(धीरज चतुर्वेदी, बुंदेलखंड)
मोराहा गोलीकांड के आरोपी भोलाराम अहिरवार के मामले में सागर संभाग के आईजी प्रमोद वर्मा की कहानी ने नया मोड़ दे दिया है। जिस छतरपुर जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी दूर ग्राम पूँछी के पास सिद्ध बाबा के पहाड़ पर भोलाराम ने खुद को गोली मारकर हत्या की, वहाँ मौके पर आईजी साहब पहुंचे और उन्होंने पत्रकारों को बताया कि भोलाराम ने पुलिस पर दो फायर किये वहीं पुलिस ने रक्षा में चार फायर किये। फिर भोलाराम ने खुद को गोली मार आत्महत्या कर लीं। पुलिसिया कहानी आम लोगो को हजम नहीं हो रही है। सूत्र बताते है कि सिविल लाइन टीआई चौबे, अपने अधीनस्थ जयबेदी व अन्य पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे तो भोला राम ने खुद को अपराधी बनने के लिये टीआई सहित अन्य को गालिया दी।
उसका कहना था कि तुम लोगो ने मुझे अपराधी बना दिया। सूत्र बताते है कि घटना की यह सच्चाई कई पुलिसकर्मियों ने अपने मोबाइल में कैद कर लीं। बताते है कि पुलिस के आला अधिकारियो ने उन मोबाइल को अपने कब्जे में ले लिया जिसमे पूरे घटनाक्रम का सच रिकॉर्ड हुआ था। अब सूत्रों की खबर में कितनी सच्चाई है यह तो उच्च स्तरीय जाँच का विषय है पर इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता कि भोलाराम जिस सिविल लाइन टीआई और उसके अधीनस्थ पर दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दर्ज करने के आरोप लगाये थे, अगर छतरपुर जिले का आला अफसर इन आरोपित खाकी वर्दीधारियों को नहीं भेजती तो भोलाराम खदकुशी नहीं करता बल्कि वह पुलिस के सामने आत्मसमर्पित होता? यह नहीं भूलना चाहिये कि भोलाराम ने खुद को गोली मार आत्म हत्या करने से पूर्व फेसबुक पर एसपी छतरपुर को अपना ठिकाना बता आत्म समर्पण के लिये लिखा था. फेसबुक पर उसने सिविल लाइन टीआई, जयबेदी सहित कुछ निजी लोगो पर पैसा लेकर उसके खिलाफ दुष्कर्म के मामले में झूठा फ़साने का खुलासा किया था।
जो भोलाराम एसपी को गिरफ्तार करने के लिये बुला रहा हो और वह आत्महत्या कर ले,, यह कैसे हुआ? फिर एक नई कहानी मुठभेड़ की सामने आ जाये तो इस तड़के को क्या कहा जायेगा।
सवाल तो अभी भीं जिन्दा है कि एडवोकेट भोलाराम को अपराध की दुनिया में धकेलने वाले कौन और उसे आत्महत्या के लिये मजबूर करने वाले कौन. क्या यह सच सामने आयेगा या भोलाराम जैसे अपराधी बनाये जायेगे.....