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छतरपुर के तालाबों में गंदगी और जलकुंभी का आलम


छतरपुर। शहर के प्राचीन तालाबों में इन दिनों गंदगी और जलकुंभी का बोलबाला है, जिससे न केवल तालाबों की सुंदरता नष्ट हो रही है, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। ग्वालमंगरा तालाब, सिंघाड़ी नदी, संकट मोचन तालाब सहित अन्य तालाबों में साफ-सफाई के अभाव ने स्थिति को बदतर बना दिया है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से तत्काल सफाई कराने की मांग की है।
ग्वालमंगरा तालाब, जो कि शहर की ऐतिहासिक धरोहर है, पूरी तरह जलकुंभी और गंदगी की चपेट में है। यही हाल सिंघाड़ी नदी और संकट मोचन तालाब का है, जहां जलकुंभी की मोटी परत और कचरे का ढेर तालाबों को नष्ट कर रहा है। भाजपा के जिला सह कोषाध्यक्ष अभिषेक ताम्रकार ने बताया कि स्थानीय लोग लंबे समय से इन तालाबों की सफाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं गया। उन्होंने कहा कि तालाबों की गंदगी से मच्छरों और दुर्गंध की समस्या बढ़ रही है, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा है।
गौरतलब है कि इन जलस्रोतों की सफाई होने से तालाबों का प्राकृतिक सौंदर्य लौटेगा, जो शहर की पहचान को और निखारेगा। भूजल स्तर में सुधार होगा, क्योंकि साफ तालाब वर्षा जल को संरक्षित करने में मदद करते हैं। साथ ही, स्वच्छ जलाशय मछली पालन और अन्य स्थानीय गतिविधियों को बढ़ावा देंगे, जिससे आर्थिक लाभ होगा। तालाबों की सफाई से पर्यटन को भी प्रोत्साहन मिलेगा, क्योंकि स्वच्छ और सुंदर तालाब आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से तालाबों की नियमित सफाई, जलकुंभी हटाने और कचरा प्रबंधन की व्यवस्था करने की अपील की है। अभिषेक ताम्रकार ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो जनता आंदोलन के लिए बाध्य होगी। प्रशासन से अनुरोध है कि तालाबों की सफाई को प्राथमिकता देकर शहर की धरोहर को बचाया जाए और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जाए।

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