग जब फ्लॉप हो गया तब इन गरीब मजदूरों ने अपने जज्बे से पूरे देश को कामयाबी दिलाते हुए उन कामगारो को नया जीवन दिया जो 17 दिन से सुरंग में फंसे थे। दुखद है कि सुरंग को खोदने वाले मजदूर अब गायब है जिनकी दम पर कामयाबी के झंडे गढ़ते हुए 41 मजदूर अपने परिवार से सकुशल मिल पाये। राजनेता, अधिकारी उन हाथो पर हावी हो गये जिनकी मेहनत और जज्बे पर कामयाबी बुलंद हुई।

देश की यही विडंबना है कि सैकड़ो मजदूरों ख़ासकर रेट माइनर्स और देश की फौज ने कमाल कर दिखाया, वह असली हीरो पिक्चर में नहीं है। सुरंग में फंसे मजदूरों को उत्तराखंड सरकार ने एक एक लाख देने की घोषणा की पर उन मजबूर मजदूर को क्या मिला जिन्होंने इन 41 कामगारो को नया जीवन दिया। सबसे बड़ा सवाल है कि यह मजदूर क्यों सुरंग में फंसे। पहाड़ो के साथ छेड़छाड़ कर विकास की धारणा में निर्माण कम्पनिया कहाँ लापरवाही बरत रही है। विकास के साथ पहाड़ो का नेचर भी समझना होगा। कोई भी आपदा एक सबक देती है। इसलिए इस संकट से क्या सबक लिया यह भी देखना होगा। साथ ही संकट काल में 13 मीटर की अंतिम खुदाई करने वाले खोदू मजदूरों के समर्पण को भी उपकृत करना होगा जहाँ मशीनी युग छलनी हो गया था। केवल उन 12 मजदूरों पर 41 कामगारो का जीवन था जिनके जज्बे ने सफलता दिलाई। जिनकी कामयाबी पर श्रेय लूटने की कोशिशे जारी है और गुमनाम है वह खोदू मजदूर।

 माइनिंग को कुतरने का खिलाडी परसादी लोधी-

बुंदेलखंड के झाँसी निवासी परसादी लोधी ने सुरंग से कामगारो की सकुशल वापसी का अपनी दम ताकत और जज्बे की दम पर दम भरा। पिछले एक दशक से अधिक गुजरात और दिल्ली में रेट होल माइनिंग का काम करने वाले परसादी लोधी के सामने सुरंग से कामगारो को निकालने का पहला अनुभव था। अपने साथियो को बचाने के जूनून को लेकर उसने हेंड ड्रिलिंग माशीन से 800 मीटर के पाइप से ड्रिल कर मलबा निकलना शुरू कर दिया। करीब 24 घंटे के भीतर परसादी और उसकी टीम ने 15 मीटर खुदाई कर दी।

पाइप पुशिंग के कलाकार राकेश राजपूत-

झाँसी निवासी राकेश राजपूत पाइप पुशिंग के जादूगर है जो एक निजी कम्पनी में काम करते है। राकेश ने सुरंग को खोदने के समय  गेंती फावड़े से मलबा एकत्र कर मलबा निकाला ट्राली में चढ़ बाहर खींचा। अमेरिका की आगर मशीन की दगाबाजी से राकेश भी सुरंग में फंस गया था पर उसका हौसला और साथियो के साथ ने वह करिश्मा दिखाया जो दुनिया में अद्भुत होकर 41 कामगारो को नया जीवन दे गया।झाँसी के भूपेंद्र राजपूत भी सुरंग से कामगारो को निकालने के दल में रहे।

हम भगवान नहीं मजदूर है, पर यह खोदू मजदूर भगवान से कम नहीं गुमनामी में देश के असली हीरो।

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